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सामान्य अध्ययन-3: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय।

संदर्भ: हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक (छह वर्ष की अवधि) के लिए निर्यात संवर्धन मिशन का शुभारंभ किया। दरअसल, ऐसा अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के प्रभावों से बचने और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के निर्यातकों को समर्थन देने के लिए किया गया है। 

अन्य संबंधित जानकारी

  • इस मिशन का उद्देश्य 27 अगस्त को अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के पड़ने वाले आगामी प्रभावों का प्रबंधन करने में निर्यातकों की सहायता करना है।
  • मिशन में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जो वैश्विक टैरिफ वृद्धि के कारण तनाव की स्थिति में हैं जैसे- वस्त्र, चमड़ा, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पाद।
  • मिशन का क्रियान्वयन निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा के माध्यम से किया जाएगा। ये दोनों मिलकर वित्तीय और गैर-वित्तीय सहायता प्रणालियों को मजबूती प्रदान करेंगे।
  • विदेश व्यापार महानिदेशालय आवेदन और संवितरण प्रक्रियाओं वाले एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस मिशन को कार्यान्वित करेगा।
  • इस मिशन में एकीकृत निर्यात संवर्धन ढाँचा बनाने के लिए ब्याज समकारी योजना और बाज़ार पहुँच पहल सहित मौजूदा निर्यात सहायता योजनाओं को समेकित किया गया है।
  • मंत्रिमंडल ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए तरलता (liquidity) सहायता हेतु निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना के तहत ₹20,000 करोड़ तक की अतिरिक्त ऋण सुविधाओं को भी मंज़ूरी दी।

भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव

  • पिछले चार महीनों में भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका को होने वाले निर्यात में लगभग 40% की गिरावट आई है, जो भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजार पर पड़ने वाले दबाव को प्रतिबिंबित करता है।
  • उच्च टैरिफ बोझ के कारण कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और रसायन जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा।
  • उद्योग आकलन के अनुसार, सितम्बर के दौरान भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका को होने वाले वस्त्र और परिधान निर्यात में भी 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।
  • शिपमेंट में गिरावट आने के कारण भारत के व्यापार घाटे में वृद्धि हुई है और यह सितंबर में बढ़कर 32.15 अरब डॉलर हो गया है जोकि 13 महीने में इसका उच्चतम स्तर है।
  • अमेरिकी बाज़ार में भारत के नुकसान की आंशिक भरपाई संयुक्त अरब अमीरात और चीन के साथ व्यापार प्रवाह में सुधार से हुई, हालाँकि यह गिरावट के लिए पर्याप्त नहीं था।
  • ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ़ के झटके ने भारत को इसका सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाला निर्यात गंतव्य बना दिया है।

निर्यात संवर्धन मिशन का महत्व

  • यह मिशन एक डिजिटल रूप से संचालित ढांचे में वित्तीय और गैर-वित्तीय सहायता को एकीकृत करके भारत के निर्यात इकोसिस्टम को मजबूती प्रदान करता है।
  • यह किफायती व्यापार वित्त तक पहुँच में सुधार करके और अनुपालन-संबंधी लागतों में कटौती करके  एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है।
  • यह वैश्विक टैरिफ वृद्धि से प्रभावित क्षेत्रों जैसे-कपड़ा, चमड़ा, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पादों में रोजगार और निर्यात ऑर्डरों की सुरक्षा में मदद करता है।
  • यह उच्च रसद (लॉजिस्टिक्स) लागत, कमजोर निर्यात ब्रांडिंग और खंडित बाजार पहुंच जैसी संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करता है, जिससे दीर्घकालिक निर्यात लचीलापन संभव होता है।

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