संदर्भ:
महाराष्ट्र सरकार लोनार झील, जो बुलढाणा जिले में स्थित है, को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने की योजना बना रही है।
लोनार झील की विशेषताएँ
- भूवैज्ञानिक महत्व: लोनार झील, जो लगभग 50,000 साल पहले एक उल्कापिंड के प्रभाव से बनी थी, विश्व का सबसे बड़ा बासाल्टिक प्रभाव क्रेटर है, जो इसे एक अद्वितीय भौगोलिक और वैज्ञानिक चमत्कार बनाता है।
- सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व: झील के आस-पास कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जिनमें से कुछ 1,200 साल से भी अधिक पुराने हैं, जो इसके वैज्ञानिक महत्व के साथ-साथ समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रदर्शित करते हैं।
- वैज्ञानिक अनुसंधान: स्मिथसोनियन और यूएस जियोलॉजिकल सर्वे जैसी संस्थाओं ने झील के क्षारीय-खारी पानी और पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन किया है।
- संरक्षण प्रयास: जलस्तर बढ़ने के कारण, क्रेटर के अंदर स्थित पांच मंदिर डूब गए हैं। झील का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए झील में नहाने पर प्रतिबंध और आसपास निर्माण गतिविधियों को सीमित करने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
पर्यटन और बुनियादी ढांचा विकास
- पर्यटन की संभावना: स्थानीय कार्यकर्ता और अधिकारी मानते हैं कि यूनेस्को मान्यता से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र में निवेश आकर्षित होगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
- बुनियादी ढांचे में सुधार: इस क्षेत्र में बस स्टैंड और बेहतर सड़क सुविधाओं जैसे बुनियादी ढांचे को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, पास स्थित दैत्य सुधन मंदिर के आसपास के अतिक्रमणों को हटा दिया गया है।
लोनार झील का वैश्विक महत्व
- यह एक अद्वितीय लैगून है जो उल्कापिंड के प्रभाव से बना है और बासाल्ट चट्टान में स्थित दुनिया का एकमात्र प्रमुख क्रेटर झील है।
- झील का पानी क्षारीय है, जो इसे एक महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक और पारिस्थितिकीय चमत्कार बनाता है।
- यूनेस्को मान्यता: यदि स्वीकार किया जाता है, तो लोनार झील भारत की 41वीं यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बन जाएगी, और अजंता और एलोरा गुफाओं, और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे प्रतिष्ठित स्थलों के साथ जुड़ जाएगी।
- रामसर स्थल: लोनार झील को एक रामसर स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है, जो अंतरराष्ट्रीय महत्व की एक आर्द्रभूमि है।