संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।
संदर्भ:
हाल ही में, अरुणाचल प्रदेश के मध्यवर्ती क्षेत्र के तीन ज़िलों के ग्रामीणों ने प्रस्तावित 11,000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना के विरुद्ध अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है।
अन्य संबधित जानकारी
- सियांग, ऊपरी सियांग और पश्चिम सियांग ज़िलों के ग्रामीण 11,000 मेगावाट की सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह परियोजना पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचा सकती है और उनकी सांस्कृतिक आस्था से जुड़ी सियांग नदी, जिसे आदि समुदाय ‘आने’ (मां) के रूप में मानता है, के अस्तित्व को खतरा हो सकता है।
- सियांग इंडिजिनस फार्मर्स फोरम (SIFF) ने बेगिंग में एक बड़े विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जिसमें पारदर्शिता और क्षेत्र में सशस्त्र बलों को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की गई।
- उत्तराखंड और सिक्किम में बांधों के कारण हुए भारी विनाश को उजागर करते हुए SIFF ने आपत्ति जताई कि बड़े बांधों के निर्माण की अनुमति देने से गांवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और नीचे की पहाड़ियां जलमग्न हो जाएंगी, जिससे बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा।
- केंद्र सरकार सियांग परियोजना का शीघ्र क्रियान्वयन चाहती है, ताकि चीन द्वारा नदी के ऊपरी क्षेत्र, जिसे यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है, में बनाए जा रहे 60,000 मेगावाट के बांध से उत्पन्न संभावित खतरों को रोका जा सके।
अपर सियांग परियोजना

- अपर सियांग परियोजना अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में सियांग नदी पर प्रस्तावित 11,000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना है।
- सियांग नदी:
- चीन में त्सांगपो-यारलुंग जांगबो के नाम से जानी जाने वाली यह नदी जब अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है तो इसे दिहांग (या सियांग) नदी के नाम से जाना जाता है।
- इसका उद्गम स्थल तिब्बत में कैलाश पर्वत के निकट है।
- यह नदी पूर्व की ओर लगभग 1,000 किलोमीटर तक बहती है, फिर नामचा बारवा पर्वत शिखर के चारों ओर घोड़े की नाल के आकार में तीव्र मोड़ लेते हुए अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है, जहाँ इसमें दो पर्वतीय सहायक नदियाँ — लोहित और दिबांग — आकर मिलती हैं।
- नीचे की ओर बहते हुए, जब यह नदी असम में प्रवेश करती है, तो इसे महान ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है।
सियांग परियोजना का प्रभाव
- पैतृक निवास स्थल के लिए खतरा: अरुणाचल प्रदेश में पहले से ही कई बांध हैं और नदियाँ कई वर्षों से जलविद्युत परियोजनाओं के प्रभाव को झेल रही हैं। प्रस्तावित सियांग मेगा बांध अब पैतृक भूमि के लिए गंभीर खतरा बन गया है, जो नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र, महत्वपूर्ण वन्यजीव पर्यावास और समृद्ध जैव विविधता का पोषण करती है।
- समुदायों का विस्थापन: सामाजिककार्यकर्ताओं ने परियोजना के कारण होने वाले समुदायों के विस्थापन पर चिंता जताई है तथा चेतावनी दी है कि इससे आदि जनजाति के 300 से अधिक गांव जलमग्न हो सकते हैं, जिनमें ऊपरी सियांग का जिला मुख्यालय यिंगकिओंग भी शामिल है।
- आजीविका पर प्रभाव: पीढ़ी दर पीढ़ी लोग आजीविका, सांस्कृतिक परंपराओं और जीविका के लिए इन नदियों पर निर्भर रहे हैं। प्रस्तावित बांध इस गहन जीवन शैली को खतरे में डाल सकता है।