संदर्भ:
हाल ही में, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारा (India-Middle East-Europe Economic Corridor-IMEEC) पर भारत और यूएई अंतर-सरकारी फ्रेमवर्क समझौते हेतु एक भारतीय अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल ने 15 से 17 मई तक संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के दौरे पर था।
प्रमुख बिंदु:
- इस फ्रेमवर्क समझौते पर 13 फरवरी को अबू धाबी में हस्ताक्षर किये गये किए गए, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति ने भाग लिया।
- इस समझौते का उद्देश्य संयुक्त निवेश और तकनीकी सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEEC) को विकसित करना है।
- इसके प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEEC) के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की महत्वपूर्ण संस्थाओं के साथ सहयोग को मजबूत करना था।
- भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वस्तुओं की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए बंदरगाह और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की सीमा शुल्क के प्राधिकरणों के साथ चर्चा करने के लिए खलीफा बंदरगाह, फुजैराह (फुजैरा) बंदरगाह और जेबेल अली बंदरगाह का भी दौरा किया।
भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारा के बारे में
- इसकी घोषणा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित एक बैठक के दौरान की गई थी, जिसमें भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इटली, फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय आयोग के नेताओं ने भाग लिया था।
- यह भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप को जोड़ने वाला एक प्रस्तावित आर्थिक गलियारा है।
- इसका उद्देश्य तेजी से व्यापार के लिए परिवहन नेटवर्क (पत्तन, रेल, सड़क मार्ग) में सुधार करना है।
उद्देश्य
- एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट के बीच आर्थिक एकीकरण को बढ़ाना।
- व्यापार और निवेश के अवसरों को बढ़ावा देना।
- दक्षता को बढ़ाने के साथ-साथ परिवहन लागत को कम करना।
- रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
- ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करना, पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देना।
शामिल घटक
इसमें मुख्य रूप से दो गलियारे शामिल है:
- पूर्वी गलियारा: यह भारत (मुंबई, मुंद्रा) को संयुक्त अरब अमीरात से जोड़ता है।
- उत्तरी गलियारा: यह खाड़ी क्षेत्र (मिडिल-ईस्ट) को इजराइल और यूनाना (ग्रीस) के माध्यम से यूरोप से जोड़ता है।
शामिल बंदरगाह
- भारत: कांडला पोर्ट (गुजरात), जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (नवी मुंबई)
- खाड़ी देश (मिडिल-ईस्ट): दम्मम बंदरगाह (सऊदी अरब), रास अल-खैर बंदरगाह (सऊदी अरब)
- यूरोप: मेसिना बंदरगाह (इटली), मार्सिले बंदरगाह (फ्रांस), पीरियस बंदरगाह (यूनान)
महत्व
- इससे स्वेज नहर मार्ग की तुलना में भारत और यूरोप के बीच पारगमन समय में 40 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है।
- यह खाड़ी देश (मिडिल-ईस्ट) में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास को प्रोत्साहित करता है।
- यह वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक बड़ा बाज़ार सृजित करता है।