संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री ने राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में देश भर में जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) के तहत एकत्रित और व्यय की गई धनराशि के बारे में जानकारी दी।
अन्य संबंधित जानकारी
- नवंबर 2024 तक देश भर के DMF में ₹1.02 लाख करोड़ की संचयी राशि एकत्र की गई है, जिसमें से 3.60 लाख परियोजनाओं के लिए ₹87,357.28 करोड़ मंजूर किए गए हैं।
- कुल 2.01 लाख परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 54,892 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा चुकी है।
जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) के बारे में
DMF एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट है जिसकी स्थापना राज्य सरकारों द्वारा खनन-संबंधी कार्यों से प्रभावित प्रत्येक जिले में की जाती है।
इसकी स्थापना खान एवं खनिज विकास विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2015 की धारा 9(B) के तहत की गई है।
DMF का उद्देश्य खनन संबंधी कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित में राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित तरीके से कार्य करना है।
इसका वित्तपोषण जिले में प्रमुख या लघु खनिज रियायत के धारकों के अंशदान के माध्यम से किया जाता है, जैसा कि केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
- खनन पट्टा धारकों को राज्य सरकारों को दी जाने वाली रॉयल्टी के अलावा DMF को रॉयल्टी का 10% और 30% (खनन पट्टा दिए जाने की तिथि के आधार पर) देना होता है। इन निधियों का उपयोग खनन गतिविधियों से प्रभावित समुदायों के कल्याण के लिए किया जाता है।
इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि स्थानीय समुदाय, जो प्रायः आदिवासी और सबसे गरीब लोग होते हैं, अपने क्षेत्रों से निकाले जा रहे प्राकृतिक संसाधनों से लाभान्वित हों।
भारत के 23 राज्यों के 645 जिलों में जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) स्थापित किए गए हैं, जहां DMF नियमों को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा लागू किया गया है।
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) का कार्यान्वयन संबंधित जिलों के DMF द्वारा DMF में प्राप्त धनराशि का उपयोग करके किया जाता है।
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना:
खनन गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्रों और लोगों की मदद के लिए इसे 2015 में खान मंत्रालय के तहत लॉन्च किया गया था। इस योजना के समग्र उद्देश्य हैं –
- खनन प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक और कल्याणकारी परियोजनाओं/कार्यक्रमों को लागू करना जो मौजूदा राज्य और केंद्र सरकार के कार्यक्रमों का समर्थन और पूरक हों।
- खनन जिलों में पर्यावरण, लोगों के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर खनन के हानिकारक प्रभावों को कम करना।
- खनन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए आय के दीर्घकालिक, स्थायी स्रोत सुनिश्चित करना।
DMFs के लिए PMKKKY संशोधित दिशानिर्देश
PMKKKY योजना के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, केंद्र सरकार ने जनवरी, 2024 में संशोधित PMKKKY दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं –
- DMF निधि का कम से कम 70% खनन से सीधे प्रभावित क्षेत्रों और पेयजल, पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण उपाय, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, महिलाओं और बच्चों के कल्याण, वृद्धों और दिव्यांगों के कल्याण, कौशल विकास और आजीविका सृजन, स्वच्छता आदि जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में खर्च किया जाना चाहिए।
- जबकि 30% तक निधियों का उपयोग अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे भौतिक अवसंरचना, सिंचाई, ऊर्जा और वाटरशेड विकास आदि के लिए किया जाएगा।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा DMF खातों का अनिवार्य ऑडिट का प्रावधान है।
- DMF शासी परिषद में निर्वाचित प्रतिनिधियों (सांसद, विधायक, एमएलसी) को शामिल करना।
- मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय निगरानी समिति की स्थापना। o ग्राम सभा और स्थानीय निकाय DMF निधि के उपयोग के लिए दीर्घकालिक योजना तैयार करने में मदद कर सकते हैं।
- अनुसूचित क्षेत्रों (आदिवासी क्षेत्रों) में DMF निधियों का उपयोग संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों द्वारा निर्देशित किया जाएगा:
- संविधान का अनुच्छेद 244 और अनुसूची V और VI।
- पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम, 1996।
- आदिवासी और वन-निवासी समुदायों के लिए वन अधिकार अधिनियम, 2006।