संदर्भ   

हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया ने स्थायी निवासियों को सेवा देने के लिए सेना के लिए अपनी पात्रता मानदंडों में छूट देने का निर्णय लिया है।

मुख्य बातें: 

  • ऑस्ट्रेलिया सैन्य कर्मियों की कमी का सामना कर रहा है और उसने घोषणा की है कि वह फाइव आईज देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड) के उन स्थायी निवासियों के लिए भर्ती खोलेगा, जो कम से कम 12 महीने से ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया का रक्षा बल लगभग 4,400 कर्मियों की कमी का सामना कर रहा है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों को पूरा करने की उसकी क्षमता में बाधा आ रही है।
  • इससे पहले, केवल ऑस्ट्रेलिया के नागरिक ही सेना में सेवा करने के पात्र थे। इस बदलाव की वजह से विश्वसनीय फाइव आईज देशों के स्थायी निवासियों को ऑस्ट्रेलिया की रक्षा में योगदान करने की अनुमति मिल गई है।
  • हाल के वर्षों में, ऑस्ट्रेलिया ने बढ़ते क्षेत्रीय तनावों से निपटने के लिए पनडुब्बियों, जेट विमानों और कई लड़ाकू वाहनों के बेड़े को सेना में शामिल करने के लिए रक्षा व्यय को बढ़ाया है। हालाँकि, इन उपकरणों को संचालित करने और बनाए रखने के लिए पर्याप्त पायलटों, नौ-सैनिकों और थल सैनिकों की भर्ती करने में उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

संभावित फायदें:

  • कार्मिकों की कमी को दूर करने के लिए भर्ती पूल में बढ़ोतरी होना।
  • कौशल और अनुभव की व्यापक श्रेणी तक पहुँच में सक्षम होना।
  • फाइव आईज साझेदारों के साथ संबंधों का मजबूत होना।

संभावित चिंताएँ:

  • गैर-नागरिकों द्वारा संवेदनशील जानकारी तक पहुँच की वजह से इससे संबंधित जानकारियों से जुड़ी सुरक्षा जोखिम की संभावना।
  • राष्ट्रीय पहचान और सेना की निष्ठा बनाए रखना।

फाइव आईज (FVEY) 

यह पाँच देश का एक खुफिया सुचना के आदान-प्रदान करने वाला एक गठबंधन है, जिसमें शामिल हैं:

  • ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका

गठन और उद्देश्य:

  • इसे विश्व युद्ध के बाद के समय में UKUSA समझौते (1946) के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक संचार को रोकना और उसका विश्लेषण करने वाले सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

गठबंधन के लाभ:

  • साझा खतरे के आकलन और समन्वित प्रतिक्रियाओं के माध्यम से सदस्य देशों से संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाना।
  • संयुक्त संसाधनों और विशेषज्ञता के कारण खुफिया जानकारी जुटाने की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाना।
  • आतंकवाद, साइबर खतरों और अन्य वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने की क्षमता को बेहतर बनाना। 

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