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सामान्य अध्ययन-3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता और न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़े मुद्दे; सार्वजनिक वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्यप्रणाली, सीमाएं, सुधार; बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा से संबंधित विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशुपालन का अर्थशास्त्र।

संदर्भ:

भारत में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत, पशुपालन और डेयरी विभाग ने पशुओं के लिए रक्त आधान (blood transfusion) और रक्त बैंकों (blood banks) संबंधी भारत के पहले राष्ट्रीय दिशानिर्देश एवं मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) जारी किए हैं।

दिशानिर्देशों के बारे में

  • अपनी तरह का यह पहला राष्ट्रीय ढाँचा भारत में पशु रक्त आधान और रक्त बैंकिंग के लिए एक संरचित, नैतिक और आधुनिक आधार प्रदान करता है जिससे पशुओं के जीवन और किसानों की आजीविका की रक्षा की जा सकेगी तथा पशु कल्याण को बढ़ावा दिया जा सकेगा।
  • यह एक सलाहकारी और गैर-वैधानिक ढाँचा है जो संस्थानों और चिकित्सकों का मार्गदर्शन करता है। इसके साथ ही  एक परिवर्तनशील दस्तावेज़ (dynamic document) है जो नए विज्ञान, क्षेत्रीय अनुभव और हितधारकों की प्रतिक्रिया के साथ विकसित होगा।
  • ये दिशानिर्देश भारत में पशुओं को रक्त चढ़ाने (आधान) की प्रक्रिया को एक व्यवस्थित ढाँचा प्रदान करते हैं। अब तक यह काम बिना तय मानकों के केवल आपातकालीन स्थिति में किया जाता था, लेकिन इन नए नियमों से दाता (डोनर) जाँच, रक्त समूह की पहचान और रक्त भंडारण की मानकीकृत व्यवस्था सुनिश्चित होगी।

 मुख्य उद्देश्य

  • दाता चयन, रक्त संग्रह, भंडारण और आधान प्रोटोकॉल का मानकीकरण।
  • दाता पशु कल्याण और नैतिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • जूनोटिक (पशु बीमारियों संबंधी)जोखिमों को कम करने के लिए वन हेल्थ सिद्धांतों को एकीकृत करना।
  • राष्ट्रीय पशु चिकित्सा रक्त बैंक नेटवर्क की नींव रखना।
  • पशु चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान का समर्थन करना।

पशुधन आबादी

  • भारत के पास विश्व की सबसे बड़ी और विविध पशु आबादियों में से एक है। यहाँ 537 मिलियन (53.7 करोड़) से अधिक पशुधन तथा 125 मिलियन (12.5 करोड़) से अधिक पालतू/साथी जानवर हैं।”
  • अकेले पशुधन क्षेत्र राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 5.5% और कृषि सकल घरेलू उत्पाद में 30% से अधिक का योगदान देता है, जो खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण आजीविका और सार्वजनिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मुख्य दिशानिर्देश

नए दिशानिर्देश दाता चयन, रक्त संग्रहण, घटक प्रसंस्करण, भंडारण, आधान प्रक्रिया, निगरानी और सुरक्षा उपायों को कवर करने वाली एक व्यापक प्रणाली स्थापित करते हैं।

  • जैव सुरक्षा मानकों के साथ राज्य-विनियमित पशु चिकित्सा रक्त बैंकों की स्थापना।
  • असंगति को रोकने के लिए अनिवार्य रक्त टाइपिंग (blood typing) और क्रॉस-मैचिंग (cross-matching) ।
  • दाता पात्रता मानदंड जैसे आयु, वजन, टीकाकरण, रोग जांच और दान अंतराल।
  • स्वैच्छिक, गैर-पारिश्रमिक दान और सूचित सहमति पर ज़ोर देने वाला नैतिक ढाँचा।
  • रक्ताधान निगरानी, प्रतिकूल प्रतिक्रिया प्रबंधन और रिकॉर्ड रखने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएँ।
  • डिजिटल रजिस्ट्री,  रियल टाइम सूची और एक आपातकालीन हेल्पलाइन के साथ एक राष्ट्रीय पशु चिकित्सा रक्त बैंक नेटवर्क (N-VBBN) की शुरुआत।

उन्नत रक्ताधान की ओर

दिशानिर्देशों में यह परिकल्पना की गई है:

  • ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों के लिए मोबाइल रक्त संग्रह इकाइयाँ।
  • दुर्लभ रक्त प्रकारों के लिए क्रायोप्रिजर्वेशन और बायोबैंकिंग।
  • दाता-प्राप्तकर्ता मैचिंग और इन्वेंट्री डैशबोर्ड के लिए मोबाइल ऐप।
  • पशु चिकित्सकों और अर्ध-पशु चिकित्सकों के लिए विस्तारित प्रशिक्षण।
  • उन्नत रक्त आधान तकनीकों पर निरंतर अनुसंधान।

लाभार्थी

  • पशु: आपात स्थितियों और गंभीर देखभाल में सुरक्षित, जीवन रक्षक रक्ताधान सहायता
  • पशु चिकित्सक: नैदानिक अभ्यास के लिए संरचित प्रोटोकॉल और संदर्भ सामग्री
  • किसान: स्वस्थ पशुधन, कम मृत्यु दर और आजीविका की सुरक्षा
  • समाज: बेहतर पशु कल्याण और मज़बूत खाद्य सुरक्षा

मौजूदा कानूनी प्रावधान

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960: यह सुनिश्चित करना कि रक्तदान और आधान प्रक्रियाएं पशुओं को अनावश्यक दर्द या पीड़ा पहुंचाए बिना की जाएं।

  • दाता पशु कल्याण, मानवीय व्यवहार, स्वैच्छिक गैर-पारिश्रमिक दान और दान के बाद देखभाल सुनिश्चित करता है।
  • रक्त संग्रह और आधान को इस अधिनियम के तहत परिभाषित नैतिक मानदंडों का पालन करना चाहिए।

भारतीय पशु चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1984: यह पशु चिकित्सा पद्धति को विनियमित करता है और यह अनिवार्य करता है कि पशु रक्त आधान की निगरानी योग्य पशु चिकित्सकों द्वारा की जाए।

  • नैदानिक पशु चिकित्सा पद्धतियों की देखरेख के लिए भारतीय पशु चिकित्सा परिषद (Veterinary Council of India) और राज्य पशु चिकित्सा परिषदों को नियामक प्राधिकरण प्रदान करता है।

जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016: यह पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अनुपालन में पशु रक्त के संग्रह, प्रसंस्करण और आधान के दौरान उत्पन्न जैव चिकित्सा अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान का प्रावधान करता है।

स्रोत:
DD News
Dahd. Gov

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