संदर्भ:

हाल ही में, जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में खाद्य उत्पादन और गंभीर खाद्य असुरक्षा पर गर्मी और पानी की कमी के वैश्विक प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।

अन्य संबंधित जानकारी   

  • इस रिपोर्ट में विभिन्न जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों के तहत वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2050 तक खाद्य उत्पादन प्रतिशत में अनुमानित गिरावट पर प्रकाश डाला गया है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक गर्मी और जल संकट के कारण खाद्य उत्पादन में 14 प्रतिशत तक की वैश्विक गिरावट आ सकती है, जिससे वैश्विक खाद्य असुरक्षा और भी गंभीर हो सकती है।
  • गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो सकती है, जो संभवतः वर्ष 2020 की तुलना में 1.36 बिलियन तक पहुँच सकती है।
  • पहले से ही, वर्ष 2023 में 59 देशों में लगभग 282 मिलियन लोग   उच्च स्तर की  गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
  • जलवायु परिवर्तन, विशेषकर चरम मौसम की घटनाएँ, इस संकट को बढ़ाने वाला दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कारक थी ।
  • वास्तव में, लगातार चार वर्षों से, गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों का अनुपात लगभग 22 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बना हुआ है, जो कि कोविड-19 से पूर्व के स्तर से काफी अधिक है।
  • मई, 2024 भूमि और महासागरीय सतहों के लिए संयुक्त रूप से दर्ज सबसे गर्म मई का महीना था, जिसमें पिछले 11 महीनों से रिकॉर्ड तोड़ मासिक तापमान के रुझान को जारी रखा।
  • जून, 2024 में भी इसी पैटर्न के जारी रहने की संभावना है, जो कि संभवतः लगातार दूसरे वर्ष तापमान का रिकॉर्ड तोड़ देगा।
  • चीन और आसियान देशों  जैसे क्षेत्र, जो परंपरागत रूप से शुद्ध खाद्य निर्यातक हैं, वर्ष 2050 तक आयातक बन सकते हैं, क्योंकि उपर्युक्त कारणों से  उनका  कृषि उत्पादन  प्रभावित हो सकता  है।
  • इस का व्यापक प्रभाव वैश्विक खाद्य उत्पादन में यह बदलाव वैश्विक व्यापार के संचालन और खाद्य कीमतों पर गंभीर  प्रभाव डाल सकता  है।

भारत पर प्रभाव

  • विशेषकर, भारत असुरक्षित है। इस अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि सबसे खराब जलवायु परिवर्तन परिदृश्य के तहत वर्ष 2050 तक खाद्य उत्पादन में 16.1 प्रतिशत की कमी आएगी।
  • इस प्रकार की गिरावट , जल की कमी और जनसंख्या वृद्धि जैसी मौजूदा चुनौतियों के साथ मिलकर, भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए एक भयावह  तस्वीर पेश करती है।

वैश्विक स्तर पर प्रभाव

वैश्विक खाद्य उत्पादन में यह बदलाव क्षेत्रीय खाद्य कीमतों में वृद्धि और व्यापार प्रवाह को बाधित कर सकता है, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव(domino effect) पड़ सकता है। इस अध्ययन में निम्नलिखित क्षेत्रों में खाद्य उत्पादन में कमी के असमान प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया है : –

  • चीन: यहाँ खाद्यान्न उत्पादन में 22.4 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: यहाँ 12.6 प्रतिशत तक की कमी आने की संभावना है।
  • अफ्रीका: यहाँ खाद्य उत्पादन में 8.2 से 11.8 प्रतिशत तक की कमी आने की संभावना है।
  • ऑस्ट्रेलिया: यहाँ 14.7 प्रतिशत तक की कमी आने की संभावना है।
  • मध्य अमेरिका: यहाँ के कुछ भागों में 19.4 प्रतिशत तक की कमी आने की संभावना है।

 क्या कदम उठाए जाने चाहिए?

  • शमनकारी  रणनीतियाँ: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए नीतियाँ और प्रौद्योगिकियाँ महत्वपूर्ण हैं और इन्हें समयबद्ध तरीके से  लागू किया जाना चाहिए।
  • अनुकूलन रणनीतियाँ: गर्मी और जल की कमी के प्रति अधिक लचीलापन लाने हेतु कृषि पद्धतियों को मजबूत करना, जल संरक्षण को बढ़ावा देना और सूखा प्रतिरोधी फसलों को विकसित करना आवश्यक  है।
  • खाद्य प्रणालियों को मजबूत करना: बुनियादी ढाँचे में निवेश करने, खाद्य अपव्यय  को कम करने और सतत  कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने से खाद्य सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।

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