संदर्भ: 6 अक्टूबर, 2025 को भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम में नौसेना डॉकयार्ड में दूसरे एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) INS एंड्रोथ का जलावतरण किया।
अन्य संबंधित जानकारी:

- 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ निर्मित आईएनएस एंड्रोथ भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- ‘एंड्रोथ’ नाम लक्षद्वीप द्वीपसमूह के एंड्रोथ द्वीप से लिया गया है। यह अपने विशाल समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- आईएनएस एंड्रोथ (P69) सेवामुक्त होने से पूर्व 27 वर्षों तक परिचालन में रहा।
- एंड्रोथ को सटीकता से पानी के नीचे के खतरों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और बेअसर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इसका निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा किया गया है।
एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) के बारे मीन
- ASW-SWC तटीय जल में पनडुब्बी रोधी युद्ध और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों (LIMO) तथा बारूदी सुरंग बिछाने के अभियानों में सक्षम हैं।
- इन युद्धपोतों में हल्के टॉरपीडो, ASW रॉकेट और बारूदी सुरंगों से युक्त घातक पनडुब्बी रोधी सूट होता है।

भारत का एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट कार्यक्रम
- ये एंटी-सबमरीन वारफेयरपोत पुराने हो चुके अभय श्रेणी के कोर्वेटों को प्रतिस्थापित करेंगे, जिन्हें 1989 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
- रक्षा मंत्रालय ने अप्रैल 2019 में कोचीन शिपयार्ड (CSL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) के साथ 16 जहाजों के लिए दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए थे।
- अनुबंधों के तहत प्रत्येक शिपयार्ड आठ जहाजों का निर्माण करेगा।
- गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्सद्वारा बनाए जा रहे जहाजों को अर्नाला-श्रेणी (Arnala-class) के रूप में जबकि कोचीन शिपयार्ड द्वारा बनाए जा रहे जहाजों को माहे-श्रेणी के जहाजों के रूप में नामित किया गया है।
