संबंधित पाठ्यक्रम

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

संदर्भ: 

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए। 

अन्य संबंधित जानकारी

• CETA का उद्देश्य टैरिफ में कमी लाना और बाजार पहुंच बढ़ाना है। तीन साल से अधिक समय की बातचीत के बाद इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया है| इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार की मात्रा को दोगुना करना है।

  • CETA एक प्रकार का मुक्त व्यापार समझौता है जो वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार, निवेश और गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाकर देशों के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देता है।

• भारत के साथ यह समझौता यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद ब्रिटेन का सबसे बड़ा और आर्थिक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण नया द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता है।

• समझौते के तहत, दोनों देशों का लक्ष्य वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार को 25.5 बिलियन पाउंड (34.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक बढ़ाना है और उन्होंने 2030 तक व्यापार को दोगुना करके 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें 2040 तक 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त व्यापार बढ़ाने का अनुमान है।

• दोनों देशों ने एक सामाजिक सुरक्षा समझौते को अंतिम रूप दे दिया है ताकि ब्रिटेन में अल्पावधि के लिए काम करने वाले भारतीय पेशेवरों को दोनों देशों में सामाजिक सुरक्षा योगदान का भुगतान करने से रोका जा सके।

• हालाँकि, द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर चर्चा अभी भी जारी है।

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते की मुख्य विशेषताएं

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते का महत्त्व

  • अन्य मुक्त व्यापार समझौतों को आकार देना: यह यूरोपीय संघ (EU) और अन्य देशों के साथ भारत के व्यापार समझौतों के लिए टेम्पलेट बन जाएगा।
  • निर्यात में वृद्धि: भारत के फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और वस्त्र जैसे निर्यात में वृद्धि होगी, जिससे अधिक निवेश होगा और रोजगार सृजन भी बढ़ेगा|
  • सेवा व्यापार: दूरसंचार और व्यापार जैसे क्षेत्रों में भारत के सेवा निर्यात को उदारीकृत और प्रतिस्पर्धी सेवा व्यवस्था से लाभ होगा।
  • भू-आर्थिक बदलाव: ब्रिटेन का ब्रेक्सिट, भारत का क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से बाहर होना, तथा हाल की अमेरिकी व्यापार नीतियों के कारण उत्पन्न अनिश्चितता ने दोनों को नए बाजारों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है, जिसके लिए मुक्त व्यापार समझौता महत्वपूर्ण हैं।

चुनौतियाँ

  • टैरिफ और संवेदनशील वस्तुएँ: भारत ने कार और व्हिस्की जैसे ब्रिटिश सामानों पर शुल्क में कटौती पर सहमति जताई है, लेकिन कोटा और चरणबद्ध कटौती के कारण इसकी पहुँच सीमित है। इससे इन क्षेत्रों में कार्यरत भारतीय निर्माताओं के लिए चिंताएँ बढ़ रही हैं।
  • बौद्धिक संपदा: आलोचकों ने चेतावनी दी है कि इस समझौते में पेटेंट सुरक्षा शामिल है जो भारत की सस्ती जेनेरिक दवाओं का उत्पादन करने की क्षमता को सीमित कर सकती है।
  • MSMEs और उत्पत्ति के नियम: छोटी भारतीय कंपनियों को ब्रिटिश मानकों को पूरा करने के लिए उच्च अनुपालन लागत का सामना करना पड़ता है। कई कंपनियों को उत्पत्ति के नियम की जानकारी नहीं है, जिसके कारण वे टैरिफ लाभ से वंचित रह सकती हैं।

स्रोत:

https://www.india-briefing.com/news/india-uk-trade-deal-winners-and-economic-benefits-explained-38824.html/ https://www.thehindu.com/news/national/pm-modi-in-london-india-uk-free-trade-agreement-deal-keir-starmer-live-updates-july-24-2025/article69849456.ece https://indianexpress.com/article/explained/explained-economics/uk-trade-deal-india-gains-big-in-food-footwear-textile-to-cut-tariffs-in-auto-liquor-10147947/ https://www.gov.uk/government/publications/uk-india-trade-deal-conclusion-summary/uk-india-trade-deal-conclusion-summary#chapter-summary 

Shares: