संदर्भ: 

लैंसेट का मानना है कि वैश्विक जीवन प्रत्याशा कोविड-19 महामारी से उबर रही है तथा अनुमान है कि वर्ष 2050 तक इसमें 5 वर्ष की वृद्धि होगी।

मुख्य अंश

कोविड-19 का प्रभाव और उससे उबरना: लैंसेट में प्रकाशित शोध के अनुसार, जीवन प्रत्याशा (जिसमें वर्ष 1990 से सुधार हो रहा था), महामारी के कारण वर्ष 2020 में वृद्धि दर में मंदी देखी गई।

  • सौभाग्य से, वर्ष 2022 से वर्ष 2023 तक, वैश्विक जीवन प्रत्याशा संख्या पूर्व-महामारी के स्तर को पार कर जाएगी।
  • अध्ययन में अतीत की तुलना में धीमी, लेकिन फिर भी सकारात्मक, गति का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 2022 से वर्ष 2050 तक जीवन प्रत्याशा में औसतन 0.16 वर्ष प्रतिवर्ष की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि वर्ष 1990 से वर्ष 2019 के बीच यह 0.27 वर्ष प्रतिवर्ष थी।

कार्यप्रणाली: शोधकर्ताओं ने वर्ष 2050 तक 204 देशों और क्षेत्रों के लिए दिव्यांगता के साथ बिताए गए वर्षों, दिव्यांगता-समायोजित जीवन-वर्ष (DALY) और स्वास्थ्य समायोजित जीवन प्रत्याशा (HALE) के अनुमानों का विश्लेषण किया।

ऐतिहासिक संदर्भ 

  • अध्ययन में पाया गया कि वर्ष 1990 से वर्ष 2019 तक समग्र वैश्विक जीवन प्रत्याशा में 7.8 वर्ष की वृद्धि हुई।
  • हालाँकि, वर्ष 2019 से वर्ष 2021 तक, कोविड-19 के कारण 2.2 साल की गिरावट आई, जो अन्य बीमारियों में कमी से थोड़ी कम हो गई, जिसके परिणामस्वरूप 1.6 साल की शुद्ध कमी आई।
  • वर्ष 2022 से वर्ष 2050 तक उच्च आय वाले क्षेत्रों, उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया और ओशिनिया में जीवन प्रत्याशा वृद्धि दर में उल्लेखनीय मंदी।

भारत की जीवन प्रत्याशा  

  • भारत में, पुरुषों और महिलाओं की जीवन प्रत्याशा वर्ष 1990 में 60 और 62 वर्ष से बढ़कर महामारी से पहले क्रमशः 68 और 72 वर्ष हो गई। कोविड-19 के कारण इसमें अस्थायी गिरावट आई।
  • हालाँकि, वर्ष 2050 तक भारत में पुरुषों की औसत आयु 76 वर्ष और महिलाओं की 80 वर्ष तक पहुँचने की उम्मीद है।

भविष्य का दृष्टिकोण

  • सदी के मध्य तक वैश्विक जीवन प्रत्याशा वर्ष 2022 में 73.6 वर्ष से बढ़कर वर्ष 2050 में 78.1 वर्ष हो जाने का अनुमान है।
  • जीवन प्रत्याशा में वृद्धि का श्रेय सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों (जिससे जीवित रहने की दर में सुधार होता है) को दिया जाता है।
  • संक्रामक रोगों से गैर-संक्रामक रोगों की ओर रोग के बोझ में बदलाव की भविष्यवाणी की गई है।

दिव्यांगता-समायोजित जीवन-वर्ष (DALY)

यह बीमारी या विकलांगता के कारण खोए गए वर्षों को मापता है। यह निम्न दो कारकों को जोड़ता है:

  • खोए हुए जीवन वर्ष (YLLs): इसमें किसी बीमारी या स्वास्थ्य स्थिति के कारण हुई असामयिक मृत्यु को शामिल किया जाता है।
  • दिव्यांगता के साथ जीए गए वर्ष (YLDs): यह बीमारी, दिव्यांगता या चोट के कारण जीवन की कम गुणवत्ता के साथ जीए गए वर्षों को दर्शाता है।

स्वास्थ्य समायोजित जीवन प्रत्याशा (HALE)

  • जीवन प्रत्याशा हमें बताती है कि कोई व्यक्ति औसतन कितने समय तक जीने की उम्मीद कर सकता है। स्वास्थ्य समायोजित जीवन प्रत्याशा उन वर्षों की गुणवत्ता पर विचार करके इसे एक कदम आगे ले जाता है।
  • यह उन वर्षों की औसत संख्या को दर्शाता है, जिनमें एक व्यक्ति किसी विशिष्ट आयु में अच्छे स्वास्थ्य, बीमारी या दिव्यांगता से मुक्त जीवन जीने की उम्मीद कर सकता है।
  • मूलतः, स्वास्थ्य समायोजित जीवन प्रत्याशा समग्र स्वास्थ्य और कल्याण की अधिक व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करता है।

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