संदर्भ:
हाल ही में, अफगानिस्तान ने घोषणा की कि 10 अरब डॉलर की तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) गैस पाइपलाइन पर निर्माण कार्य शुरू हो गया है, जिसमें क्षेत्र में सुरक्षा समस्याओं की वजह से कई बार देरी हुई है।
तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन के विवरण
- यह एक प्रमुख परियोजना है जिसका उद्देश्य तुर्कमेनिस्तान से प्राकृतिक गैस को दक्षिण एशिया के तीन अन्य देशों तक पहुंचाना है।
- यह पाइपलाइन दक्षिण-पूर्वी तुर्कमेनिस्तान के गल्किनिश गैस क्षेत्र से निकाली गई 33 बिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस का निर्यात करेगी।
- इसका वित्तपोषण एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank-ADB) द्वारा किया गया है।
- पाइपलाइन की लंबाई: लगभग 1,800 किलोमीटर (1,120 मील)
मार्ग:
- तुर्कमेनिस्तान: गल्किनीश गैस क्षेत्र से शुरू होता है।
- अफ़गानिस्तान: हेरात और कंधार से होकर गुजरता है।
- पाकिस्तान: बलूचिस्तान प्रांत से होकर गुजरता है।
- भारत: फाजिल्का, पंजाब में समाप्त।
गैस वितरण:
- पाकिस्तान और भारत: प्रत्येक 47.5% गैस खरीदेंगे।
- अफगानिस्तान: 5% गैस प्राप्त करेगा तथा पारगमन शुल्क के रूप में प्रतिवर्ष लगभग 500 मिलियन डॉलर अर्जित करेगा।
तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन की पृष्ठभूमि
- 1990 का दशक: इस गैस पाइपलाइन परियोजना की परिकल्पना तुर्कमेनिस्तान के गैस भंडार को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के माध्यम से गल्किनिश क्षेत्र से भारत तक पहुँचाने के लिए की गई थी।
- मार्च 2003: भारत को इस परियोजना में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया।
- दिसंबर 2010: पाइपलाइन के लिए एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, लेकिन तकनीकी, वित्तीय और सुरक्षा समस्याओं के कारण परियोजना में देरी हुई।
- वर्ष 2016: चारों देशों ने इस पाइपलाइन परियोजना के लिए एक प्रारंभिक निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- वर्ष 2021: पाइपलाइन के चालू होने की उम्मीद थी, लेकिन अफगानिस्तान में राजनीतिक अशांति के कारण निर्माण को रोक दिया गया।
तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन का महत्व
भारत
- ऊर्जा सुरक्षा: यह भारत को प्राकृतिक गैस जरूरतों की महत्वपूर्ण मात्रा की आपूर्ति करेगा, जिससे देश को ऊर्जा सुरक्षा में योगदान मिलेगा और अन्य स्रोतों पर निर्भरता कम होगी। भारत की उच्च ऊर्जा मांगों को देखते हुए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
- क्षेत्रीय सहयोग: इस गैस पाइपलाइन में भाग लेकर भारत तुर्कमेनिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूत करेगा तथा क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग एवं स्थिरता को बढ़ावा देगा।
अफ़ग़ानिस्तान
- आर्थिक प्रभाव: इस पाइपलाइन से अफगानिस्तान में 12,000 नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) की तुलना में कम लागत पर गैस उपलब्ध होगी, जिससे विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
- सामरिक महत्व: वर्ष 2021 के बाद से तालिबान के लिए सबसे महत्वपूर्ण विकास परियोजना के रूप में, यह क्षेत्रीय सहयोग में अफगानिस्तान की भूमिका को बढ़ावा देता है और मध्य और दक्षिण एशिया में प्रमुख ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है।