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सामान्य अध्ययन-3: 

संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन।

 संदर्भ: 

हाल ही में, भारत सरकार ने बायोस्टिमुलेंट्स  पदार्थों की गुणवत्ता को विनियमित करने के लिए उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO), 1985 में बायोस्टिमुलेंट्स  पदार्थों को शामिल किया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • वर्तमान में, केवल 146 बायोस्टिमुलेंट्स  उत्पादों को ही उर्वरक नियंत्रण आदेश की अनुसूची VI में शामिल करने के लिए पूर्ण अनुमोदन प्राप्त हुआ है।
  • सरकार ने 8,000 से अधिक बायोस्टिमुलेंट्स उत्पादों को अनंतिम G3 प्रमाणपत्र प्रदान किए हैं, जिससे निर्माताओं और आयातकों को उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO), 1985 के तहत अनुमोदन प्राप्त करने के लिए जैव-प्रभावकारिता, विषाक्तता और रसायन विज्ञान से संबंधित डेटा प्रस्तुत करने का अतिरिक्त समय मिल गया है।
  • फॉर्च्यून बिजनेस इनसाइट्स के अनुसार, भारत का बायोस्टिमुलेंट्स बाजार 2025 में 410.78 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2032 तक 1.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। इस अवधि में इसकी वार्षिक संयुक्‍त वृद्धि दर (CAGR) लगभग 15.64% रहने का अनुमान है।

बायोस्टिमुलेंट्स (जैव उत्तेजक) क्या हैं?

  • बायोस्टिमुलेंट्स ऐसे पदार्थ या सूक्ष्मजीव होते हैं, जो पौधों या मिट्टी पर डाले जाने पर पोषक तत्वों के अवशोषण, उपज, पौधों की वृद्धि और तनाव प्रतिरोध को बढ़ाते हैं, जबकि ये उर्वरक या कीटनाशकों की श्रेणी में नहीं आते हैं।
  • इनके उत्पादन में कभी-कभी पौधों से प्राप्त अपशिष्ट पदार्थों और समुद्री शैवाल के अर्क का उपयोग किया जाता है।
  • आधिकारिक तौर पर, उर्वरक (अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश, 1985 के अंतर्गत  इसे “एक ऐसे पदार्थ या सूक्ष्मजीव या दोनों के संयोजन के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसका प्राथमिक कार्य पौधों, बीजों या राइजोस्फीयर पर डाले जाने पर पौधों में भौतिक प्रक्रियाओं को उत्तेजित करना और इसके पोषक तत्व अवशोषण, विकास, उपज, पोषण दक्षता, फसल की गुणवत्ता और तनाव के प्रति सहनशीलता को बढ़ाना है। इसके अलावा इसमें कीटनाशक या पौध विकास नियामक शामिल नहीं हैं क्योंकि उन्हें कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत विनियमित किया जाता हैं।”

उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO)

उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत उर्वरकों के निर्माण, वितरण, बिक्री और मूल्य निर्धारण को नियंत्रित करने के लिए जारी किया गया है।

यह निर्माताओं, आयातकों और डीलरों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है, उर्वरकों के लिए गुणवत्ता और पैकेजिंग मानक निर्धारित करता है, गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाएँ स्थापित करता है, और किसानों के लिए इनकी उचित उपलब्धता सुनिश्चित करने और मिलावट को रोकने के लिए उर्वरकों की कीमतों और आवंटन को नियंत्रित करता है। 

अनुसूची VI में निर्दिष्ट बायोस्टिमुलेंट्स पदार्थों को निम्नलिखित श्रेणियों में से किसी के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाएगा, अर्थात्:-

  • वानस्पतिक अर्क, जिनमें समुद्री शैवाल के अर्क शामिल हैं: घुलनशील चूर्ण या तरल अर्क।
  • कोशिका रहित सूक्ष्मजीवी उत्पाद: बैसिलस और राइज़ोबियम
  • ह्यूमिक और फुल्विक अम्ल और उनके व्युत्पन्न: पीट, मृदु कोयला और लियोनार्डाइट।
  • जैव-रसायन (बायोकेमिकल्स)
  • प्रोटीन हाइड्रोलाइज़ेट और अमीनो अम्ल
  • विटामिन
  • एंटीऑक्सीडेंट
  • एंटी-ट्रांसपिरेंट
  • जैव-उर्वरक और जैव-कीटनाशकों को छोड़कर जीवित सूक्ष्मजीव

आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955

  • यह सरकार को जनता के हित के लिए आवश्यक समझी जाने वाली वस्तुओं के उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को विनियमित करने की शक्ति देता है।
  • इसका मुख्य लक्ष्य उचित मूल्य पर आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता और वितरण सुनिश्चित करना, मुनाफाखोरी और जमाखोरी को रोकना और राष्ट्रीय रक्षा सहित जरूरत की वस्तुओं के लिए सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
  • यह अधिनियम केंद्र सरकार को उत्पादन सीमा, मूल्य निर्धारण, भंडारण और व्यापार पर आदेश जारी करके इन वस्तुओं को नियंत्रित करने की शक्ति देता है, जिनमें खाद्य पदार्थ, दवाएं, उर्वरक और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं।
  • अधिनियम का उल्लंघन करने पर कम से कम तीन महीने और अधिकतम सात साल की कैद की सजा हो सकती है, साथ ही अर्थदंड भी लगाया जा सकता है।

स्रोत:
PIB

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