संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री जी-वन (जैव इंधन-वातवरण अनुकूल फसल अवशेश निवारण) के संशोधन को मंजूरी दे दी।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस पहल का उद्देश्य जैव ईंधन में नवीनतम प्रगति के साथ तालमेल बिठाना और महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित करना है।
- योजना की संशोधित कार्यान्वयन अवधि को पांच वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है, जो अब वर्ष 2028-29 तक चलेगी।
- इस योजना में अब लिग्नोसेल्यूलोसिक फीडस्टॉक्स (कृषि और वानिकी अवशेष, औद्योगिक अपशिष्ट, संश्लेषण गैस, शैवाल) से प्राप्त उन्नत जैव ईंधन को शामिल किया गया है।
परियोजनाओं हेतु पात्रता:
- “बोल्ट-ऑन” संयंत्र और “ब्राउनफील्ड परियोजनाएं” अब पात्र हैं, जिससे उन्हें अपने मौजूदा बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता का उपयोग करने की अनुमति मिल जाएगी।
नवाचार पर केंद्रित ध्यान:
- इसमें नई प्रौद्योगिकियों और नवाचारों वाले परियोजना प्रस्तावों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे जैव ईंधन क्षेत्र में विविध तकनीकी दृष्टिकोणों को बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री जी-वन योजना
- यह योजना दूसरी पीढ़ी (2जी) जैव ईंधन संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई थी।
- योजना कार्यान्वयन एजेंसी: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoP&NG) के तहत उच्च प्रौद्योगिकी केंद्र (CHT)।
उद्देश्य
- लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक का उपयोग करके एकीकृत बायोएथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
मुख्य शब्द
- लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास (Lignocellulosic biomass): यह पौधे के बायोमास को संदर्भित करता है जो सेल्यूलोज, हेमिसेल्यूलोज और लिग्निन से बना होता है, जैसे- अनाज का भूसा, वन अवशेष, आदि।
उद्देश्य
- यह योजना किसानों को लाभकारी आय प्रदान करती है, पर्यावरण प्रदूषण से निपटती है, स्थानीय रोजगार पैदा करती है तथा मेक इन इंडिया मिशन को सहायता देते हुए भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करती है।
- प्रधानमंत्री जी-वन योजना के माध्यम से उन्नत जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता, सतत और आत्मनिर्भर ऊर्जा क्षेत्र के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- इसका उद्देश्य पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण को सुगम बनाना है, जो पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ गया है। यह पहल वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु महत्वपूर्ण है, जिससे एक हरित भविष्य में योगदान मिलेगा।
इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम की पृष्ठभूमि
- इथेनॉल मिश्रण में वृद्धि: 38 करोड़ लीटर (ईएसवाई 2013-14) से 500 करोड़ लीटर (ईएसवाई 2022-23) तक, जिसमें सम्मिश्रण प्रतिशत 1.53% से बढ़कर 12.06% हो गया।
- लक्ष्य: ई.एस.वाई. 2025-26 तक 20% इथेनॉल सम्मिश्रण प्राप्त करना।
- क्षमता आवश्यकता: 1100 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत; 1750 करोड़ लीटर आसवन क्षमता की आवश्यकता।
2जी इथेनॉल पर ध्यान केंद्रित
- वैकल्पिक स्रोत: अधिशेष बायोमास, कृषि और औद्योगिक अपशिष्ट से द्वितीय पीढ़ी (2G) इथेनॉल पर जोर।
- वित्तीय सहायता: 2जी बायो-इथेनॉल परियोजनाओं हेतु 7 मार्च, 2019 को प्रधानमंत्री जी-वन योजना अधिसूचित की गई।
उल्लेखनीय परियोजनाएँ:
- इस योजना के अंतर्गत, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा पानीपत, हरियाणा में पहली 2जी इथेनॉल परियोजना (अगस्त 2022 में उद्घाटन)।
- बीपीसीएल, एचपीसीएल और एनआरएल द्वारा क्रमशः बरगढ़ (ओडिशा), बठिंडा (पंजाब) और नुमालीगढ़ (असम) में स्थापित की जा रही अन्य 2जी वाणिज्यिक परियोजनाएं भी लगभग पूरी होने वाली हैं।