संदर्भ:
हाल ही में, शोधकर्ताओं को नागालैंड की नदियों में गर्रा जुबजेंसिस (Garra Zubzaensis) और साइलोरिन्चस कोसिजिनी या कोसिजिन (Psilorhynchus Kosygini) नामक मीठे पानी की मछलियों की दो नई प्रजातियाँ मिली है।
नई मछली प्रजातियों के बारे में:
- गर्रा जुबजेंसिस और साइलोरिन्चस (साइलोरिंचस) कोसिजिनी नागालैंड की नदियों की अनूठी जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाती है।
- टोरेंट मिन्नो (Torrent Minnows) तेज बहाव वाले पानी में अपना विकास करने में सक्षम हैं, जिससे जैव विविधता को बनाए रखने के लिए उनके पर्यावास को संरक्षित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- टोरेंट मिनो तेज प्रवाह वाली नदियों में पाई जाने वाली छोटी मीठे पानी की मछली है, जो साइलोरिंचिडे परिवार के साइलोरिंचस जीनस से संबंधित है।
गर्रा ज़ुबज़ेंसिस (Garra Zubzaensis)
पर्यावास
- इस प्रजाति की खोज और नामकरण कोहिमा जिले में स्थित ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी जुब्ज़ा के नाम पर किया गया था ।
- नदी का चट्टानी और तेज बहाव वाला वातावरण इस मछली के लिए आदर्श है।
शारीरिक विशेषताएँ
- गर्रा जुबजेन्सिस की विशेषता इसकी कम विकसित शुंड या सूंड (मुखांग), गोल थूथन और पुंछ पर एक विशिष्ट काले रंग की V-आकार की पट्टी है।
- इसके 34 पार्श्व-रेखा स्केल (lateral-line scales) है, जो इसे पानी की गतिविधियों को महसूस करने में सहायता करते हैं।
- इस मछली का शरीर सुव्यवस्थित है, जो इसे तेज़ धाराओं में तेज़ी से चलने में मदद करता है। इसकी गूलर डिस्क इसे भोजन की तलाश करते समय सतह पर चिपके रहने में सक्षम बनाती है।
साइलोरिंचस कोसिगिनी :
पर्यावास
- यह बराक नदी की सहायक तेपुइकी (Tepuiki) नदी में पाई जाती है।
- यह प्रजाति तेज बहाव वाले, छायादार जल की बजरी और चट्टानी सतह पर पाई जाती है।
शारीरिक विशेषताएँ
- साइलोरिंचस कोसिजिनी अपनी विशिष्ट शल्क के कारण जानी जाती है, जिसमें पैल्विक पंखों और गुदा द्वार के बीच 3-4 मध्य-उदर स्केल होते हैं।
- इसमें 41-42 पार्श्व-रेखा स्केल हैं, जो अशांत पानी में हलचल का पता लगाने में सहायता करते हैं।
- इसका नाम भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के एक प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. कोसिगिन लैशराम के सम्मान में रखा गया है।
- इन मछलियों की खोज दक्षिण एशियाई मीठे पानी की जैव विविधता में उनके महत्व और संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
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