संदर्भ:
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान भारत में 628 बाघों की मौत हुई है।
मुख्य विचार:
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने बाघों की बढ़ती मृत्यु दर पर प्रकाश डाला है क्योंकि 2019 में 96 बाघों की मृत्यु हुई, 2020 में 106, 2021 में 127, 2022 में 121 और 2023 में 178 बाघों की मृत्यु हुई।
- 2023 में बाघों की मृत्यु की संख्या भी 2012 के बाद से सबसे अधिक है।
- 2019-23 के दौरान बाघों के हमलों में 349 लोग मारे गए थे।
- NTCA के आंकड़ों के अनुसार 2019 और 2020 में बाघों के हमलों में प्रतिवर्ष 49 लोग मारे गए, जबकि 2021 में 59, 2022 में 110 और 2023 में 82 लोग मारे गए।
- उत्तर प्रदेश में बाघों के हमलों में 59 लोगों की मौत (सबसे अधिक) दर्ज की गई, जबकि मध्य प्रदेश में 27 मौतें हुईं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)
- यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत एक वैधानिक निकाय है जिसका गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत किया गया है।
- यह सलाह/मानक दिशानिर्देशों के माध्यम से निगरानी बनाए रखते हुए देश में बाघ संरक्षण को मजबूत करता है।
- NTCA देश में हर चार साल में बाघों की गणना करता है।
बढ़ती मौतों का कारण
- प्राकृतिक कारण, बीमारियाँ, मानव-पशु संघर्ष और दूरदराज के क्षेत्रों में अवैध शिकार।
- प्रमुख बाघ जनसंख्या क्षेत्रों में आवास की हानि/विखंडन।
भारत में बाघ
- भारत में बाघों की संख्या 2018 में 2,967 से बढ़कर 2022 में 3,682 हो गई है।
- भारत विश्व की लगभग 75 प्रतिशत बाघ आबादी का घर बन गया है।
- बाघ गणना के अनुसार, देश में बाघों की अधिकतम संख्या (785) मध्य प्रदेश में है, इसके बाद कर्नाटक (563), उत्तराखंड (560) और महाराष्ट्र (444) का स्थान है।
प्रोजेक्ट टाइगर
- यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ( MoEFCC) की एक केन्द्र प्रायोजित योजना है।
- इसे अप्रैल 1973 में “बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने” के उद्देश्य से शुरू किया गया था, क्योंकि बाघों के संरक्षण का महत्व निश्चित राज्य की सीमाओं से परे भी है।
- वीरांगना दुर्गावती” बाघ रिजर्व की घोषणा से भारत में बाघ रिजर्वों की कुल संख्या बढ़कर 54 हो गई है।
ये रिजर्व सामूहिक रूप से 78,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैले हैं, जो भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 2.30% से अधिक है।