संदर्भ
हाल ही में, एस्ट्राजेनेका ने अपने टीके (वैक्सीन) से बहुत दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसिस के साथ-साथ थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के बीच के संबंध की संभावना को स्वीकार किया है।
पृष्ठभूमि
- वैश्विक दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि कोविड-19 के बचाव हेतु लगाई जाने वाली उसकी एजेडडी1222 वैक्सीन थ्रोम्बोसिस के साथ-साथ थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) का कारण बन सकती है, जिससे प्लेटलेट्स की संख्या कम हो सकती है और “बहुत दुर्लभ” मामलों में रक्त के थक्के बन सकते हैं।
- कोविड-19 महामारी के दौरान, एस्ट्राजेनेका ने कोविशील्ड के उत्पादन हेतु पुणे स्थित वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को अपने वैक्सीन फॉर्मूले का अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) दिया।
- भारत में 175 करोड़ से अधिक कोविशील्ड डोज लगाई जा चुकी हैं।
मुख्य बातें
- एस्ट्राजेनेका की यह स्वीकारोक्ति टीकाकरण के बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के संबंध में ब्रिटेन में दायर वाद (मुकदमा) के जवाब में आई है।
पहले ही जताई गई चिंताएँ:
- वर्ष 2021 में भी इसी तरह की चिंताएँ जताई गईं, जिसके कारण कुछ यूरोपीय देशों में इसके टीके पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई।
- भारत सरकार ने प्लेटलेट की संख्या के कम होने की स्थिति में कोविशील्ड के लिए एक चेतावनी तथ्य पत्रक (Cautionary Fact Sheet) जारी किया।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने टीटीएस के मामलों को स्वीकार किया है, लेकिन इसके जोखिम को बहुत कम माना है।
भारत में दर्ज मामले:
- मई, 2021 में, 26 थ्रोम्बोम्बोलिक के मामलों के संभावना की सूचना दी गई, जो कि प्रारंभिक प्रशासित डोजों के बाद सामने आई।
- सरकारी समिति द्वारा कम से कम 36 टीटीएस मामलों की पुष्टि की गई, जिसमें से ज्यादातर मामलें वर्ष 2021 में, टीकाकरण के पहले वर्ष में दर्ज किए गए।
- इन पुष्ट हुए टीटीएस के मामलों में से 18 लोगों की मौतें हुईं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि यूरोपीय लोगों की तुलना में दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई मूल के लोगों में रक्त के थक्के बनने का खतरा कम है।
- वर्ष 2023 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैक्सीन-प्रेरित टीटीएस (वीआईटीटी) को टीटीएस श्रेणी में वर्गीकृत किया।
सरकार का पक्ष:
- कोविशील्ड के टीकों के लगाने से रक्त के थक्के जमने का जोखिम नगण्य है, अर्थात, यह प्रति दस लाख खुराक पर 0.61 मामला है।
- कोविड-19 संक्रमण और इससे होने वाली मृत्यु को रोकने में कोविशील्ड के लाभ इसके जोखिमों से कहीं अधिक हैं।
- कोवैक्सिन (स्वदेशी भारतीय टीका अर्थात, वैक्सीन) के कारण कोई भी टीटीएस के मामले सामने नहीं आए।
थ्रोम्बोसिस के साथ-साथ थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस)
टीटीएस को रक्त के थक्के (थ्रोम्बोसिस) के साथ प्लेटलेट्स का कम स्तर के रूप में चिन्हित किया गया है:
- (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया), जो रक्त के थक्के जमने के लिए आवश्यक हैं।
- थ्रोम्बोसिस नसों और धमनियों में रक्त के प्रवाह को बाधित कर सकता है, इसके स्थान के आधार पर इसकी जटिलताएँ भिन्न हो सकती हैं। सबसे गंभीर मामलों में स्ट्रोक, दिल का दौरा और महत्वपूर्ण श्वसन कठिनाइयाँ शामिल हैं।
टीटीएस के लक्षण
- सांस फूलना
- छाती या लिम्ब में दर्द
- पिनहेड के आकार के लाल धब्बे या इंजेक्शन को लगाने वाले स्थान से अलग त्वचा पर जलने का निशान लगना
- सिर दर्द
- शरीर के अंगों का सुन्न हो जाना
सहरुग्णता संबंध
हालाँकि टीटीएस कुछ टीके लगाने वाले किसी भी व्यक्ति में हो सकता है, जो कि पहले से मौजूद कुछ चिकित्सीय जोखिम को बढ़ा सकती हैं। इन संभावित सहरुग्णताओं में शामिल हैं:
- ऑटोइम्यून बीमारियाँ: यह ऐसी स्थिति है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊतकों पर हमला करती है (उदाहरण के लिए, ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया)।
- रक्त के थक्के बनने संबंधी विकार: ऐसी स्थितियाँ जो रक्त को अधिक आसानी से थक्का बनने में मदद करती हैं (जैसे, डीप वेन थ्रोम्बोसिस, पल्मोनरी एम्बोलिज्म)
- कैंसर: कुछ कैंसर से रक्त के थक्के बनने का खतरा बढ़ सकता है।
क्या अब कोई ख़तरा है?
विशेषज्ञों का कहना है कि टीटीएस की ज़्यादातर घटनाएँ टीकाकरण के बाद पहले 21 दिनों के अंदर देखने को मिली है, और इसके केवल कुछ प्रतिशत घटनाओं में ही घातक परिणाम देखने को मिले है। इसके टीका लगे हुए दो साल से ज़्यादा समय हो चुके हैं, और इसका कोई दीर्घकालिक प्रभाव देखने को नहीं मिला है। इसलिए, विशेषज्ञ इस बात को लेकर आश्वस्त करते हैं कि इस समय कोई दवा लेने की ज़रूरत नहीं है।