संबंधित जानकारी

सामान्य अध्ययन-2: केंद्र और राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति-संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति-संवेदनशील वर्गों संरक्षण और बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थाएँ और निकाय।

संदर्भ: हाल ही में, ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहे समुदायों के समावेशी विकास और सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।

अन्य संबंधित जानकारी

  • समझौता ज्ञापन (MoU) पर विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों के लिए विकास और कल्याण बोर्ड (DWBDNC), सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) तथा दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY NRLM), ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) ने हस्ताक्षर किए।

समझौता ज्ञापन की मुख्य विशेषताएँ

  • DAY-NRLM इकोसिस्टम में एकीकरण : यह समझौता ज्ञापन विमुक्त जनजाति स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को NRLM संरचनाओं जैसे कि विलेज ऑर्गनाइजेशन (VOs), क्लस्टर-लेवल फेडरेशन (CLFs), और आजीविका मूल्य श्रृंखलाओं में शामिल करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • समग्र समर्थन पैकेज: इस साझेदारी के तहत, विमुक्त जनजाति स्वयं सहायता समूह (SHGs) क्षमता निर्माण कार्यक्रम, क्रेडिट लिंकज और विविधीकृत आजीविका अवसरों का लाभ प्राप्त करेंगे।
  • सतत समर्थन के लिए समन्वय: विमुक्त जनजाति समुदायों के लिए निरंतर और प्रभावी समर्थन सुनिश्चित करने हेतु DWBDNC राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों (SRLMs) के साथ सहयोग करेगा।
  • समर्पित सामुदायिक कैडर: इस पहल के अंतर्गत समुदाय के भीतर “DNT सखी” कैडर स्थापित किया गया है, जिसमें प्रत्येक सखी लगभग 30 परिवारों का समर्थन करेगी, जो तीन SHGs में विभाजित हैं, और इनके लिए सुविधा प्रदान करना तथा निगरानी करना उसका दायित्व होगा।
  • वृहत स्तरीय एकीकरण योजना: आगामी तीन वर्षों में, DWBDNC के तहत बनाए गए 5,000 से अधिक DNT SHGs को DAY‑NRLM ढांचे में शामिल किया जाएगा, जिससे उन्हें इसकी सभी सेवाओं तक पहुँच प्राप्त होगी।

समझौता ज्ञापन का महत्त्व

  • सामाजिक न्याय और समावेशन: विमुक्त जनजाति समुदाय लंबे समय से सामाजिक बहिष्कार, सीमित औपचारिक क्रेडिट पहुँच और अस्थायी आजीविका जैसी समस्याओं से जूझते आए हैं। यह समझौता ज्ञापन उनके सम्मान, समावेशन और सशक्तिकरण को बनाए रखने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
  • संस्थागत एकीकरण: विमुक्त जनजाति स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को DAY-NRLM की संस्थाओं जैसे कि विलेज ऑर्गनाइजेशन, क्लस्टर लेवल फेडरेशन और मूल्य श्रृंखलाओं में शामिल करके, यह समझौता ज्ञापन सुनिश्चित करता है कि विमुक्त जनजातियाँ केवल अलग-थलग लाभार्थी न होकर स्थायी ग्रामीण आजीविका ढांचे का हिस्सा बनें, जिससे दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा मिले।
  • क्रेडिट और आजीविका विविधीकरण तक पहुँच: यह समझौता ज्ञापन विमुक्त जनजाति परिवारों को क्रेडिट लिंकेज और संरचित आजीविका समर्थन प्रदान करता है, जिससे वे अस्थिर आजीविकाओं से परे विविधीकरण कर सकें और उनकी आय की स्थिरता व आर्थिक लचीलापन में सुधार हो।
  • सामुदायिक नेतृत्व वाली पहल: DNT सखी कैडर की शुरुआत से स्व-सहायता, सहकर्मी समर्थन और समुदाय के भीतर नेतृत्व को बढ़ावा मिलता है, जिससे विश्वास, समुदाय की भागीदारी और बेहतर पहुँच सुनिश्चित होती है।
  • अभिसरण और समग्र विकास: यह समझौता ज्ञापन DWBDNC के सामाजिक न्याय के उद्देश्य को DAY-NRLM के आजीविका मॉडल के साथ जोड़ता है, जिससे विमुक्त समुदायों के लिए समग्र सामाजिक समानता और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलता है।

विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों के बारे में

  • विमुक्त जनजातियाँ (DNTs), अर्ध-घुमंतू जनजातियाँ (SNTs) और घुमंतू जनजातियाँ (NTs) भारत के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों पर रहने वाले, हाशिए पर और ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़ित समुदायों को दर्शाती हैं।
  • इनकी जनसंख्या के आधिकारिक आँकड़े उपलब्ध नहीं है, लेकिन रेन्के आयोग (2008) ने जनगणना 2001 के आधार पर इनकी जनसंख्या 10.74 करोड़ बताई थी। वर्तमान अनुमानों के आधार पर इनकी जनसंख्या लगभग 25 करोड़ होगी।
  •  विमुक्त जनजातियाँ (DNTs):
    • विमुक्त जनजातियों को ब्रिटिश शासन के दौरान 1871 के आपराधिक जनजाति अधिनियम से शुरू होने वाले विभिन्न कानूनों के तहत कभी ‘जन्मजात अपराधी’ के रूप में अधिसूचित किया गया था।
    • ये भेदभावपूर्ण कानून, जिन्होंने इनके पूरे समुदायों को उनके जन्मजात पेशे के आधार पर अपराधी घोषित किया था, स्वतंत्रता के बाद 1952 में भारतीय सरकार द्वारा रद्द कर दिए गए
    • परिणामस्वरूप, इन समुदायों को “विमुक्त” (De-notified) कर दिया गया, अर्थात अब उन्हें कानून द्वारा अपराधी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।
    • इनमें से कुछ विमुक्त समुदाय घुमंतू (Nomadic) प्रकृति के भी थे।

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM)

  • दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) को भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है, जबकि राज्य स्तर पर इसके कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों (SRLMs) की होती है।
  • इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त गरीबी में कमी लाना है, जिससे गरीब परिवार स्व-रोज़गार और वेतन आधारित रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकें।
  • यह कार्यक्रम गरीबों, विशेष रूप से महिलाओं, के लिए मजबूत संस्थाएँ विकसित करने पर केंद्रित है और उन्हें वित्तीय सेवाएँ, कौशल और बाज़ार तक पहुँच सुनिश्चित कर उन्हें अपने आजीविका स्तर को सुधारने में सक्षम बनाता है।

Sources:
PIb
Indianmasterminds

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