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सामान्य अध्ययन-3: आईटी,अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी जैव-प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषय।
संदर्भ: हाल ही में नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब ने “भारत को एक अग्रणी क्वांटम-संचालित अर्थव्यवस्था में बदलना” विषय पर एक रोडमैप जारी किया।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- विजन और रणनीतिक लक्ष्य:
- अगली पीढ़ी की प्रगति का आधार: क्वांटम प्रौद्योगिकियाँ सबसे अधिक परिवर्तनकारी वैश्विक शक्तियों में से एक हैं, जो स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, रसद, सामग्री, और राष्ट्रीय सुरक्षा को नया आकार दे रही हैं।

- तकनीकी चक्रों में प्रगति: भारत का एक निष्क्रिय उपभोक्ता से वैश्विक क्वांटम अग्रणी बनने की ओर संक्रमण, जिससे 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार किया जा सकेगा।
- 2035 के लिए लक्ष्य:
- भारत विश्व स्तर पर 10 से प्रतिस्पर्धी क्वांटम स्टार्टअप्स को विकसित करता है, जिनमें से प्रत्येक सालाना USD 100 मिलियन से अधिक का राजस्व सृजन करता है।
- भारत की वैश्विक क्वांटम सॉफ्टवेयर और सेवा बाजार में 50% हिस्सेदारी है।
- भारत, नागरिक और रणनीतिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर क्वांटम समाधानों का उपयोग करता है।
- भारत, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्वांटम आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक अग्रणी और महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करता है।
- भारत उत्कृष्ट विश्व स्तरीय शोध को बढ़ावा देता है और उच्च मूल्य की क्वांटम बौद्धिक संपदा (IP) का सृजन करता है।
- रणनीतिक हस्तक्षेप (2–5 वर्ष):
- भारत 2-3 वर्षों के भीतर अपने क्वांटम कार्यबल का दस गुना विस्तार करता है।
- भारत क्वांटम को अपनाने और अनुसंधान एवं विकास (R&D) में उद्योग तथा सरकार के निवेश को बढ़ाता है।
- भारत बेहतर अनुसंधान एवं विकास पाइपलाइन, सत्यापन सुविधाओं और वाणिज्यीकरण समर्थन के माध्यम से प्रयोगशाला-से-बाजार (lab-to-market) संक्रमण को तीव्र करता है।
- भारत उच्च जोखिम/उच्च लाभ वाले अनुसंधान वित्तपोषण (funding) के साथ मौलिक क्वांटम विज्ञान को बढ़ावा देता है।
- भारत सहयोगी नीतियों और विनियमों के माध्यम से 90% से अधिक क्वांटम डीप-टेक स्टार्टअप्स को बनाए रखता है।
- भारत वैश्विक मानक-निर्धारण का नेतृत्व करता है और ग्लोबल साउथ के लिए एक विश्वसनीय क्वांटम भागीदार के रूप में कार्य करता है।
- आर्थिक और क्षेत्रीय प्रभाव :
- 2035 तक क्वांटम प्रौद्योगिकियाँ वैश्विक मूल्य में USD 1–2 ट्रिलियन का योगदान देंगी।
- क्वांटम प्रौद्योगिकी दवाओं की खोज, सटीक चिकित्सा, नई सामग्री, ऊर्जा इष्टतमीकरण, रसद, वित्त और जलवायु मॉडलिंग को सक्षम बनाती है।
क्वांटम प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने वाली प्रमुख पहल
- राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM): NQM सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक प्लेटफॉर्म का उपयोग करके 50–1000 क्यूबिट्स वाले मध्यमवर्ती-पैमाने के क्वांटम कंप्यूटरों को विकसित करके भारत की क्वांटम क्षमताओं को बेहतर कर रहा है।
- क्वांटम-सक्षम विज्ञान और प्रौद्योगिकी (QuEST): भारत क्वांटम कंप्यूटिंग, संचार और सेंसिंग में राष्ट्रीय क्षमताएँ विकसित कर रहा है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 2019 में शुरू किया गया एक मौलिक अनुसंधान कार्यक्रम है, जो अग्रणी संस्थानों में उन्नत परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है।
- इंडिया क्वांटम एलायंस (India Quantum Alliance): यह सी-डॉट (C-DOT) द्वारा प्रबंधित एक अम्ब्रेला (छत्र परियोजना) है, जिसका उद्देश्य क्वांटम संचार प्रौद्योगिकियों के लिए अनुसंधान एवं विकास (R&D) प्रयासों को समेकित करना है।
क्वांटम प्रौद्योगिकी की प्रगति से जुड़ी चुनौतियाँ
- फंडिंग में असमानता: भारत का ₹0.75 बिलियन का निवेश चीन के $15 बिलियन और अमेरिका के $4 बिलियन के मुकाबले बहुत कम है, जो हार्डवेयर और अनुसंधान एवं विकास (R&D) के विस्तार को सीमित करता है।
- नियामक और सुरक्षा अंतराल: वित्तीय क्षेत्र क्वांटम सुरक्षा और पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी के मामले में पिछड़ रहा है, जिससे साइबर बुनियादी ढाँचा जोखिमों के प्रति असुरक्षित हो जाता है।
- हार्डवेयर और आपूर्ति-श्रृंखला में अंतराल: भारत विदेशी क्वांटम हार्डवेयर फैब्रिकेशन पर बहुत अधिक निर्भर है, और सेंसर तथा महत्वपूर्ण घटकों के लिए घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं का अभाव है।
- प्रतिभा और कार्यबल की कमी: कई क्वांटम स्नातकों के बावजूद, विशेषज्ञों की बहुत कमी हैं, जो उप-क्षेत्रों में विकास को बाधित कर रहे हैं।
प्रमुख सिफारिशें
- क्वांटम-कुशल कार्यबल का विस्तार: भारत वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रशिक्षित कर रहा है ताकि एक मज़बूत प्रतिभा पूल सुनिश्चित किया जा सके, जो क्वांटम प्रौद्योगिकियों को विकसित और परिनियोजित करने में सक्षम हो।
- उच्च-प्रभाव वाले क्वांटम क्षेत्रों को प्राथमिकता: भारत सुरक्षित संचार, स्वास्थ्य सेवा, रसद (logistics), और वित्त जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जहाँ क्वांटम प्रौद्योगिकियाँ तत्काल राष्ट्रीय लाभ प्रदान करती हैं।
- लैब-टू-मार्केट संक्रमण में तेजी लाना: भारत क्वांटम अनुसंधान को तेज़ी से उपयोगी, वाणिज्यिक उत्पादों में बदलने के लिए टेस्टबेड और सत्यापन प्रणालियाँ स्थापित कर रहा है।
- घरेलू क्वांटम आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना: भारत आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और विदेशी क्वांटम प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम करने के लिए अपना स्वयं का विनिर्माण और हार्डवेयर इकोसिस्टम बना रहा है।
