संदर्भ:

भारत ने 18 मई, 2024 को अपने पहले परमाणु परीक्षण ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा के पचास वर्ष पूरे कर लिए। 

परीक्षण की पृष्ठभूमि

भारत में परमाणु ऊर्जा के परीक्षण की आधारशिला भारतीय वैज्ञानिक होमी जे. भाभा और विक्रम साराभाई ने रखी थी।

भारत ने वर्ष 1967 में परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किये थे।

18 मई, 1974 को भारत ने 10-15 किलोटन क्षमता वाले प्लूटोनियम उपकरण का सफलतापूर्वक भूमिगत परीक्षण किया।

परीक्षण किया गया उपकरण एक विखंडन उपकरण था और इससे वायुमंडल में कोई रेडियोधर्मिता उत्सर्जित नहीं हुई थी।

संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के बाद भारत सफल परमाणु परीक्षण करनेवाला विश्व का छठा देश बन गया।

इसका कोड नाम “स्माइलिंग बुद्धा” इसलिए रखा गया क्योंकि परीक्षण की तिथि को गौतम बुद्ध की जन्म तिथि बुद्ध जयंती थी।

विदेश मंत्रालय ने इस परीक्षण को पोखरण-1 नाम दिया क्योंकि यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण नामक स्थान पर आयोजित किया गया था।

  • वर्ष 1998 में भारत ने एक बार फिर पोखरण में परमाणु परीक्षण किया और इसे ऑपरेशन शक्ति नाम दिया तथा स्वयं को पूर्ण परमाणु संपन्न राष्ट्र घोषित किया।

परमाणु अप्रसार संधि (NPT)

अमेरिका द्वारा जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिराए जाने और वर्ष 1949 में सोवियत संघ द्वारा परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद, यह निर्णय लिया गया कि परमाणु हथियारों से होनेवाली भारी तबाही को रोकने के लिए कुछ नियमों की आवश्यकता है।

परिणामस्वरूप वर्ष 1968 में एक संधि पर हस्ताक्षर किये गये, जिसे परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Nonproliferation Treaty-NPT) कहा गया।

  • इसके हस्ताक्षरकर्ताओं ने किसी अन्य देश को परमाणु हथियार या परमाणु हथियार प्रौद्योगिकी हस्तांतरित न करने पर सहमति व्यक्त की।
  • गैर-परमाणु राष्ट्र इस बात पर सहमत हुए कि वे परमाणु हथियार प्राप्त नहीं करेंगे, उनका विकास नहीं करेंगे या अन्यथा (किसी अन्य माध्यम से) अधिग्रहण नहीं करेंगे।

यह संधि वर्ष 1970 में लागू हुई। बाद में, वर्ष 1995 में संधि को अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया गया। पाँच परमाणु-हथियार संपन्न देशों सहित कुल 191 देश इस संधि में शामिल हो चुके हैं।

भारत के परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने की वजह

भारत ने भेदभावपूर्ण निरस्त्रीकरण नीति का विरोध किया तथा सभी राष्ट्रों पर परमाणु हथियारों के पूर्ण प्रतिबंध की वकालत की।

चूंकि संधि के तहत केवल उन पांच देशों को ही संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद अपने हथियार रखने की अनुमति थी, जिन्होंने 1 जनवरी, 1967 से पहले परमाणु हथियार का निर्माण और विस्फोट किया था, इसलिए भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए।

  • ये देश हैं चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका।
  • उपरोक्त देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पी-5 राष्ट्र (स्थायी सदस्य) भी हैं।

परमाणु परीक्षण का महत्व

  • भारत ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए अपनी तकनीक विकसित करने हेतु यह कार्यक्रम चलाया और उसका परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं था।
  • भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के पांच स्थायी सदस्यों (पी-5) के अलावा परमाणु परीक्षण करने वाला पहला देश बन गया। 

परमाणु परीक्षण के बाद आलोचना और प्रतिक्रिया

  • भारत के परमाणु परीक्षणों के बाद, व्यापक निंदा हुई, कनाडा ने महत्वपूर्ण प्रतिबंध लगाए और अमेरिका ने सहायता रोक दी। अन्य देशों ने भी प्रतिबंध लगाए।
  • परमाणु सामग्री और प्रौद्योगिकी के निर्यात को विनियमित करने के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की स्थापना की गई।
  • पाकिस्तान ने कहा कि वह कभी भी “परमाणु ब्लैकमेल” के आगे नहीं झुकेगा या “भारतीय आधिपत्य या उपमहाद्वीप पर प्रभुत्व” को स्वीकार नहीं करेगा।

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