संदर्भ:
हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) ने ‘उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों पर वैश्विक रिपोर्ट 2024’ (Global Report on Neglected Tropical Diseases 2024) जारी की है।
अन्य संबंधित जानकारी
यह रिपोर्ट रोडमैप, ‘सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की उपेक्षा का उन्मूलन: उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों के लिए रोडमैप 2021-2030 ‘ (Ending the neglect to attain the Sustainable Development Goals: a road map for neglected tropical diseases 2021–2030) में उल्लिखित 2030 लक्ष्यों की दिशा में किए गए कार्य को ट्रैक करती है।
इस रिपोर्ट से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTD) के उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में किए गए कार्य: इसके अनुसार, वर्ष 2022 में, 1.62 बिलियन लोगों को उपचार की आवश्यकता थी, जो वर्ष 2010 से 26 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है, लेकिन इस प्रकार वर्ष 2030 के 90 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव नहीं है।
- वर्ष 2023 तक, WHO ने कम से कम एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों के उन्मूलन हेतु 50 देशों को मान्यता दी, जो 2030 तक 100 देशों को मान्यता देने के लक्ष्य की दिशा में प्राप्त आधे लक्ष्य को चिह्नित करता है।
- उपचार और मृत्यु दर के आँकड़ें: वर्ष 2022 में लगभग 848 मिलियन लोगों ने उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों का उपचार करवाया, जबकि वर्ष 2022 के अंत तक वेक्टर-जनित (vector-borne) उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों से होने वाली मृत्यु में वर्ष 2016 की तुलना में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- कार्यक्रम क्रियान्वयन: रणनीतियों और एकीकरण में प्रगति, जिसमें लिंग-विभाजित डेटा संग्रह भी शामिल है।
- सेवाओं तक पहुँच: उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTD) प्रभावित देशों में जल, सफाई और हाइजीन तक कुल पहुँच 85.8 प्रतिशत है, तथा 63 प्रतिशत आबादी को उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTD) उपचार की आवश्यकता है।
- वित्तीय सुरक्षा: उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTD) से संवेदनशील आबादी के 87.4 प्रतिशत लोगों को उच्च स्वास्थ्य लागत से बचाया गया है।
- नए रोगों का समावेशन: नोमा (कैनक्रम ओरिस , गैंग्रीनस स्टोमाटाइटिस) को वर्ष 2023 में उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों की सूची में शामिल किया गया।
- ग्लोबल उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों प्रोग्राम पार्टनर्स मीटिंग और रीचिंग द लास्ट माइल फोरम जैसे प्रमुख वकालत कार्यक्रम वैश्विक स्वास्थ्य चर्चाओं में उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों की दृश्यता बढ़ाते हैं और संसाधन जुटाने को प्रेरित करते हैं।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग
- उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग विभिन्न प्रकार के रोगजनकों (विषाणुओं, जीवाणुओं, परजीवीओं, कवकों और विषाक्त पदार्थों) के कारण होने वाले संक्रामक रोगों का समूह है, जो कि विनाशकारी स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक परिणामों से संबंधित है।
- यह मुख्यतः उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के गरीब समुदायों में फैला हुआ है, हालाँकि कुछ रोगों का भौगोलिक वितरण बहुत विस्तृत है।
- महामारी विज्ञान (इसमें जनसंख्या में रोग के फैलने और उन्हें नियंत्रित करने के कारकों का अध्ययन किया जाता है) जटिल है तथा प्रायः पर्यावरणीय परिस्थितियों से संबंधित होता है।
इनमें से कई रोग वाहक (वेक्टर) जनित हैं, उनमें पशु भी शामिल हैं और ये जटिल जीवन चक्रों से जुड़े हैं।
- उदाहरण: बुरुली अल्सर, डेंगू, ड्रैकुनकुलियासिस और कुष्ठ रोग आदि।
- उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों के वैश्विक बोझ को पहचानने के लिए उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों पर लंदन घोषणा को 30 जनवरी, 2012 को अपनाया गया था।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों के उन्मूलन हेतु भारत सरकार द्वारा की गई पहल
- लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के उन्मूलन के लिए त्वरित योजना
- राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम
- राष्ट्रीय कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम
- राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम
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