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सामान्य अध्ययन-2: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्यप्रणाली; वैधानिक, नियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।

संदर्भ: 

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने निर्णय दिया कि सात वर्ष वकालत का अनुभव रखने वाले न्यायिक अधिकारी संविधान के अनुच्छेद 233 के तहत जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होंगे।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के मुख्य बिंदु

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि ऐसे न्यायिक अधिकारी जिन्होंने सेवा में आने से पहले बार में सात साल की प्रैक्टिस पूरी कर ली है, वे अब जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अर्ह होंगे।
  • पीठ ने स्पष्ट किया कि संविधान का अनुच्छेद 233(2), जो अधिवक्ताओं के लिए योग्यता निर्धारित करता है, उन न्यायिक अधिकारियों को इसके दायरे से बाहर नहीं करता है जिसके पास पहले से ही बार का अनुभव हो।
  • न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 233 की व्याख्या संदर्भपरक होनी चाहिए, न कि केवल शाब्दिक। न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि प्रतिस्पर्धा को सीमित करने वाली प्रतिबंधात्मक व्याख्याओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
  • इस निर्णय ने रामेश्वर दयाल बनाम पंजाब राज्य (1960) और चंद्र मोहन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1966) में दी गई पूर्व व्याख्याओं का खंडन किया, जिसमें पहले से ही बार का अनुभव रखने वाले सेवारत अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया था।
  • पीठ ने कहा कि इस तरह के बहिष्कार से सक्षम न्यायिक अधिकारियों को अवसरों से वंचित होना पड़ता है, जिससे न्यायिक गतिशीलता और दक्षता में कमी आती है।
  • न्यायालय ने निर्देश दिया कि यह निर्णय भविष्य में भी लागू रहेगा, तथा अंतरिम आदेशों को छोड़कर पिछली भर्ती प्रक्रियाओं को सुरक्षित रखा जाएगा।
  • इसने राज्य सरकारों को उच्च न्यायालयों के परामर्श से इस निर्णय के अनुरूप तीन महीने के भीतर भर्ती नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया।
  • न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करने का अधिकार केवल तभी निलंबित होता है जब कोई न्यायिक सेवा में शामिल हो जाता है परन्तु उसका नाम बार सूची में बना रहता है।
  • पीठ ने आगे कहा कि उम्मीदवारों के पास अधिवक्ता और न्यायिक अधिकारी के रूप में कम से कम सात वर्ष का संयुक्त अनुभव होना चाहिए और आवेदन की तिथि पर उनकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।

जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए संवैधानिक प्रावधान

किसी राज्य में जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति, तैनाती और पदोन्नति राज्य के राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय के परामर्श से की जाती है।

जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाले व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए:

  • वह पहले से ही केंद्र या राज्य सरकार की सेवा में नहीं होना चाहिए।
  • वह सात वर्षों तक अधिवक्ता या अभिभाषक (Pleader) रहा हो।
  • उसकी नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय द्वारा सिफारिश की गई हो।

किसी राज्य की न्यायिक सेवा में व्यक्तियों (जिला न्यायाधीशों के अलावा) की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग और उच्च न्यायालय से परामर्श के बाद की जाती है।

निर्णय का महत्व

  • यह निर्णय जिला न्यायाधीश पदों के लिए पात्र उम्मीदवारों की संख्या का विस्तार करता है, तथा न्यायपालिका में पदोन्नति में आए ठहराव को संबोधित्त करता है।
  • यह पूर्व वकालत अनुभव को मान्यता देकर योग्यता-आधारित न्यायिक प्रणाली को बढ़ावा देता है।
  • यह निर्णय एकसमान भर्ती नियम बनाने में राज्यों और उच्च न्यायालयों के बीच संघीय सहयोग को सुदृढ़ करता है।

Source:
Indian Express
Scob Server
The Hindu

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