संदर्भ:
मध्य प्रदेश सरकार ने गाँधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीता पुनरुत्पादन परियोजना (Cheetah Reintroduction Project) की तैयारियाँ पूरी कर ली हैं।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह वन्यजीव अभ्यारण्य कुनो राष्ट्रीय उद्यान के बाद भारत में चीतों का दूसरा घर बनने जा रहा है।
- इससे पहले केन्या और दक्षिण अफ्रीका की टीमों ने वन्यजीव अभयारण्य की स्थितियों का आकलन करने के लिए गाँधी सागर वन्यजीव अभ्यारण्य का दौरा किया था।
- स्वस्थ शिकार आधार बनाए रखने के लिए कान्हा, सतपुड़ा और संजय बाघ अभयारण्यों से शिकार जानवरों को गाँधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित कर दिया गया है।
चीता के बारे में
- यह एक बड़ी बिल्ली (Big Cat) प्रजाति है, जो कि ज़मीन पर रहने वाली सबसे तेज़ स्तनपायी है।
- इसकी दो उप-प्रजातियाँ हैं:
IUCN के अनुसार, एशियाई चीता गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) है जो कि वर्तमान में केवल ईरान में पाया जाता है।
अफ्रीकी देशों में अफ्रीकी चीता की कई उप-प्रजातियाँ विभिन्न पाई जाती हैं। यह IUCN रेड लिस्ट में एक असुरक्षित (VU) प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध है। - भारत कभी एशियाई चीता का घर था, लेकिन वर्ष 1952 में इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया।
गाँधी सागर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में
- यह मालवा पठार की पश्चिमी सीमा पर विशाल चंबल नदी के किनारे स्थित है। यह मध्य प्रदेश के दो जिलों मंदसौर और नीमच में फैला हुआ है।
- इसे मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 1974 में कुल 224.65 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया। बाद में, वर्ष 1983 में 143.970 वर्ग किलोमीटर के एक और क्षेत्र भी अभयारण्य में शामिल किया गया।
- वर्तमान में, यह 368 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है तथा इसके आस-पास 2,500 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र है।
- भूभाग: इसका अधिकांश हिस्सा समतल है, लेकिन कुछ स्थान पर पहाड़ियाँ भी पाई जाती हैं।
- तापमान: औसत वार्षिक अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमशः 420C और 100C के बीच रहता है। जून महीना वर्ष का सबसे गर्म महीना होता है।
कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता पुनरुत्पादन परियोजना पर एक नजर
- सितंबर, 2022 में, नामीबिया से लाए गए आठ चीते – पाँच मादा और तीन नर – को कुनो राष्ट्रीय उद्यान के बाड़ों में छोड़ा गया।
- फरवरी, 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए।
- वर्तमान में, 20 वयस्क चीतों में से केवल 13 ही जीवित बचे हैं। इन चीतों से प्रजनित 13 और शावकों के बाद कुनो में वर्तमान में चीतों की कुल संख्या 26 हो गई है।
- अब तक हुई 7 चीतों की मौत पर वन्यजीव विशेषज्ञों ने उद्यान प्रशासन की तीखी आलोचना की है।
- अधिकारियों के अनुसार, भारत में चीतों के प्रबंधन में एक बड़ी चुनौती यह थी कि कुछ जानवरों में भारतीय ग्रीष्म और मानसून के दौरान, अफ्रीकी सर्दियों (जून से सितंबर) की आशंका के कारण, अप्रत्याशित रूप से शीतकालीन आवरण विकसित हो जाता था।
- सर्दियों के मौसम में चीतों के शरीर पर उगने वाले बालों के बढ़ने के साथ-साथ उच्च आर्द्रता और तापमान के कारण चीतों की गर्दन में खुजली होने लगी, जिसके परिणामस्वरूप चोट के निशान के साथ-साथ त्वचा दिखने लगी। इसके कारण उनके शरीर पर कीड़े लग गए, जीवाणुओं (बैक्टीरिया) का संक्रमण के अलावा सेप्टीसीमिया (Septicemia) हो गया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः तीन चीतों की मौत हो गई।
- इससे सबक लेते हुए, भारत अब उन चीतों का आयात करने की योजना बना रहा है, जिनका बाल सर्दियों में अधिक मोटा नहीं होता है।
- इसके अतिरिक्त, कुनो में पहले से मौजूद चीतों के लिए वन अधिकारी संक्रमण की रोकथाम हेतु उन्हें मानसून के आगमन से पहले ही रोग-रोधी दवा (Prophylactic Medicine) देने की योजना बना रहे हैं।
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