संदर्भ:
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने बताया कि वर्ष 2024 की पहली तिमाही में भारतीय लोगों को डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी में ₹120 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।
अन्य संबंधित जानकारी
- गृह मंत्रालय, जो भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cybercrime Coordination Centre-I4C) के माध्यम से केंद्रीय स्तर पर साइबर अपराध की निगरानी करता है, ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डिजिटल अरेस्ट डिजिटल धोखाधड़ी का एक प्रचलित तरीका बन गई हैं।
इन धोखाधड़ी को अंजाम देने वालों में से कई लोग तीन दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों: म्यांमार, लाओस और कंबोडिया से जुड़े हुए हैं। - भारत को वर्ष 2024 की पहली तिमाही में ट्रेडिंग घोटालों में ₹1,420.48 करोड़, निवेश घोटालों में ₹222.58 करोड़ और डेटिंग घोटालों में ₹13.23 करोड़ का नुकसान हुआ।
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष की पहली तिमाही में 7.4 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं, जबकि वर्ष 2023 में 15.56 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं थीं।
- हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने भी ‘मन की बात’ के 115वें एपिसोड में राष्ट्र को संबोधित करते हुए “डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी” पर चिंता जताई थी।
‘डिजिटल अरेस्ट’ क्या है?
- इसमें घोटालेबाज जाँच एजेंसियों या कानून प्रवर्तन निकायों, जैसे सीबीआई, नारकोटिक्स ब्यूरो, भारतीय रिजर्व बैंक, ट्राई, सीमा शुल्क या कर विभाग के अधिकारी बनकर धोखाधड़ी करते हैं।
- घोटालेबाज, वास्तविक दिखने के लिए नकली पुलिस स्टेशन सेट, वेशभूषा और बैज का उपयोग करते हुए, व्हाट्सएप और स्काइप जैसे प्लेटफार्मों पर फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से संभावित पीड़ितों से संपर्क करते हैं।
- कुछ पीड़ितों को “डिजिटल रूप से गिरफ्तार” कर लिया जाता है, जिसका अर्थ है कि उन्हें मांगें पूरी होने तक ऑनलाइन रहने और घोटालेबाजों के लिए दृश्यमान बने रहने हेतु मजबूर किया जाता है।
- यह जटिल धोखा, अधिकार की भावना पैदा करता है, तथा पीड़ितों पर अनुपालन हेतु दबाव डालता है।
साइबर अपराध के विरुद्ध प्रमुख पहल
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): इसकी शुरुआत वर्ष 2020 में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमताओं को बढ़ाने और साइबर अपराध से निपटने वाले विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय में सुधार करने हेतु किया गया था।
माइक्रोसॉफ्ट के साथ सहयोग करने के बाद, इसने ऐसी गतिविधियों से जुड़ी 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को ब्लॉक कर दिया है। - राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: इसे भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के एक भाग के रूप में शुरू किया गया है। यह पीड़ितों/शिकायतकर्ताओं को सभी प्रकार के साइबर अपराध की शिकायतों को ऑनलाइन रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करता है।
ऐसे कॉल प्राप्त करने वाले लोगों को तुरंत साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर या http://www.cybercrime.gov.in पर घटना की सूचना देनी चाहिए। - साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (CFMC): इसे भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र में बैंकों, भुगतान एग्रीगेटर्स, दूरसंचार कंपनियों, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं, केंद्रीय एजेंसियों और स्थानीय पुलिस को एक सहयोगी मंच पर एकजुट करके ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने हेतु गठित किया गया था।
- समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली): यह एक वेब-आधारित प्रणाली है जो देश भर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए साइबर अपराध के डेटा संग्रह, डेटा साझाकरण, अपराध मानचित्रण, डेटा विश्लेषण, सहयोग और समन्वय मंच हेतु वन स्टॉप पोर्टल के रूप में कार्य करता है।
- ‘साइबर कमांडो’ कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के अंतर्गत देश में साइबर सुरक्षा परिदृश्य के खतरों का मुकाबला करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय पुलिस संगठनों में प्रशिक्षित ‘साइबर कमांडो’ की एक विशेष शाखा स्थापित की जाएगी।