संदर्भ :
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के लिए भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) में भारत की रैंकिंग 180 देशों में 96 है।
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) के बारे में
- CPI विश्व में सबसे व्यापक रूप से प्रयुक्त वैश्विक भ्रष्टाचार रैंकिंग है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के बारे में
यह एक गैर-पक्षपाती, गैर-लाभकारी गैर-सरकारी संगठन (NGO) है जिसकी स्थापना 1993 में बर्लिन में हुई थी।
यह एक वैश्विक आंदोलन है जो भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए 100 से अधिक देशों में काम कर रहा है।
इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार को रोकना तथा समाज के सभी स्तरों एवं सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता, जवाबदेही एवं निष्ठा को बढ़ावा देना।
संगठन एक ऐसे विश्व की कल्पना करता है जहाँ: सरकार, राजनीति, व्यवसाय, नागरिक समाज और दैनिक जीवन भ्रष्टाचार से मुक्त हो।
यह सूचकांक 180 देशों और क्षेत्रों को उनके सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के स्तर के आधार पर रैंक प्रदान करता है।
सूचकांक 0 से 100 तक के पैमाने का उपयोग किया जाता है, जहाँ:
- 0अत्यधिक भ्रष्ट को इंगित करता है ,
- जबकि 100 भ्रष्टाचार मुक्त दर्शाता है ।

प्रत्येक देश का स्कोर कम से कम तीन डेटा स्रोतों से प्राप्त किया जाता है, जिन्हें 13 अलग-अलग भ्रष्टाचार सर्वेक्षणों और आकलनों से चुना जाता है।
ये डेटा विश्व बैंक और विश्व आर्थिक मंच जैसे कई प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा एकत्र किए जाते हैं।
इस वर्ष के सूचकांक में जलवायु कार्रवाई और भ्रष्टाचार के बीच संबंध पर भी प्रकाश डाला गया तथा इसे जलवायु वित्तपोषण के व्यापक विषय से जोड़ा गया।
सूचकांक के प्रमुख बिन्दु
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले देश: सबसे कम भ्रष्ट राष्ट्रों की सूची में डेनमार्क शीर्ष पर है, उसके बाद फिनलैंड और सिंगापुर का स्थान है।
- सर्वाधिक भ्रष्ट देश: दक्षिण सूडान, सोमालिया, वेनेजुएला।
भारत की रैंकिंग: CPI,24 में 180 देशों में भारत की रैंकिंग 96 है।
- भारत का स्कोर 2024 में घटकर 38 हो गया, जो 2023 में 39 और 2022 में 40 था।
- 2023 में भारत की रैंकिंग 93 थी।
पड़ोसियों देशों से तुलना:
- चीन : रैंक 76
- श्रीलंका : रैंक 121
- पाकिस्तान : रैंक 135
- बांग्लादेश : रैंक 149
वैश्विक औसत 43 है , और यह वर्षों से स्थिर बना हुआ है।
- दो तिहाई से अधिक देशों का स्कोर 50 से कम है।
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र का औसत स्कोर एक अंक गिरकर 44 हो गया है, क्योंकि ये देश अभी भी भ्रष्टाचार विरोधी वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं।
कुछ देशों में सुधार : 2012 के बाद से 32 देशों ने अपने भ्रष्टाचार के स्तर में उल्लेखनीय कमी लायी है, जबकि 148 देशों में भ्रष्टाचार या तो स्थिर है या और खराब हो गया है।
भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंध :
- वैश्विक तापमान वृद्धि के दुष्परिणामों से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए दी जाने वाली धनराशि, प्रणाली में भ्रष्टाचार के कारण चोरी हो जाती है या उसका दुरुपयोग किया जाता है।
- भ्रष्टाचार नीति कार्यान्वयन में भी बाधा डालता है, जिससे जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न होती है तथा पर्यावरण को और अधिक क्षति पहुंचती है।
भ्रष्टाचार न केवल देश में विकास को कमजोर करता है, बल्कि लोकतंत्र के स्तर में गिरावट , अस्थिरता और मानवाधिकारों के उल्लंघन का भी प्रमुख कारण है।
कार्रवाई का आह्वान:
- भ्रष्टाचार से निपटने की तत्काल आवश्यकता: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अलग-अलग राष्ट्रों को तानाशाही को पीछे धकेलने और शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और टिकाऊ समाज सुनिश्चित करने के लिए भ्रष्टाचार से लड़ने को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- ठोस कार्रवाई: रिपोर्ट में वैश्विक भ्रष्टाचार से निपटने के लिए तत्काल और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया है।