संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गगनयान कार्यक्रम का विस्तार करते हुए भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की पहली इकाई के निर्माण को मंज़ूरी दी है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • गगनयान कार्यक्रम में अब आठ मिशन शामिल होंगे, जिनमें भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिए चार आवश्यक तत्व शामिल होंगे।
  • उद्योग, शिक्षा जगत और अन्य राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग करते हुए इस कार्यक्रम का नेतृत्व इसरो द्वारा किया जाएगा।
  • इसरो गगनयान कार्यक्रम के तहत वर्ष 2026 तक चार मिशन शुरू करेगा, साथ ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के पहले मॉड्यूल और दिसंबर 2028 तक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और सत्यापन के लिए चार अतिरिक्त मिशन का भी विकास करेगा।

गगनयान मिशन

  • इस मिशन को भारत के भविष्य के मानव अंतरिक्ष अन्वेषण पहलों की नींव रखने के लिए दिसंबर 2018 में स्वीकृति प्राप्त हुई।
  • यह भारतीय प्रक्षेपण यान का उपयोग करके अल्प अवधि के लिए पृथ्वी की निम्न कक्षा में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के लिए इसरो का मिशन है।
  • इसका उद्देश्य मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए आवश्यक विभिन्न तकनीकों का परीक्षण करना है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण का सबसे जटिल रूप है।

वर्तमान गगनयान कार्यक्रम के अंतर्गत चार मिशन:

  • चन्द्रयान-4: भारत के चन्द्र मिशन का चौथा संस्करण।
  • वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM): शुक्र ग्रह (Venus) का अन्वेषण करने के उद्देश्य से एक नया मिशन।
  • भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS): भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन की पहली इकाई, जो गगनयान कार्यक्रम का विस्तार है।
  • अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (NGLV): एक नए प्रक्षेपण यान का विकास।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 

  • यह भारत की महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष परियोजना है जिसका उद्देश्य एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना है जो पृथ्वी की सतह से 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करेगा।
  • प्रारंभिक रूप, जिसे BAS-1 के नाम से जाना जाता है, को वर्ष 2028 में प्रक्षेपित करने का लक्ष्य रखा गया है तथा पूर्ण विस्तारित रूप वर्ष 2035 तक आने की उम्मीद है।
  • इस स्टेशन का भार लगभग 52 टन होगा और यह अंतरिक्ष यात्रियों को 15 से 20 दिनों तक कक्षा में रहने की अनुमति देगा।
  • इसमें क्रू कमांड मॉड्यूल, हैबिटेट मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल और डॉकिंग पोर्ट होंगे।

अंतरिक्ष स्टेशन

  • अमेरिका: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS), जो वर्ष 2000 से कार्यरत है एवं वैश्विक अनुसंधान और सहयोग के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • चीन: तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन (TSS) जून 2022 से कार्यरत है।
  • रूस: रूसी ऑर्बिटल स्टेशन (ROS) का निर्माण वर्ष 2027 में शुरू होने वाला है।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का महत्व

  • अनुसंधान प्लेटफ़ॉर्म: यह भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों और वैज्ञानिकों को सूक्ष्मगुरुत्व, खगोल विज्ञान और पृथ्वी अवलोकन में प्रयोग करने में सक्षम बनाएगा।
  • प्रौद्योगिकी विकास: यह इसके निर्माण और संचालन के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों के परीक्षण और सत्यापन के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।
  • अंतरग्रहीय मिशनों के लिए प्रवेशद्वार: यह भविष्य के अंतरग्रहीय मिशनों को सुविधाजनक बनाएगा और सहयोगात्मक अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करेगा।
  • आर्थिक प्रभाव: अंतरिक्ष एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित उच्च तकनीक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना।
  • युवाओं के लिए प्रेरणा: युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से सूक्ष्मगुरुत्व अनुसंधान में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना।
  • भविष्य के मिशनों के लिए मील का पत्थर: यह वर्ष 2035 तक भारत का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने, वर्ष 2040 तक मानवयुक्त चन्द्र मिशन को सहायता प्रदान करने तथा वर्ष 2047 तक अंतरिक्ष अन्वेषण को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Also Read:

Shares: