संदर्भ:

हाल ही में, सरकार ने घोषणा की है कि विकास विरोधी गतिविधियों और जबरन धर्म परिवर्तन में शामिल किसी भी गैर सरकारी संगठन का विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम [Foreign Contribution (Regulation) Act-FCRA], 2010 के तहत पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।

अन्य संबंधित जानकारी

  • उक्त संदर्भ में FCRA (2010) के निदेशक द्वारा एक नया नोटिस जारी किया गया।

नोटिस में शामिल  प्रमुख टिप्पणियाँ:

  • कोई भी गैर सरकारी संगठन (NGO) जिसके विदेशी वित्तपोषण स्वीकार करने से सामाजिक या धार्मिक सद्भाव प्रभावित हो सकता है, उसका  FCRA पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।
  • यदि किसी एनजीओ ने विदेशी अंशदान को विकास विरोधी गतिविधियों या दुर्भावनापूर्ण विरोध प्रदर्शनों को भड़काने, आतंकवादी संगठनों या राष्ट्र-विरोधी/कट्टरपंथी विरोधी संगठनों के साथ संबंध बनाने के लिए इस्तेमाल किया है, तो उनका FCRA पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा। 
  • यदि किसी  स्थानीय  संस्था  ने गैर सरकारी संगठन के खिलाफ प्रतिकूल जानकारी दी है और विदेशी वित्तपोषण स्वीकार करने से बलपूर्वक धर्म परिवर्तन प्रभावित होने की संभावना है, तो उस संगठन को FCRAके तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। 
  • यदि गैर सरकारी संगठन अपने उद्देश्यों के अनुरूप परियोजनाओं के लिए किसी विदेशी धनराशि का उपयोग नहीं करता है, तो गैर सरकारी संगठन को FCRAके तहत पंजीयन निरस्तीकरण का सामना करना पड़ेगा।

FCRA क्या है?

  • यह आंतरिक सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के लिए विदेशी दान की निगरानी करता है। इसे वर्ष 1976 के आपातकाल के दौरान विदेशी हस्तक्षेप की चिंताओं के कारण लागू किया गया था।
  • यह उन सभी गैर सरकारी संगठनों, समूहों और संघों पर लागू होता है जो विदेशी दान प्राप्त करना चाहते हैं। यह FCRAके तहत खुद को पंजीकृत करने वाले सभी एनजीओ के लिए अनिवार्य है। 

FCRA की आवश्यकता/उद्देश्य:

  • यह आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने के उद्देश्य से विदेशी दान की देखरेख और उसका नियंत्रण करता है।
  • एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के सिद्धांतों के अनुरूप व्यक्तियों और संगठनों के संचालन को सुनिश्चित करना।
  • विदेशी अंशदान के उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना।
  • देश में राजनीतिक प्रक्रिया पर किसी भी अनुचित प्रभाव को रोकना।

FCRA (संशोधन) नियम, 2020:

  • लोक सेवकों को उन ‘व्यक्तियों’ की सूची में शामिल किया गया जिन्हें कोई भी विदेशी अंशदान स्वीकार करने पर प्रतिबन्धित किया गया था।
  • आवेदक को उचित पहचान के लिए दस्तावेज के रूप में सभी कार्यालय निदेशकों, पदाधिकारियों या अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की आधार संख्या प्रदान करनी होगी।
  • विदेशियों के मामले में आवेदकों को पहचान के लिए अपने पासपोर्ट या ओवरसीज सिटीजन कार्ड की प्रति प्रस्तुत करनी होगी।
  • किसी अन्य व्यक्ति को विदेशी अंशदान के हस्तांतरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया।
  • विदेशी अंशदान का 50% के स्थान पर केवल 20% ही प्रशासनिक व्यय के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
  • यह केवल भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली  शाखा (जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है) में बैंक द्वारा “FCRA खाता” के रूप में नामित खाते में धन की प्राप्ति को प्रतिबंधित करता है और इस खाते में कोई अन्य धन प्राप्त या जमा नहीं किया जा सकता है।
  • इसमें प्रावधान किया गया कि किसी संगठन द्वारा प्राप्त विदेशी अंशदान को किसी अन्य व्यक्ति या संगठन को तब तक हस्तांतरित नहीं किया जा सकता जब तक कि वह व्यक्ति या संगठन भी विदेशी अंशदान स्वीकार करने के लिए पंजीकृत न हो।

FCRAके अंतर्गत पंजीकरण का निलंबन: 

  • सरकार के पास ऐसे किसी भी गैर सरकारी संगठन का FCRAपंजीकरण रद्द करने का अधिकार है, जो अधिनियम का उल्लंघन करता पाया जाता है। रद्द करने के कारणों में केंद्र सरकार द्वारा इसे जनहित के लिए आवश्यक माना जाना शामिल है।
  • एक बार गैर-पंजीकृत होने पर गैर सरकारी संगठन तीन वर्षों तक पुनः पंजीकरण के लिए अपात्र हो जाता है।

FCRAसे जुड़ी चिंताएं: 

  • महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को असहमति व्यक्त करने या संवेदनशील मुद्दों पर बल  देने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 
  • लाइसेंस निलंबन या रद्द होने का भय गैर सरकारी संगठनों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है तथा आत्म- अभिवेचन की ओर ले जाता है, जहां संगठन ऐसी गतिविधियों में संलग्न होने से बचते हैं जो सरकारी जांच का कारण बन सकती हैं। 
  • सख्त नियम मानवाधिकार उल्लंघनों को दूर करने और सुधारने के प्रयासों में बाधा डाल सकते हैं, जिससे इस क्षेत्र में प्रगति बाधित हो सकती है।
  • पर्यावरण, नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार मुद्दों पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को सरकार द्वारा निशाना बनाना, संवेदनशील मुद्दों पर आवाज दबाने के प्रयास को दर्शाता है।
  • यह भारत की लोकतांत्रिक छवि और वैश्विक स्वतंत्रता एवं लोकतंत्र सूचकांक में उसकी स्थिति पर प्रभाव डालता है। 

आगे की राह

  • धर्मार्थ या सार्वजनिक भलाई की प्रकृति की गतिविधियों में संलग्न स्वैच्छिक संस्थाओं  के लिए एक अलग कानून बनाया जाना चाहिए ताकि इस क्षेत्र का अधिक प्रभावी और कुशल विनियमन हो सके (विजय कुमार समिति)।
  • गैर सरकारी संगठनों का विवरण खोज योग्य डाटाबेस सूचना के रूप में उपलब्ध होना चाहिए (विजय कुमार समिति)।
  • सरकार को गैर-अनुपालन के कारण अचानक पंजीकरण रद्द करने के बजाय उन्हें आवश्यक दस्तावेज दाखिल करने के लिए छूट अवधि प्रदान करनी चाहिए।
  • बेहतर एवं प्रभावी सहयोग के लिए गैर सरकारी संगठन समन्वय केंद्रों की स्थापना करना।

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