संदर्भ:

हाल ही में, दक्षिणी भारतीय  राज्यों के नेताओं द्वारा  वृद्ध होती जनसंख्या और घटती  प्रजनन दर के संबंध में चिंता व्यक्त की गई है। 

अन्य संबंधित जानकारी     

  • आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री ने बढ़ती बुजुर्ग जनसांख्यिकी के कारण राज्य की  जनसंख्या को बढ़ाने की तत्काल  आवश्यकता व्यक्त की है और अधिक बच्चे पैदा करने को प्रोत्साहित करने के लिए कानून बनाने की घोषणा की है। 
  • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने भी इसी विचार की पुनरावृति करते हुए सुझाव दिया कि आगामी निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद कम प्रजनन दर दक्षिण के राजनीतिक प्रभाव को कम कर सकती है।
  • प्रजनन दर में कमी के कारण भारत में समग्र वृद्धावस्था देखने को मिल रही है, तथा अनुमान है कि वर्ष 2050 तक प्रत्येक पाँच में से एक व्यक्ति 60 वर्ष से अधिक आयु का होगा।  

वृद्ध होती जनसंख्या     

वृद्ध होती जनसंख्या आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे दक्षिण भारत के राज्यों के सामने एक बड़ी चुनौती बन गई है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2036 तक इन राज्यों में  वृद्धों की जनसंख्या में अप्रत्याशित वृद्धि होगी।

  • वर्ष 2036 तक दक्षिण भारत के राज्यों में प्रति 100 युवा पर 61.7 बुजुर्ग व्यक्ति होने की संभावना है, जबकि मध्य भारत में यह आँकड़ा मात्र 27.8 होगा।

केरल की आबादी में बुजुर्गों की हिस्सेदारी 16.5 प्रतिशत से बढ़कर 22.8 प्रतिशत होने का अनुमान है, जबकि तमिलनाडु में यह 13.7 प्रतिशत से बढ़कर 20.8 प्रतिशत हो जाएगी।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, दक्षिण भारत के राज्यों की औसत आयु इस प्रकार है: केरल (31.9 वर्ष), तमिलनाडु (29.9); आंध्र प्रदेश (27.6); कर्नाटक (27.4); और तेलंगाना (26.7)।

  • इसकी तुलना में, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में औसत आयु क्रमशः 21.5 वर्ष और 19.9 वर्ष थी।

दक्षिणी भारत में  प्रजनन दर में अप्रत्याशित गिरावट  देखने को मिली  है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में प्रति वयस्क महिला का औसतन प्रजनन दर 1.5 से 1.6 हैं, जो राष्ट्रीय औसत 2 से बहुत कम है।

हाल के अध्ययनों के अनुसार, दक्षिणी राज्यों  का एजिंग इंडेक्स (प्रति 100 बच्चों पर बुजुर्ग व्यक्तियों की संख्या) – बहुत अधिक होने का अनुमान  है।  

  • उत्तरी राज्यों की तुलना में दक्षिणी राज्यों में प्रजनन दर अधिक बढ़ेगी, क्योंकि वहां प्रजनन दर पहले ही कम हो चुकी है। उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश के प्रजनन दर को अगले वर्ष  उत्तर प्रदेश के प्रजनन दर के स्तर तक पहुँचने की संभावना है, जो कि आंध्र प्रदेश में बीस वर्ष बाद देखने को मिलेगा।

वृद्ध होती जनसंख्या का प्रभाव    

राजनीतिक प्रतिनिधित्व: जैसे-जैसे दक्षिण भारत के राज्यों में जनसंख्या स्थिर या घटती है, वैसे-वैसे संसद में उनका प्रतिनिधित्व कम हो सकता है, जिससे उनकी राजनीतिक शक्ति और संसाधन आवंटन प्रभावित हो सकता है, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे अधिक आबादी वाले  राज्यों को अतिरिक्त  प्रतिनिधित्व मिलने की  संभावना है।

  • परिसीमन,जनसंख्या परिवर्तन के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का पुनः निर्धारण  करने की प्रक्रिया है। यह जनसांख्यिकीय परिवर्तनों से संबंधित एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

आर्थिक और स्वास्थ्य देखभाल संबंधी चुनौतियाँ: दक्षिण भारत के राज्यों में वृद्ध व्यक्तियों की बढ़ती संख्या के कारण स्वास्थ्य देखभाल की लागत बढ़ने और सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों पर अतिरिक्त भार बढ़ने की संभावना है। वृद्ध होती आबादी का उच्च प्रतिशत यह संकेत देता है कि राज्य को बढ़ती हुई आबादी की देखभाल पर अधिक खर्च करना पड़ सकता है।

  • यह पेंशन प्रणालियों और सामाजिक सुरक्षा पर दबाव बढ़ा  रहा है। 

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