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सामान्य अध्ययन 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन

संदर्भ: 

पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत रासायनिक प्रदूषण वाले स्थलों से निपटने के लिए पर्यावरण संरक्षण (दूषित स्थलों का प्रबंधन) नियम, 2025 को अधिसूचित किया है।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • ये नियम दूषित या प्रदूषित भूमि की पहचान, मूल्यांकन और उपचार के लिए एक संरचित ढांचा स्थापित करते हैं, साथ ही देश भर में ‘प्रदूषक भुगतान’ सिद्धांत के अनुप्रयोग के माध्यम से जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं।
  • इस नियम का उद्देश्य पर्यावरण शासन को मजबूत करना और भविष्य में संधारणीय भूमि प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना है।

दूषित स्थल

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दूषित क्षेत्रों को ऐसे क्षेत्रों के रूप में परिभाषित करता है जहां ऐतिहासिक रूप से खतरनाक अपशिष्ट डाला जाता रहा है, जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी, भूजल और सतही जल प्रदूषित होता है।
  • स्थलों में लैंडफिल, डंप, रिसाव क्षेत्र और अपशिष्ट भंडारण सुविधाएं शामिल हैं।
  • भारत ने ऐसे 103 स्थलों की पहचान की है लेकिन केवल 7 पर ही सुधार कार्य शुरू हुआ है।

पर्यावरण संरक्षण (दूषित स्थलों का प्रबंधन) नियम, 2025 के प्रमुख प्रावधान

  • स्थलों की पहचान: स्थानीय निकाय या जिला प्रशासन, स्वयं या जनता से शिकायत प्राप्त होने पर, संदूषकों से प्रभावित क्षेत्र की पहचान करेगा तथा अपने अधिकार क्षेत्र में ऐसे सभी क्षेत्रों को संदिग्ध संदूषित स्थलों के रूप में एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल पर सूचीबद्ध करेगा।
    • जिला प्रशासन को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) को संदिग्ध स्थलों की सूचना वर्ष में दो बार देनी होती है तथा “संदिग्ध दूषित स्थलों” के संबंध में अर्धवार्षिक रिपोर्ट तैयार करनी होती है।
  • राज्य बोर्ड या संदर्भ संगठन: सूचना मिलने के 90 दिनों के भीतर प्रारंभिक मूल्यांकन करना होगा और संदूषण की पुष्टि के लिए अगले 3 महीनों के भीतर विस्तृत सर्वेक्षण करना होगा।
  • मूल्यांकन: इसमें यह जांच करना शामिल है कि क्या 189 खतरनाक रसायनों (खतरनाक और अन्य अपशिष्ट नियम, 2016 के अनुसार) का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक है।
    • अधिसूचना में कृषि, आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए 189 प्रदूषकों और उनके प्रतिक्रिया स्तर का नाम दिया गया है।
    • लागत क्षतिपूर्ति और दायित्व: या तो केंद्र और राज्य एक निर्धारित व्यवस्था के तहत सफाई की लागत को वहन करेंगे, या फिर दोषी पाए जाने वालों को साइट सुधार की लागत को वहन करना होगा।
  • यदि यह साबित हो जाता है कि इस प्रदूषण के कारण जान-माल की हानि हुई है, तो कोई भी आपराधिक दायित्व भारतीय न्याय संहिता (2023) के प्रावधानों के अंतर्गत आएगा।
    • केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल: केंद्रीय बोर्ड इन नियमों के अंतर्गत संदूषण के मूल्यांकन की रिपोर्टिंग, निगरानी और दूषित स्थलों के उपचार के प्रयोजन के लिए केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल विकसित करेगा।
    • अपवाद: ये नियम रेडियोधर्मी अपशिष्ट, खनन कार्य, समुद्री तेल प्रदूषण और ठोस अपशिष्ट डंप स्थलों से उत्पन्न प्रदूषण को कवर नहीं करते हैं, क्योंकि इन्हें अलग कानून के तहत विनियमित किया जाता है।

नियमों का महत्व

  • कानूनी और नीतिगत एकीकरण: मौजूदा पर्यावरण कानूनों को पूरक बनाते हुए विनियामक अंतराल को भरता है।
  • संरचित तंत्र: सभी प्राधिकारियों के लिए स्पष्ट समय-सीमा और परिभाषित भूमिकाएं स्थापित की गईं तथा ‘प्रदूषणकर्ता भुगतान करेगा’ सिद्धांत को क्रियान्वित किया गया।
  • जवाबदेही और पारदर्शिता: सार्वजनिक रिपोर्टिंग, नियमित अद्यतन और प्रदूषक दायित्व सुनिश्चित करता है।
Sources:

https://www.thehindu.com/sci-tech/energy-and-environment/what-are-the-new-rules-on-chemically-contaminated-sites-explained/article69917568.ece#:~:text=Under%20these%20rules%2C%20the%20district,days%20of%20being%20thus%20informed.

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