संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ और उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध।
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।
संदर्भ:
हाल ही में, सेना प्रमुख ने विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर कारगिल के द्रास सेक्टर की अपनी यात्रा के दौरान थल सेना को भविष्य के लिए तैयार बल में रूपांतरित करने की रूपरेखा प्रस्तुत की।
अन्य संबंधित जानकारी
- थल सेनाध्यक्ष ने ‘रुद्र’ सर्व-शस्त्र ब्रिगेड, ‘भैरव’ लाइट कमांडो बटालियन, ‘शक्तिबाण’ आर्टिलरी रेजिमेंट और ‘दिव्यास्त्र’ बैटरियां, ड्रोन से लैस पैदल सेना (इन्फेंट्री) बटालियन और स्वदेशी वायु रक्षा प्रणालियों की स्थापना की घोषणा की।
- थल सेनाध्यक्ष ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की भौगोलिक स्थिति और सीमाओं पर लगातार हो रही झड़पों को देखते हुए, थल सेना वायु रक्षा को स्वदेशी मिसाइल प्रणाली के साथ घातक बनाने के लिए आवश्यक मारक क्षमता प्रदान की जा रही है।
एकीकृत युद्ध समूहों के बारे में (IBGs)
- एकीकृत युद्ध समूह (IBGs) छोटी और तीव्र सैन्य इकाइयाँ हैं। इनका आकार लगभग एक ब्रिगेड जितना होता है। ये समूह आधुनिक युद्धों में सेना को बेहतर ढंग से लड़ने में मदद करेंगे।
- बेहतर परिणामों के लिए ये उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करेंगे। प्रत्येक IBGs का गठन तीन कारकों के आधार पर किया जाएगा: दुश्मन से खतरा, ज़मीन या भू-भाग और जिस मिशन को ये पूरा करेगा।
- IBGs की शुरुआती योजनाओं के अनुसार, इनका नेतृत्व मेजर-जनरल रैंक का एक अधिकारी करेगा। प्रत्येक IBGs में लगभग 5,000 सैनिक होंगे।
- इसकी क्षमता एक ब्रिगेड (जिसमें लगभग 3,000 से 3,500 सैनिक होते हैं) से कहीं ज़्यादा है परन्तु एक डिवीजन (जिसमें 10,000 से 12,000 सैनिक होते हैं) से कम है।
रुद्र (Rudra)
- इसके तहत, सेना में रसद और युद्ध सहायता प्रदान करने के लिए पैदल सेना, सशस्त्र पैदल सेना, बख्तरबंद इकाइयाँ, तोपखाने, विशेष बल और मानव रहित हवाई इकाइयाँ एक ही स्थान पर होंगी।
- ये आत्मनिर्भर इकाइयाँ आमतौर पर 12 से 48 घंटों के भीतर, त्वरित तैनाती की क्षमता प्रदर्शित करती हैं। इन्हें पहाड़ों, मैदानों और नियंत्रण रेखा (LoC) क्षेत्रों सहित विविध और चुनौतीपूर्ण भू-भागों में निरंतर संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर स्थित दो पैदल सेना ब्रिगेडों को सफलतापूर्वक रुद्र ब्रिगेड में परिवर्तित कर दिया गया है, जिससे परिचालन अवधारणा को बल मिला है।
भैरव (Bhairav)
- भैरव इकाइयों को अत्यधिक फुर्तीले और घातक विशेष बलों के रूप में जाना जाता है, जिन्हें विशेष अभियानों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- ये बल रणनीतिक रूप से पैदल सेना बटालियनों के भीतर स्थित हैं, जिससे उनकी समग्र परिचालन क्षमता बढ़ती है।
- इन इकाइयों को विशेष रूप से असममित खतरों का प्रभावी ढंग से जवाब देने और विवादित क्षेत्रों के भीतर सटीक संचालन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
शक्तिबाण (Shaktiban)
- शक्तिबाण, तोपखाना रेजिमेंटों की एक नई श्रेणी का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें उच्च-कैलिबर(caliber) और लंबी दूरी की मारक क्षमता है।
- ये रेजिमेंट स्वदेशी रॉकेट आर्टिलरी, उन्नत हॉवित्जर और सटीक-निर्देशित गोला-बारूद से लैस है, जो रक्षा निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं।
- शक्तिबाण रेजिमेंटों का निर्माण रुद्र ब्रिगेड सहित मोबाइल इकाइयों को मजबूत भारी तोपखाना कवर प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है, जिससे उनकी भारी गोलाबारी श्रेष्ठता सुनिश्चित होती है।
- शक्तिबाण की शुरूआत भारत की निवारक स्थिति को बढ़ाती है और केंद्रित, गतिशील मारक क्षमता के माध्यम से युद्धक्षेत्र में इसके प्रभुत्व को मजबूत करती है।
दिव्यास्त्र (Divyastra)
- दिव्यास्त्र में उन्नत लोइटरिंग म्यूनिशन (loitering munitions) का एक परिवार शामिल है, जिसे विशेष रूप से बंकरों, रडार स्टेशनों और बख्तरबंद वाहनों जैसे उच्च-मूल्य वाले दुश्मन लक्ष्यों पर सटीक हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- लॉन्च होने पर, ये ड्रोन निर्दिष्ट हवाई क्षेत्रों में घूमने की क्षमता (capability to loiter) प्रदर्शित करते हैं, और ऑनबोर्ड सेंसर या बाहरी मार्गदर्शन के माध्यम से लक्ष्यों की स्वचालित रूप से पहचान करते हैं।
- ये बाद में प्रभाव के बाद स्वयं नष्ट हो जाते हैं, और उच्च सटीकता के साथ विस्फोटक पेलोड पहुँचाते हैं।