संदर्भ  

टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) के अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2022 में मुँह के कैंसर (ओरल कैंसर) के कारण देश की उत्पादकता हानि लगभग 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।

अन्य संबंधित जानकारी     

  • मुँह के कैंसर के कारण होने वाली वैश्विक मृत्यु दर में भारत का योगदान दो-तिहाई है।
  • इस रोग के प्रारंभिक और उन्नत चरण वाले रोगियों की औसत आयु 47 वर्ष थी, और रोग-विशिष्ट जीवित रहने की दर क्रमशः 85 प्रतिशत और 70 प्रतिशत थी।
  • 91प्रतिशत मौतें या कैंसर की लाइलाज पुनरावृत्ति कम आयु के समूहों में हुई, जिनकी औसत आयु 41.5 वर्ष थी।
  • इस अध्ययन के अनुसार, कैंसर के प्रारंभिक चरण में उत्पादकता हानि 41,900 अमेरिकी डॉलर और उन्नत चरण में 96,044 अमेरिकी डॉलर थी।
  • जनसंख्या स्तर की दरों के आधार पर, वर्ष 2022 में असामयिक मृत्यु की कुल लागत 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 0.18 प्रतिशत है।   
  • असामयिक मृत्यु के कारण उत्पादकता हानि की गणना मानव पूँजी दृष्टिकोण नामक पद्धति का उपयोग करके की गई।

महत्व       

  • जन स्वास्थ्य जागरूकता: यह शोध मुँह के कैंसर के जोखिम कारकों, लक्षणों और शीघ्र पहचान की रणनीतियों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के महत्व को रेखांकित करता है।   
  • आर्थिक बोझ: यह रिपोर्ट भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और कार्यबल उत्पादकता पर मुँह के कैंसर के कारण पड़ने वाले भारी आर्थिक बोझ को रेखांकित करती है।
  • कार्यवाही का आह्वान: यह अध्ययन भारत में मुँह के कैंसर से निपटने के लिए प्रभावी रोकथाम कार्यक्रमों और शीघ्र पहचान के उपायों को लागू करने के लिए कार्यवाही का आह्वान करता है।

मुँह के कैंसर

ओरल कैंसर, जिसे मुँह के कैंसर के रूप में भी जाना जाता है, कैंसर की दर में होने वाली वृद्धि को संदर्भित करता है, जो ओठ, जीभ, मसूड़ों, आंतरिक गाल, मुँह का ऊपरी हिस्सा और गले के पीछे का हिस्सा (ऑरोफरीनक्स) पर देखने को मिलते हैं। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन जल्दी पता लगने और उपचार के द्वारा रोग का निदान बेहतर हो सकता है।          

कारण       

  • तम्बाकू का सेवन: इसके प्रमुख जोखिम कारकों में धूम्रपान, चबाने वाली तम्बाकू और धुआँ रहित तम्बाकू शामिल हैं।
  • शराब का सेवन: ज्यादा शराब पीने से विशेषकर, जब इसे तंबाकू के साथ लिया जाए, तो मुँह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी): एचपीवी के कुछ खास प्रकार, विशेष रूप से एचपीवी 16, कुछ मुँह के कैंसर, विशेषकर ऑरोफरीन्जियल कैंसर से संबंधित होते हैं।
  • सूर्य के संपर्क में आना: ज्यादा धूप के संपर्क में आने से होंठ के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
  • आनुवंशिकी: कुछ लोगों में मुँह के कैंसर होने की आनुवंशिक संभावनाएँ अधिक होती है।

लक्षण        

  • मुँह के घाव/छाले: ऐसा घाव जो दो सप्ताह में ठीक नहीं होता है, जो विशेषकर ओंठ, जीभ या मुँह के अंदर होते है।
  • सफेद या लाल धब्बे: ल्यूकोप्लाकिया (सफेद धब्बा) और एरिथ्रोप्लाकिया (लाल धब्बा) मुँह के कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
  • मसूड़ों से खून आना: मसूड़ों से बिना किसी कारण के खून आना एक चेतावनी वाला संकेत हो सकता है।
  • हिलते हुए दाँत: बिना किसी स्पष्ट कारण के दाँतों का हिलना इसका एक लक्षण हो सकता है।
  • गले में गाँठ: गले में गाँठ, विशेषकर जबड़े के पास, इस बीमारी के फैलने का संकेत हो सकता है।

उपचार:

  • शल्य चिकित्सा (सर्जरी): यह सबसे आम उपचार है, जिसमें अक्सर कैंसरग्रस्त ऊतक और उसके आसपास के स्वस्थ ऊतक को हटाया जाता है।
  • विकिरण थेरेपी: इसमें कैंसर वाली कोशिकाओं को नष्ट करने हेतु उच्च ऊर्जा वाले एक्स-रे या विकिरण के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है।
  • कीमोथेरेपी: इसमें कैंसर रोधी दवाओं का उपयोग पूरे शरीर में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
  • लक्षित थेरेपी: ये दवाएँ कैंसर की कोशिकाओं की विशिष्ट कमजोरियों को लक्षित करती हैं।
  • इम्यूनोथेरेपी: यह थेरेपी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मदद करती है।

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