संदर्भ   

हाल ही में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में गंगा नदी के किनारे चल रही अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की है।   

अन्य संबंधित जानकारी:

  • वर्ष 2017 के आदेश का उल्लंघन: एनजीटी ने कहा कि सरजूपुर्वा में गंगा के बाढ़ क्षेत्र का अतिक्रमण किया जा रहा है, जो गंगा पुनरुद्धार परियोजना (हरिद्वार से उन्नाव और कानपुर) के लिए उसके वर्ष 2017 के आदेश का सीधे तौर पर उल्लंघन है।
  • प्रदूषण संबंधी चिंताएँ: नदी में अवशिष्ट, पॉलीथीन और सीवेज डालने के कारण जल की गुणवत्ता को गंभीर खतरा है।
  • निर्देश की अवहेलना: एनजीटी द्वारा वर्ष 2017 के आदेश में नदी के किनारे100 मीटर का बफर जोन  बनाने का आदेश दिया था, जिसमें किसी भी प्रकार का विकास कार्य या निर्माण नहीं किया जा सकता है। परंतु इसे लागू नहीं किया गया।
  • अपर्याप्त सीवेज उपचार: स्नान घाटों तक जाने वाली नालियों के माध्यम से नदी में बहने वाले सीवेज के उपचार पर कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है।
  • संदिग्ध निर्माण अनुमतियाँ: एनजीटी ने विनियमन क्षेत्र में दी गई निर्माण अनुमतियों के बारे में चिंता व्यक्त की, जो गंगा नदी (पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण के आदेशों (2016 और 2024) का उल्लंघन है।

आगामी कदम 

  • ज़ोन का सीमांकन: एनजीटी ने वर्ष 2016 के आदेश के अनुसार “नो डेवलपमेंट ज़ोन” और “नो कंस्ट्रक्शन या रेगुलेटरी ज़ोन” के उचित सीमांकन का निर्देश दिया है।
  • कानपुर नगर निगम की प्रतिक्रिया: अधिकरण ने सीवेज उपचार योजनाओं के संबंध में कानपुर नगर निगम से विस्तृत प्रतिक्रिया माँगी है।
  • उत्तर प्रदेश परिषद की प्रतिक्रिया: परिषद को इस मुद्दे पर जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है।

चुनौतियाँ और उपाय    

  • सतत बनी रहने वाली चुनौतियाँ: इस पहल के बावजूद, अपर्याप्त सीवेज उपचार, खराब अपशिष्ट प्रबंधन और बाढ़ क्षेत्र के अतिक्रमण के कारण गंगा को स्वच्छ करने की प्रक्रिया कठिन हो गई है।
  • प्रवर्तन संबंधी बातें: पर्यावरण संबंधी नियमों और अधिकरण के आदेशों का प्रभावी प्रवर्तन प्रदूषण फैलाने वालों पदार्थों को प्रतिबंधित कर सकता है और उनका अनुपालन सुनिश्चित कर सकता है।
  • बाढ़ के मैदानों की सुरक्षा: बाढ़ के मैदानों की सुरक्षा हेतु गैर-विकास क्षेत्रों का स्पष्ट सीमांकन और अतिक्रमण संबंधी दंड जैसे सख्त उपाय किए जा सकते हैं।
  • सीवेज अवसंरचना: बेहतर सीवेज उपचार संयंत्र और सख्त अपशिष्ट जल प्रबंधन कानपुर जैसे शहरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

एनजीटी के बारे में    

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम के तहत की गई थी।
  • यह पर्यावरण संबंधी मामलों को शीघ्रता एवं प्रभावी ढंग से निपटाने में विशेषज्ञ अधिकरण है।
  • यह पर्यावरण संरक्षण, वन संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण से संबंधित मुद्दों की सुनवाई करने के साथ-साथ क्षति के लिए राहत और मुआवजा प्रदान करता है।
  • यह नियमित न्यायालयों की मानक सिविल प्रक्रिया के बजाय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होकर स्वतंत्र रूप से कार्य करता है।

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