संदर्भ: 

भारत ने 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता की उपलब्धि हासिल करने के साथ ही देश का 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य पूरा हो गया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • पिछले दशक में सौर ऊर्जा क्षमता में असाधारण 3450% की वृद्धि देखी गई है, जो 2014 की 2.82 गीगावाट से बढ़कर 2025 में 100 गीगावाट हो गई है ।
  • सौर ऊर्जा भारत की नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि में प्रमुख योगदानकर्ता बनी हुई है, जो कुल स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का 47% है।
  • 2024 में, 24.5 गीगावाट (जिसमें 4.59 गीगावाट रूफटॉप सौर ऊर्जा भी शामिल है) की सौर क्षमता जोड़ी गई, जो 2023 की तुलना में सौर प्रतिष्ठानों में दो गुना से अधिक वृद्धि को दर्शाती है।
  • राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने भारत के कुल उपयोगिता-स्तरीय सौर प्रतिष्ठानों में 71% का योगदान दिया है।
  • सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता 2024 में 60 गीगावाट तक बढ़ गई है, निरंतर नीतिगत समर्थन के साथ, भारत 2030 तक 100 गीगावाट की सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता हासिल करने की राह पर है।
  • भारत सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) उत्पादों के शुद्ध आयातक से शुद्ध निर्यातक बनने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है , जिसका निर्यात मूल्य वित्त वर्ष 2022 से 23 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

भारत के लिए सौर ऊर्जा का महत्व

  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, भारत की सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 748 गीगावाट है, जो देश की भविष्य की सौर ऊर्जा मांग से अधिक है।
  • भारत के 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य में सौर ऊर्जा अहम भूमिका निभाती है। यह पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) को प्रस्तुत किए गए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) देती है। इसमें 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी (2005 के स्तर की तुलना में) शामिल है।
  • सौर ऊर्जा भारत के उस उद्देश्य का केन्द्र बिन्दु है जिसके तहत 2030 तक अपनी कुल स्थापित विद्युत शक्ति का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करना है।

सौर ऊर्जा विकास के लिए प्रमुख सरकारी पहल /योजनाएँ

राष्ट्रीय सौर मिशन (2010): भारत की ऊर्जा सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करते हुए पारिस्थितिक रूप से सतत विकास को बढ़ावा देना। 

राष्ट्रीय सौर मिशन (NSM) के तहत प्रमुख योजनाएँ:

  • न्यूनतम 50 सौर पार्क स्थापित करने के लिए सौर पार्क योजना, जिसका लक्ष्य 40,000 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करना है।
  • व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) के साथ सरकारी उत्पादकों द्वारा 12,000 मेगावाट की ग्रिड-कनेक्टेड सौर पीवी विद्युत परियोजनाएं स्थापित करने की योजना।
  • ग्रिड से जुड़े सौर रूफटॉप विद्युत संयंत्रों की स्थापना।
  • प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं योजना उत्थान महाभियान (PM-KUSUM)।
  • “राष्ट्रीय उच्च दक्षता वाले सौर PV मॉड्यूल कार्यक्रम” के अंतर्गत उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना।

सौर ऊर्जा में स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति।

सौर पार्कों और अल्ट्रा-मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास: इसे 2014 में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य 2014-15 से शुरू होकर 5 वर्षों की अवधि में 20,000 मेगावाट सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता का लक्ष्य रखते हुए कम से कम 25 सौर पार्क और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करना था।

  • 21-03-2017 को योजना की क्षमता 20,000 मेगावाट से बढ़ाकर 40,000 मेगावाट कर दी गई। इन पार्कों को 2025-26 तक स्थापित करने का प्रस्ताव है।
  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के अनुसार, मार्च 2024 तक भारत में कुल 58 सौर पार्क हैं जिनकी स्वीकृत क्षमता 40 गीगावाट है।

सोलर रूफटॉप परियोजनाएं: रूफटॉप सौर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM), सोलर रूफटॉप चरण II, 12000 मेगावाट CPSU योजना चरण II आदि जैसी योजनाएं शुरू की गईं।

पीएम सूर्य घर : 2024 में शुरू की गई पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, अब 9 लाख रूफटॉप सौर ऊर्जा स्थापित करने के करीब है।

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