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सामान्य अध्ययन-3: पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।

संदर्भ:

हाल ही में, जल शक्ति राज्य मंत्री ने राज्यसभा को जानकारी दी कि हरियाणा और पंजाब से प्राप्त भौमजल के कुछ नमूनों में सेलेनियम का उच्च स्तर पाया गया है।

भौमजल में सेलेनियम के स्तर के बारे में

केंद्रीय भौमजल बोर्ड (CGWB) निगरानी कार्यक्रमों और वैज्ञानिक अध्ययनों के माध्यम से क्षेत्रीय स्तर पर भौमजल गुणवत्ता डेटा तैयार करता है।

  • केंद्रीय भौमजल बोर्ड का गठन 1970 में किया गया था, जिसका अधिदेश “भारत के भौमजल संसाधनों के वैज्ञानिक और सतत विकास एवं प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और उनका प्रसार करना” था।

2019 में, केंद्रीय भौमजल बोर्ड ने सेलेनियम के स्तर की जानकारी जुटाने के लिए 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से भौमजल के 5,956 नमूने एकत्र किए और उनका विश्लेषण किया।

हरियाणा के झज्जर जिले और पंजाब के रूपनगर (रोपड़) जिले से लिए गए केवल 4 नमूनों में सेलेनियम का स्तर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा निर्दिष्ट 10 भाग प्रति बिलियन (ppb) की अनुमेय सेलेनियम सीमा से अधिक पाया गया।

सेलेनियम 

  • सेलेनियम (Se, परमाणु संख्या 34) अल्प मात्रा में पाया जाने वाला परन्तु आवश्यक तत्व है। अधिक मात्रा में यह विषाक्त हो जाता है।
  • सेलेनियम सल्फर समूह का एक अधात्विक तत्व है और समूह 16 के तत्वों का सदस्य है। समूह 16 के तत्वों को सामूहिक रूप से चाकोजेन्स (chalcogens) के रूप में जाना जाता है।
  • यह अनेक रूपों में पाया जाता है। कमरे के तापमान पर यह आकारहीन (amorphous) और क्रिस्टलीय (crystalline) दोनों रूपों में पाया जाता है।
  • सेलेनियम का व्यापक रूप से कृषि, खनन, ऊर्जा उत्पादन और विभिन्न उद्योगों में उपयोग किया जाता है तथा वैश्विक एजेंसियों द्वारा इसे एक उभरते हुए हानिकारक प्रदूषक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वयस्कों के लिए सेलेनियम का अनुशंसित सेवन स्तर 55-70 μg/दिन है, जबकि 400 μg/दिन का सेवन स्तर विषाक्त माना जाता है।
  • सेलेनियम की कमी मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है, जिससे “केशन रोग” नामक कार्डियोमायोपैथी (हृदय संबंधी) विकार और “काशिन-बेक रोग” नामक हड्डी और जोड़ों का विकार हो सकता है।

भौमजल में सेलेनियम

  • लंबे समय से सेलेनियम के उच्च स्तर वाले पेयजल के सेवन से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं जैसे-बालों और नाखूनों में परिवर्तन, तंत्रिका तंत्र को नुकसान, थकान, चिड़चिड़ापन, गुर्दे और यकृत का खराब होना।
  • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने भौमजल में सेलेनियम की अनुमेय सीमा 0.01 मिलीग्राम/लीटर निर्धारित की है।
  • भौमजल में सेलेनियम मुख्यतः “ऋणायनिक रूपों” (anionic forms) में पाया जाता है, जैसे सेलेनेट (SeO²⁻), बाइसेलेनाइट (HSeO²⁻), और सेलेनाइट (SeO²⁻), जो pH (7.0–9.5) और रेडॉक्स स्थितियों पर निर्भर करता है।
  • इसके संदूषण के स्रोतों में प्राकृतिक निक्षेप, ताँबा प्रगलन, खनन, कृषि और औद्योगिक उत्सर्जन शामिल हैं।
  • सेलेनियम को हटाने की प्रभावी उपचार विधियों में सक्रिय एल्यूमिना अधिशोषण, प्रबल क्षार ऋणायन विनिमय, प्रतिलोम परासरण और आसवन शामिल हैं। इन विधियों की अपचायक दक्षता (reduction efficiencies) 60% से लेकर 98% से अधिक तक होती है।

स्रोत:

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2157439 https://ddnews.gov.in/en/govt-flags-high-selenium-levels-in-groundwater-in-parts-of-haryana-punjab/ https://ods.od.nih.gov/factsheets/Selenium-HealthProfessional/ https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC9939470/

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