संदर्भ: 

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने बासमती चावल के ‘ फुट रॉट’ रोग से निपटने के लिए एक जैव नियंत्रण एजेंट, ट्राइकोडर्मा एस्परेलम [Trichoderma Asperellum (2 प्रतिशत डब्ल्यूपी)] विकसित किया है।

मुख्य बातें:

  • पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने ट्राइकोडर्मा एस्पेरेलम को केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (Central Insecticides Board and Registration Committee-CIBRC) के पास पंजीकृत कर दिया है।
  • इस जैव नियंत्रण एजेंट का उद्देश्य विशेषकर पंजाब के किसानों को उनकी मूल्यवान बासमती चावल की फसल के लिए एक बड़ा खतरा बने ‘फुट रॉट रोग’ से निपटने में मदद करना है।
  • ट्राइकोडर्मा एस्परेलम रासायनिक कीटनाशकों का एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान करता है, जो पर्यावरणीय क्षति को न्यूनतम करते हुए ‘फुट रॉट’ रोग का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करता है। 

बासमती चावल को प्रभावित करने वाला फुट रॉट रोग

फुट रॉट रोग फुसैरियम वर्टिसिलिओइड्स (Fusarium verticillioides) नामक कवक के कारण होता है। यह पौधे को उसकी छोटी या परिपक्व अवस्था में प्रभावित कर सकता है।

  • लक्षण: इसमें पौधों का मुरझाना, पीला पड़ना और नष्ट होना शामिल है। इसके अतिरिक्त, इसके कारण जड़ें सड़ी हुई या बदरंग दिखाई दे सकती हैं।
  • जीवन चक्र: कवक मृदा के अपशिष्ट में जीवित रहता है और संक्रमित मृदा या पानी के संपर्क के माध्यम से नए पौधों को संक्रमित करता है। साथ ही, बीजाणु हवा या पानी के माध्यम से भी रोग फैला सकते हैं।

महत्व:

  • फुट रॉट रोग मुख्य रूप से बासमती चावल की नये पौधे को प्रभावित करता है, जिससे किसानों के उपज में भारी नुकसान होता है।
  • नर्सरी चरण के दौरान और मुख्य खेतों में रोपाई के बाद प्रभावी रोग रोकथाम महत्वपूर्ण है।

वर्तमान में प्रबंधन पद्धतियाँ:

  • वर्तमान में, किसान प्रारंभिक अंकुर उपचार, रोग-मुक्त बीजों का उपयोग और संक्रमित अंकुरों को नष्ट करने जैसी प्रथाओं पर भरोसा करते हैं।
  • इस रोग के प्रसार को रोकने के लिए ससमय नर्सरी प्रबंधन की भी सिफारिश की जाती है।
  • हालाँकि, कुछ मौजूदा तरीके, जैसे कि ट्राइकोडर्मा हरज़ियानम का उपयोग करके रासायनिक उपचार और स्प्रिंट 75 डब्ल्यूएस जैसे कवकनाशी (कार्बेन्डाजिम और मेन्कोजेब मिश्रित यौगिक) संभावित पर्यावरणीय और स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करते हैं।

फ़ायदे:

  • इससे रासायनिक उपचार पर निर्भरता कम होने के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य और उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
  • फसलों पर हानिकारक अवशेष का छिड़काव किए बिना फुट रॉट रोग से निपटने में आशाजनक परिणाम का धोतक है।

इसमें आने वाली चुनौतियाँ और भविष्य की योजनाएँ:

  • ट्राइकोडर्मा एस्परेलम (Trichoderma Asperellum) का व्यापक वितरण सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
  • इस समस्या के समाधान के लिए, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने व्यापक स्तर पर उत्पादन और वितरण के लिए एक निजी कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • आगामी मौसम में किसानों के लिए ट्राइकोडर्मा एस्परेलम को आसानी से उपलब्ध कराना है, जिससे पंजाब और हरियाणा में बासमती चावल की खेती के तरीकों में बदलाव आ सकता है।

Also Read :

इजरायल ने हमास के युद्धविराम प्रस्ताव को ठुकराया

Shares: