संदर्भ:
हाल ही में, भारत की चौथी परमाणु ऊर्जा संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) को विशाखापत्तनम के शिप बिल्डिंग सेंटर (SBC) से लॉन्च किया। इसका कूट नाम एस4* (S4*) है।
अन्य संबंधित जानकारी
एस4* का प्रक्षेपण भारत के दूसरे SSBN, INS अरिघाट के अगस्त 2024 में जलावतरण के बाद हो रहा है। तीसरे SSBN, INS अरिधमान का समुद्री परीक्षण चल रहा है और अगले साल इसका जलावतरण किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) ने इस महीने की शुरुआत में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए दो घरेलू निर्मित परमाणु ऊर्जा संचालित हमलावर पनडुब्बियों (SSNs) के निर्माण को मंजूरी दी है।
नामकरण योजना: भारत की पहली पट्टे पर ली गई परमाणु हमलावर पनडुब्बी आईएनएस चक्र को एस1 नाम दिया गया, जिससे बाद की पनडुब्बियों के लिए नामकरण पैटर्न इस प्रकार है:
- आईएनएस अरिहंत-S2
- आईएनएस अरिघाट (अरिघात)-S3
- आईएनएस अरिदमन (अरिधमन)-S4
- हाल ही में लॉन्च की गई पनडुब्बी का नाम एस4* है, तथा इसका आधिकारिक नाम अभी निर्धारित नहीं किया गया है।
एस4* की मुख्य विशेषताएँ
- हाल ही लॉन्च की गई S4* एसएसबीएन में लगी लगभग 75 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी है, जो स्वदेशी सैन्य प्रौद्योगिकी विकसित करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- S4 और S4* दोनों में पूर्व के S2 और S3 की तुलना में बेहतर रिएक्टर लगे है।
- S4* बड़ा है और यह कई K-4 पनडुब्बी प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइलों (SLBM) को ले जा सकता है।
- आईएनएस अरिहंत 750 किलोमीटर की मारक क्षमता क् वाली K-15 परमाणु मिसाइलों को ले जा सकता है, जबकि S4* 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली उन्नत K-4 एसएलबीएम को ले जा सकता है। वर्ष 2020 (पहली बार) में K-4 मिसाइल का परीक्षण किया गया।
- इन मिसाइलों को उन्नत ऊर्ध्वाधर प्रणालियों के माध्यम से प्रक्षेपित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे पनडुब्बी की परिचालन क्षमता और रणनीतिक निवारण क्षमता में वृद्धि होगी।
S4* के निर्माण का महत्व
- ‘ S4* ‘ का निर्माण भारत की समुद्री परमाणु हथियार क्षमताओं को बढ़ाने के प्रयास की प्रगति को दर्शाता है।
- S4* अन्य एसएसबीएन पनडुब्बियों के साथ मिलकर भारत को अपनी समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में मदद करेगी। विशेषकर हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती की दृष्टि अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- ये पनडुब्बियां भारत को द्वितीय-आक्रमण क्षमता प्रदान करती हैं, जो इसकी परमाणु निवारण रणनीति और प्रथम-उपयोग नहीं (नो-फर्स्ट-यूज) नीति के लिए महत्वपूर्ण है।