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सामान्य अध्ययन-3: पर्यावरण संरक्षण
संदर्भ:
हाल ही में, केरल और तमिलनाडु ने संयुक्त रूप से नीलगिरि तहर जनगणना की।
अन्य संबंधित जानकारी
वन एवं वन्यजीव संरक्षण मंत्री ने मन्नार में एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर तिरुवनंतपुरम में जनगणना रिपोर्ट प्रस्तुत की।
नीलगिरि तहर की आबादी का आकलन संयुक्त रूप से केरल के 89 जनगणना खंडों और तमिलनाडु के 182 जनगणना खंडों में लगातार चार दिनों तक किया गया।
‘बाउंडेड काउंट’ (Bounded Count) और ‘डबल ऑब्जर्वर’ (Double Observer) तकनीकों जैसे मानकीकृत तरीकों को अपनाने से तहर सर्वेक्षण के दौरान एकत्र किए गए आंकड़ों की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ गई।
- “बाउंडेड काउंट’” एक ऐसी विधि को संदर्भित करता है जो परिभाषित ऊपरी और निचली सीमाओं के भीतर आबादी का अनुमान लगाती है, जबकि “डबल ऑब्जर्वर” का उपयोग पारिस्थितिक सर्वेक्षण के दौरान दो स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को शामिल करके पशुओं की बहुतायत का पता लगाने और उनके होने की संभावना का आकलन करने के लिए किया जाता है।
जनगणना 2025 का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से ज्ञात क्षेत्रों का पता लगाना और खंडित तहर आबादी के बारे में जानकारी एकत्र करना, साथ ही इन आबादियों को बहाल करने के लिए आवास संपर्क को पुनः स्थापित करने की क्षमता का निरीक्षण करना था।
संयुक्त जनगणना के मुख्य बिंदु
संयुक्त जनगणना में नीलगिरि तहर की आबादी 2,668 पायी गई है।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, 1,365 तहर केरल में और 1,303 तमिलनाडु में हैं।
केरल में नीलगिरि तहर की सबसे बड़ी आबादी एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान (ENP) में पाई गई है, जिसकी संख्या 841 है।
केरल की लगभग 90% तहर आबादी मन्नार क्षेत्र में है।
तमिलनाडु में इसकी बड़ी आबादी निम्नलिखित क्षेत्रों में है:
- मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान
- ग्रास हिल्स राष्ट्रीय उद्यान
नीलगिरी तहर (नीलगिरिट्रैगस हाइलोक्रिअस)
यह एक लुप्तप्राय पर्वतीय खुरदार स्तनपायी है जो भारत के दक्षिणी पश्चिमी घाटों का स्थानिक है और मुख्यतः केरल और तमिलनाडु में पाया जाता है।
स्थानिक क्षेत्र: केरल और तमिलनाडु के दक्षिणी पश्चिमी घाटों तक सीमित।
शारीरिक विशेषताएँ:
- छोटा, खुरदुरा फर और सख्त अयाल (bristly mane)
- नर: गहरे भूरे रंग के साथ काले रंग के
- मादा और शिशु: धूसर
- दोनों लिंगों के सींग पीछे की ओर मुड़े होते हैं, नर की पीठ पर काठी के आकार (saddle-shaped ) का धूसर धब्बा विकसित होता है।

मुख्य आवास: यह मुख्यतः पर्वतीय शोला-घास के मैदानों के पारिस्थितिक तंत्रों में पाया जाता है; एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान में इसका घनत्व सबसे अधिक है।
पारिस्थितिक भूमिका: अल्पाइन घास के मैदानों के पारिस्थितिक तंत्रों को बनाए रखने में इनकी भूमिका के कारण इन्हें “पर्वत संरक्षक” कहा जाता है।
प्रजाति की विशिष्टता: देश में पाई जाने वाली 12 प्रजातियों में से यह दक्षिण भारत का एकमात्र पर्वतीय खुर वाला जानवर है।
संरक्षण स्थिति:
- IUCN लाल सूची: संकटग्रस्त
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
राज्य पशु: यह तमिलनाडु का राज्य पशु है।
सामाजिक व्यवहार: यह उन झुंडों में रहता हैं जिसमें वयस्क मादाएँ और उनकी संतति अधिक संख्या में होते हैं।

स्रोत: