संदर्भ:

हाल ही में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने ‘उच्च शिक्षा में पूर्व शिक्षण की मान्यता (Recognition of Prior Learning-RPL) के कार्यान्वयन के लिए मसौदा दिशानिर्देशों’ को अंतिम रूप दिया।

पूर्व शिक्षण की मान्यता (RPL)

यह एक औपचारिक तंत्र है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के मौजूदा ज्ञान, कौशल और औपचारिक,  अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से प्राप्त अनुभव का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।

आरपीएल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के दृष्टिकोण का अभिन्न अंग है।

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत में जीवन के सभी क्षेत्रों में नागरिकों को सशक्त बनाने हेतु एक ज्ञानयुक्त समाज के निर्माण पर बल देती है। 

राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCrF) सभी प्रकार के शिक्षण – शैक्षणिक, व्यावसायिक और अनुभवात्मक के क्रेडिटाइजेशन की सुविधा प्रदान करके पूर्व शिक्षण की मान्यता का सहायता करता है।

  • राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क एक समावेशी एकल मेटा-फ्रेमवर्क है जो स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और व्यावसायिक एवं कौशल शिक्षा के माध्यम से अर्जित क्रेडिट को निर्बाध रूप से एकीकृत करता है।

उच्च शिक्षा में आरपीएल दिशानिर्देशों के मुख्य उद्देश्य:

  • उच्च शिक्षा तक पहुंच प्रदान करना: गैर-औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षण विधियों के माध्यम से दक्षता हासिल करने वाले व्यक्तियों को उच्च शिक्षा कार्यक्रमों तक पहुंच प्रदान करना।
  • सुगम मार्गउपलब्ध कराना: व्यक्तियों को उनकी प्रदर्शित योग्यताओं के आधार पर उच्च शिक्षा तक पहुंचने के लिए विविध और सुगम मार्ग उपलब्ध कराना।
  • सतत सीखने को बढ़ावा देना: व्यक्तियों को अद्यतन कौशल और ज्ञान से पूर्ण करने के लिए सतत सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देना।
  • आजीवन सीखने को प्रोत्साहित करना: सक्षम और अनुकूलनीय कार्यबल विकसित करने के लिए आजीवन सीखने का समर्थन करना।
  • सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देना: वंचित समूहों के लिए सामाजिक समावेशन और समानता को बढ़ावा देना।
  • विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करना: योग्य व्यक्तियों को नियुक्त करके कुछ क्षेत्रों में विनियामक आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करना।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) 

यह भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत वर्ष 1956 में स्थापित एक वैधानिक संगठन है।

इसकी स्थापना विश्वविद्यालय अनुदान आयोग  अधिनियम, 1956 के नियम एवं विनियमों के तहत की गई है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • विश्वविद्यालय शिक्षा को बढ़ावा देना और समन्वय करना।
  • विश्वविद्यालयों में शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों का निर्धारण और रखरखाव करना।
  • शिक्षा के न्यूनतम मानकों पर विनियम तैयार करना।
  • कॉलेज एवं विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में विकास की निगरानी करना;  को अनुदान वितरित करना।
  • संघ और राज्य सरकारों तथा उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करना।
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