संदर्भ:

एक हालिया जीनोमिक अध्ययन से पता चला है कि निकोबार द्वीप समूह में रहने वाली निकोबारी जनजाति , आनुवंशिक रूप से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों से निकटता रखती है।

अध्ययन के बारे में

  • यूरोपीय जर्नल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स में प्रकाशित यह अध्ययन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), कोशिकीय और आणविक जीवविज्ञान केंद्र (CCMB) और स्विट्जरलैंड के बर्न विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया था।  
  • यह जीनोमिक अध्ययन  1,559 निकोबारी जनजाति  पर किया गया।
  • यह जनजाति निकटता के संबंध में पहला विस्तृत आनुवंशिक विश्लेषण है।   
  • यह अध्ययन स्थिर डीएनए (Genomic) मार्करों पर आधारित था , जो समय के साथ धीरे-धीरे उत्परिवर्तित होते हैं, जिससे शोधकर्ताओं को जनजाति के आनुवंशिक इतिहास और उत्पत्ति का सटीक पता लगाने में मदद मिलती है।

अध्ययन के मुख्य बिन्दु

निकोबारी जनजाति आनुवंशिक रूप से थाईलैंड-लाओस सीमा क्षेत्र में रहने वाले ऑस्ट्रोएशियाटिक-भाषी ‘हतिन माल’ समुदायों से निकटता से संबंधित है ।

इस अध्ययन के अनुसार, निकोबारी लोग 4,500 से 5,000 वर्ष पूर्व निकोबार द्वीप समूह की ओर पलायन कर गए थे , उस समय दक्षिण-पूर्व एशियाई समुदायिक कृषि, कृषि और पशुपालन में लगे हुए थे।

  • पूर्व के शोधोंसे ज्ञात होता है कि निकोबारी लोगों के भाषाई पूर्वज लगभग 11,700 वर्षपूर्व प्रारंभिक होलोसीन के दौरान निकोबार द्वीपसमूह में बस गए थे ।

इन समुदायों ने अपनी कृषि पद्धतियों का विस्तार निकोबार द्वीप समूह में भी किया, जिसके परिणामस्वरूप पुरुषों और महिलाओं दोनों का प्रवासन हुआ।

यह अध्ययन निकोबारी लोगों के अद्वितीय विकासवादी इतिहास पर प्रकाश डालता है । ऐतिहासिक रूप से कृषि में संलग्नदक्षिण-पूर्व एशियाई समुदाय प्रचुर मात्रा में खाद्य उत्पादन के कारण फले-फूले, जिससे जनसंख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई। इस विस्तार को बनाए रखने के लिए, समुदाय के कुछ लोगों को अपनी कृषि-पद्धतियों को नए भौगोलिक क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिए बाध्य होना पड़ा, जिनमें से एक निकोबार द्वीप समूह था।

यह अध्ययन निकोबारी जनजाति के आनुवंशिक इतिहास और प्रारंभिक दक्षिण-पूर्व एशियाई आबादी के व्यापक प्रवासन पैटर्न के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे इस क्षेत्र में मानव विकास और बसावट की गहरी समझ विकसित करने में मदद मिलती है।

जनजाति की सुरक्षा:

  • विशेषज्ञ निकोबारी समूह को बाह्य संपर्क से बचाने के महत्व पर बल देते हैं।
  • उनके एकांतवास ने उन्हें अपनी पारंपरिक जीवन शैली और आनुवंशिक अखंडता को बनाए रखने में मदद की है, जिससे वैज्ञानिकों को जनजाति के इतिहास और वंशावली के बारे में जानने में मदद मिली है।
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