संदर्भ:

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इस समय चीन की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। इस यात्रा के दौरान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan Economic Corridor-CPEC) के दूसरे चरण की औपचारिक घोषणा होने की उम्मीद है।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियाला

  • अप्रैल 2015 में शुरू किया गया 62 अरब डॉलर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा ग्वादर से काश्गर तक लगभग 2700 किलोमीटर तक फैला है। यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक हिस्सा है।
    बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव एक विशाल बुनियादी ढांचा निवेश परियोजना है, जिसका उद्देश्य लगभग 100 देशों में अरबों डॉलर का निवेश करके चीन के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाना है।
  • सीपीईसी को तीन चरणों में विभाजित किया गया है, पहला चरण पूरा हो चुका है, दूसरा चरण शुरू हो चुका है और तीसरा (अंतिम) चरण वर्ष 2030 तक समाप्त होने की योजना है।
  • सीपीईसी में पाकिस्तान में बिजली संयंत्र, सड़क, रेलवे और ग्वादर बंदरगाह का निर्माण शामिल हैं।
  • सीपीईसी का दूसरा चरण पिछले चरण की तुलना में 36 गुना बड़ा है। दूसरे चरण में विकसित किए जाने वाले मुख्य क्षेत्रों में उद्योग, व्यापार और कृषि शामिल हैं। दूसरे चरण के तहत करीब 27 परियोजनाओं को क्रियान्वित करने की योजना बनाई गई है।
  • यह परियोजना चीन के लिए रणनीतिक महत्व रखती है, क्योंकि इससे उसे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और समूचे पाकिस्तान में राजमार्गों के माध्यम से हिंद महासागर तक सीधी पहुंच प्राप्त हो जाएगी।

परियोजना की वर्तमान स्थिति

  • सीपीईसी के प्रारंभिक चरण में बुनियादी ढांचे, ऊर्जा और बंदरगाह विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया, लेकिन प्रगति धीमी और असंगत रही।
  • ग्वादर बंदरगाह का विकास भी कई देरी की वजहों से विशेष रूप से धीमा रहा है तथा कई परियोजनाएं अभी भी अधूरी हैं।
  • आधिकारिक चीनी सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2022 तक सीपीईसी पाकिस्तान में प्रत्यक्ष निवेश के रूप में 25.4 बिलियन डॉलर लेकर आया।

देरी के प्रमुख कारण

  • पाकिस्तान में भ्रष्टाचार, लालफीताशाही और राजनीतिक अस्थिरता पर चीनी चिंताओं के कारण सीपीईसी को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 
  • हिंसा और सुरक्षा संबंधी समस्याओं के कारण हुए बलूचिस्तान (जहां ग्वादर बंदरगाह स्थित है) में कई चीनी कामगार हताहत हुए।
  • वादों के बावजूद, सीपीईसी से संबंधित विकास से स्थानीय बलूच आबादी को कोई खास लाभ नहीं हुआ है, जिससे उनमें आर्थिक बेइंसाफी की भावना बढ़ रही है।

सीपीईसी पर पाकिस्तान की प्रमुख चिंताएं

  • पाकिस्तान की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के लिए सीपीईसी को पुनर्जीवित करना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता पर संदेह है और परियोजना का प्रभाव भी सीमित रहा है।
  • यद्यपि सीपीईसी का लक्ष्य 2 मिलियन से अधिक रोजगार सृजित करना था, लेकिन आधिकारिक आंकड़े दर्शाते हैं कि इससे बहुत कम (लगभग 2.5 लाख) रोजगार सृजित हुए हैं।
  • सीपीईसी की घोषणा के बाद से चीन के प्रति पाकिस्तान का ऋण काफी बढ़ गया है, जिससे चीन पर अत्यधिक निर्भरता और सम्प्रभुता की संभावित हानि की आशंका बढ़ गई है तथा पाकिस्तान वस्तुतः चीन का ग्राहक देश बन गया है।

सीपीईसी पर भारत का रुख

  • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर भारत का रुख कड़ा विरोध वाला है।
  • भारत सीपीईसी को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन मानता है, क्योंकि यह गलियारा जम्मू और कश्मीर के उन हिस्सों से होकर गुजरता है, जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र (पीओके) में हैं।
  • सीपीईसी में तीसरे पक्षों को शामिल करने में चीन और पाकिस्तान की रुचि के बावजूद, भारत का मानना है कि कनेक्टिविटी पहलों में सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त मानदंडों, सुशासन और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान का पालन किया जाना चाहिए।

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