संदर्भ 

हाल ही में, रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयालोक -लोकन को ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में शामिल किया गया है।

अन्य संबंधित जनकारी  

  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) ने मंगोलिया के उलानबटार में आयोजित एशिया और प्रशांत के लिए विश्व समिति की अनुस्मारण (MOWCAP) की 10वीं बैठक के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • आईजीएनसीए ने भारत के द्वारा नामित तीन रचनाओं (रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन) के पक्ष में तर्क दिया, जिसके परिणामस्वरूप ‘यूनेस्को के विश्‍व एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय अनुस्मरण रजिस्टर’ (मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक) में उनका स्थान सुनिश्चित हो गया।
  • ऐसा पहली बार हुआ है जब आईजीएनसीए ने वर्ष 2008 में अपनी स्थापना के बाद से क्षेत्रीय रजिस्टर के के लिए नामित प्रस्तुत किया है।

इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA)

  • IGNCA को 19 नवंबर, 1985 को शुरू किया गया था।
  • इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र न्यास (ट्रस्ट) का गठन और पंजीकरण 24 मार्च, 1987 को नई दिल्ली में किया गया था।
  • IGNCA की स्थापना वर्ष 1987 में, संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में, कला के क्षेत्र में अनुसंधान, शैक्षणिक खोज और प्रसार के केंद्र के रूप में की गई थी।

एशिया और प्रशांत के लिए विश्व समिति की अनुस्मारण (MOWCAP)   

  • इसकी स्थापना वर्ष 1998 में की गई थी और यह यूनेस्को के वैश्विक मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड (MOW) कार्यक्रम का क्षेत्रीय मंच है।
  • MOW एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य प्रलेखी विरासत की सुरक्षा, संरक्षण और पहुँच और उपयोग को सुविधाजनक बनाना है। इसे वर्ष 1992 में यूनेस्को द्वारा लॉन्च किया गया था ।
  • इसका उद्देश्य एशिया/प्रशांत क्षेत्र की प्रलेखी विरासत के संरक्षण और उस तक सार्वभौमिक पहुँच में सहायता करना है।

यूनेस्को के विश्‍व एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय अनुस्मरण रजिस्टर में शामिल होने का महत्व

  • यह वैश्विक सांस्कृतिक संरक्षण प्रयासों में एक कदम आगे बढ़ने का प्रतीक है, जो हमारी साझा मानवता को आकार देने वाली विविध कथाओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों को पहचानने और सुरक्षित रखने के महत्व पर प्रकाश डालता है।
  • इन उत्कृष्ट साहित्यिक कृतियों का सम्मान करके, समाज न केवल उनके रचनाकारों की रचनात्मक प्रतिभा के महत्व पर प्रकाश डालता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उनका गहन जानकारी और कालातीत शिक्षाएँ भावी पीढ़ियों को प्रेरित और प्रबुद्ध करती रहें।

रामचरितमानस 

  • इसकी रचना गोस्वामी तुलसीदासजी ने की थी तथा यह 16वीं शताब्दी में प्रसिद्ध हुई। इसकी रचना अवधी में की गई है। अवधी हिन्दी क्षेत्र की एक बोली है। यह उत्तर प्रदेश के “अवध क्षेत्र” में बोली जाती है।
  • रामचरितमानस में सात अध्यायों है, जिन्हें काण्ड के नाम से जाना जाता है।
  • इस ग्रंथ में गोस्वामी तुलसीदासजी ने दोहा, चौपाई, सोरठ और छंद के रूप में भगवान राम के जीवन वृतांत का वर्णन किया है।

पंचतंत्र 

  • यह पशुओं के रीति-रिवाजों के बारे में महत्वपूर्ण दंतकथाओं का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय किंवदंती के अनुसार, विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र लिखा और इसे नीति शास्त्र के रूप में प्रस्तुत किया। 

सह्रदयालोक-लोकन

  • यह आचार्य आनंदवर्धन द्वारा लिखित भारतीय काव्यशास्त्र का एक मौलिक ग्रंथ है।

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