संदर्भ: 

हाल ही में, 400 से अधिक प्रतिनिधि कावांगो-ज़ाम्बेजी (काज़ा) ट्रांस-फ्रंटियर कंजर्वेशन एरिया (TFCA) शिखर सम्मेलन हेतु जाम्बिया में एकत्र हुए हैं।

काजा-टीएफसीए शिखर सम्मेलन

  • कार्यक्रम का अवलोकन: पांच दिवसीय कार्यक्रम में अंगोला, बोत्सवाना, नामीबिया, जाम्बिया और जिम्बाब्वे के प्रतिनिधियों के साथ-साथ वन्यजीव, संरक्षण और पर्यटन विशेषज्ञ भी शामिल हुए, ताकि पहल की प्रगति की समीक्षा की जा सके और इसके भविष्य की योजना बनाई जा सके।

काजा-टीएफसीए पृष्ठभूमि: काजा क्षेत्र ओकावांगो और ज़ाम्बेजी नदी घाटियाँ सहित पांच दक्षिणी अफ्रीकी देशों में फैली 520,000 वर्ग किलोमीटर की आर्द्रभूमि है।

  • यहां विश्व की सबसे बड़ी हाथी आबादी सहित भारी संख्या में वन्यजीव प्रजातियां मौजूद हैं।
  • काजा (KAZA) राष्ट्रों ने वर्ष 2006 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2011 में काजा (KAZA) संधि हुई और उसके बाद उसका कार्यान्वयन हुआ।
  • इस साझेदारी का उद्देश्य एकीकृत सीमापार प्रबंधन के माध्यम से जैव विविधता का संरक्षण करना तथा प्रकृति आधारित पर्यटन के माध्यम से ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

विषय: “पारिस्थितिकी क्षेत्र के समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में काजा की प्राकृतिक पूंजी और सांस्कृतिक विरासत संसाधनों का लाभ उठाना।” यह शिखर सम्मेलन “पारिस्थितिकी क्षेत्र के समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में काजा की प्राकृतिक पूंजी और सांस्कृतिक विरासत संसाधनों का लाभ उठाना।” विषय पर आयोजित किया गया। 

संरक्षण प्रयास और उपलब्धियां: काजा की लगभग 70% भूमि संरक्षण के लिए समर्पित है, जिसमें 103 वन्यजीव प्रबंधन क्षेत्र और 85 वन आरक्षित क्षेत्र शामिल हैं।

  • इस क्षेत्र में तीन विश्व धरोहर स्थल: ज़ाम्बेजी नदी पर स्थित विक्टोरिया फॉल्स (जो ज़ाम्बिया और ज़िम्बाब्वे के बीच सीमा बनाता है) तथा बोत्सवाना में ओकावैंगो डेल्टा और त्सोडिलो हिल्स शामिल हैं।
  • वर्ष 2022 की हाथी जनगणना से पता चला है कि काजा क्षेत्र में हाथियों की स्थिर आबादी लगभग 230,000 है।

चर्चा के प्रमुख मुद्दे: चर्चा के प्रमुख मुद्दे: शिखर सम्मेलन में हाथियों की अत्यधिक जनसंख्या, वन्यजीव शिकार कर बनायी गयी ट्रॉफी के आयात पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध, हाथी उत्पाद व्यापार पर सीआईटीईएस के प्रतिबंध और क्षेत्रीय संरक्षण प्रयासों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा की जाएगी।

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