संदर्भ      

हाल ही में, कश्मीर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान में चार हिम तेंदुओं (पैंथेरा अनसिया) को कैमरे में कैद किया।  

अन्य संबंधित जानकारी     

  • ये साक्ष्य महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में हिम तेंदुओं की मौजूदगी का पहला फोटोग्राफिक साक्ष्य है।
  • शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हिम तेंदुओं के पर्यावास क्षेत्रों में ऊँचे स्थानों पर वहाँ के निवासियों द्वारा पशुओं के चरने जाने के कारण यहाँ महत्वपूर्ण मानवजनित दबाव होता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव-वन्यजीव संघर्ष देखने को मिलता है। 
  • ग्रीष्म ऋतु (मई-अगस्त) के दौरान तेंदुए इन पशुधन-चरागाह क्षेत्रों से दूर रहते हैं।    

भारत में हिम तेंदुए की आबादी 

  • भारत में हिम तेंदुओं की जनसंख्या का आकलन  (Snow Leopard Population Assessment in India- SPAI) कार्यक्रम के अनुसार, भारत में हिम तेंदुओं की अनुमानित संख्या 718 है।
  • इसमें से लद्दाख में हिम तेंदुओं की अधिकतम संख्या (477) होने का अनुमान है, इसके बाद उत्तराखंड (124), हिमाचल प्रदेश (51), अरुणाचल प्रदेश (36), सिक्किम (21), और जम्मू और कश्मीर (9) हैं।
  • ये भारत में हिमालय के ऊँचे क्षेत्रों के लगभग 1 लाख वर्ग किमी के क्षेत्र पर पाए जाते हैं।
  • भारत में हिम तेंदुओं की संख्या वैश्विक आबादी का 10-15% है, जो वैश्विक संरक्षण प्रयासों के महत्व को दर्शाता है।

किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान     

किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान जम्मू और कश्मीर के चिनाब घाटी क्षेत्र में स्थित है, और इसका विस्तार 2,191 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है।

  • किश्तवाड़, डोडा और रामबन मिलकर केंद्र शासित प्रदेश के चिनाब घाटी क्षेत्र का निर्माण करते हैं।
  • यह उद्यान चिनाब नदी के ऊपर और नागिन शीर ग्लेशियर (Nagin Sheer glacier) के नीचे 1,800 से 6,000 मीटर की ऊँचाई तक विस्तृत है।
  • उद्यान के ऊँचे दर्रे हिम तेंदुओं की आबादी को जोड़ते हैं तथा ट्रांस-हिमालय और हिमालयी क्षेत्रों हेतु वैश्विक स्तर पर हिम तेंदुओं की रेंज के लिए एक गलियारे के रूप में काम करते हैं, जिससे स्वस्थ आबादी के लिए आवश्यक जीन मूवमेंट होता है।

शोधकर्ताओं द्वारा अपनाई गई पद्धति      

  • वैज्ञानिकों की एक टीम ने अध्ययन क्षेत्र को 5 × 5 किमी के प्रकोष्ठ के ग्रिड में विभाजित किया और मई, 2022 से जून, 2023 तक एक वर्ष हेतु उद्यान के भीतर 57 स्थानों पर 40 कैमरा ट्रैप को लगाया गया ।
  • जानवरों का पता लगाने की संभावना को अधिकतम करने हेतु कैमरों को रणनीतिक रूप से प्राकृतिक मार्गों, ट्रेल जंक्शनों और रिज लाइनों पर लगाया गया था।
  • हिम तेंदुओं के बालों पर मौजूद अनूठी चिह्नों के कारण उनकी व्यक्तिगत पहचान संभव हो सकी, जिससे शोधकर्ताओं को उनकी जनसंख्या का अनुमान लगाने में मदद मिली।

संरक्षण के प्रयास     

  • अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा हिम तेंदुओं को ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। इसके अतिरिक्त, इन्हें आवारा कुत्तों, मानव-वन्यजीव संघर्षों और अवैध शिकार से खतरा है।
  • हाल ही में, भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India-WII) के नेतृत्व में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया और नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन द्वारा किए गए सर्वेक्षणों का उद्देश्य संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देना है।
  • चरवाहे समुदायों के साथ हिम तेंदुओं के अंतःक्रिया को समझने तथा उनके पर्यावास के संरक्षण और प्रबंधन हेतु खतरों का आकलन करने पर ध्यान केन्द्रित करना जरूरी है।   

निष्कर्ष   

किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान (Kishtwar National Park) में हिम तेंदुओं की खोज इस क्षेत्र के पारिस्थितिक महत्व और संरक्षण उपायों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। पशुओं के चरने जैसे मानवजनित दबाव उनके पर्यावास को खतरे में डालने के साथ-साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष को जन्म दे सकते हैं। भारत में वैश्विक हिम तेंदुओं की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पाया जाता है। इसलिए उनके व्यवहार को समझने और उनके पर्यावास को संरक्षित करने के लिए ठोस प्रयास हिमालयी परिदृश्य में प्रजातियों के अस्तित्व और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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