संबंधित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन-1: महत्वपूर्ण भू–भौतिकीय घटनाएं जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी गतिविधि, चक्रवात, आदि।
सामान्य अध्ययन-3: आपदा और आपदा प्रबंधन।
सन्दर्भ: हिंद महासागर क्षेत्र में भारत 100 से अधिक ‘सुनामी-से निपटने के लिए तैयार‘ (सुनामी रेडी) गाँव बनाने की ओर अग्रसर है। ऐसा करने वाला यह इस क्षेत्र का पहला देश बन जाएगा।
अन्य संबंधित जानकारी
- यूनेस्को (UNESCO) के अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (IOC) के अनुसार, एक ‘सुनामी-रेडी’ गाँव वह होता है जो सुनामी जागरूकता, तैयारी, खतरे का मानचित्रण, निकासी योजना, 24 घंटे चेतावनी प्रणाली और नियमित मॉक ड्रिल के मानकों को पूरा करता है।
- IOC समुद्री विज्ञान के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है, जहाँ इसके 152 सदस्य देश क्षमता निर्माण, महासागर अवलोकन, विज्ञान, सुनामी चेतावनी और महासागर साक्षरता जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से महासागर प्रबंधन पर मिलकर कार्य करते हैं।
- सुनामी-रेडी एक स्वैच्छिक और समुदाय-आधारित कार्यक्रम है, जो जनता, सामुदायिक नेताओं और स्थानीय व राष्ट्रीय आपातकालीन एजेंसियों के बीच सहयोग के माध्यम से सुनामी की तैयारी को बढ़ावा देता है।
- 2025 के अंत तक, भारत में वर्तमान में 24 प्रमाणित सुनामी-रेडी गाँव हैं, जो कि सभी ओडिशा के छह जिलों में स्थित हैं। अब ओडिशा राज्य 72 और सुनामी-रेडी गाँव बनाने की योजना बना रहा है।
- गुजरात, केरल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भी कुछ गाँवों की पहचान की है। मार्च या अप्रैल 2026 तक, केरल ने इस पहल के लिए नौ तटीय गाँवों का प्रस्ताव दिया है।
- किसी गाँव के लिए “सुनामी-रेडी” प्रमाणन प्राप्त करने हेतु, समुदाय को यूनेस्को (UNESCO) के अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (IOC) द्वारा स्थापित 12 मानकीकृत संकेतकों को पूरा करना अनिवार्य है।
- यह प्रक्रिया एक स्वैच्छिक, समुदाय-आधारित पहल है, जिसे भारत में भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) द्वारा संचालित किया जाता है।
- इसकी स्थापना 1999 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी और यह ‘अर्थ सिस्टम साइंस ऑर्गनाइजेशन‘ (ESSO) की एक इकाई है। यह भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र का संचालन करता है, जो 24/7 निगरानी और चेतावनी सेवाएँ प्रदान करता है।
सुनामी के बारे में

- सुनामी, कंपन द्वारा उत्पन्न लहरें हैं, न कि स्वयं में कोई भूकंप। यद्यपि वास्तविक भूकंपीय गतिविधि कुछ ही सेकंड तक रहती है, लेकिन यदि भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5 से अधिक हो, तो इसके प्रभाव विनाशकारी होते हैं।
- ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्र के नीचे भूस्खलन, और तटीय चट्टानों का गिरना भी सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं, जो महासागर को प्रभावित करते हैं।
- सुनामी समुद्र तल की ऊर्ध्वाधर गति से उत्पन्न होती है, जिसके परिणामस्वरूप जल राशि का विस्थापन होता है।
- सुनामी से होने वाले विनाश के तीन कारक हैं:
- जलप्लावन: वह क्षैतिज दूरी, जितनी भीतर तक सुनामी पहुँचती है। इससे तटीय नगरों, गाँवों और कृषि भूमि में व्यापक बाढ़ आती है, मीठे जल स्रोत दूषित होते हैं और कृषि भूमि अनुपयोगी हो जाती है।
- संरचनाओं पर तरंग प्रभाव: उच्च वेग से आगे बढ़ती जल-दीवार का भौतिक बल, जो इमारतों, सड़कों और पुलों को ध्वस्त कर देता है तथा नौकाओं और वाहनों को खतरनाक प्रक्षेप्य बना देता है।
- अपरदन: सुनामी-प्रेरित तीव्र धाराएँ नींव को क्षीण कर देती हैं, जिससे समुद्री तटबंध और पुल ढह जाते हैं तथा तटीय भूगोल में परिवर्तन होता है।
सरकार की पहल
- तेज़ चेतावनी: वैज्ञानिक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 32 GNSS सेंसर लगा रहे हैं और चेतावनी के समय को 10 मिनट से घटाकर 5 मिनट से कम करने के लिए AI/मशीन लर्निंग का उपयोग कर रहे हैं।
- स्मार्ट केबल: हालिया पहलों में समुद्र के तल पर सेंसर वाले अंडरवाटर स्मार्ट केबल विकसित करना शामिल है, ताकि समुद्र के नीचे भूस्खलन के कारण आने वाली सुनामी का पता लगाया जा सके, जिसे सतही बॉय नहीं पकड़ पाते।
- मोबाइल चेतावनी प्रणाली: INCOIS ने 2025 के अंत में एक ‘सेल ब्रॉडकास्ट कॉमन अलर्टिंग सिस्टम‘ का परीक्षण शुरू किया है, ताकि संवेदनशील क्षेत्रों में सीधे मोबाइल फोन पर तत्काल अलर्ट भेजा जा सके।
- क्षेत्रीय प्रदाता की भूमिका: भारत 28 हिंद महासागर तटीय देशों के लिए सुनामी सेवा प्रदाता (TSP) के रूप में कार्य करता है, जो रियल टाइम डेटा और परामर्श प्रदान करता है।
- IOWave25 अभ्यास: 2025 के अंत में, भारत ने अपनी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चेतावनी श्रृंखलाओं की तत्परता का परीक्षण करने के लिए IOWave25 मॉक ड्रिल (25 सितंबर – 5 नवंबर) का समन्वय किया।
- वैश्विक संगोष्ठी: नवंबर 2025 में भारत ने 32वीं अंतरराष्ट्रीय सुनामी संगोष्ठी की मेजबानी की, जिसमें गैर-भूकंपीय सुनामी की पहचान तथा जलप्लावन मॉडलिंग के लिए उच्च-प्रदर्शन संगणना पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।
- वैश्विक मान्यता: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 नवंबर को ‘विश्व सुनामी जागरूकता दिवस’ के रूप में घोषित किया है।
