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सामान्य अध्ययन-3: जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जागरूकता

संदर्भ:

हाल ही में, सरकार ने देश की जैव अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने और विविध क्षेत्रों में नवाचार में तेजी लाने के उद्देश्य से उन्नत जैव विनिर्माण केंद्रों का एक नेटवर्क लॉन्च किया, जिन्हें उच्च प्रदर्शन जैव विनिर्माण प्लेटफॉर्म कहा गया|

अन्य संबंधित जानकारी

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) के सहयोगात्मक प्रयासों से बायो ई3 (पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति के तहत उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण प्लेटफार्मों को लॉन्च किया गया।
    • BIRAC जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक गैर-लाभकारी उद्यम है जिसका उद्देश्य रणनीतिक अनुसंधान, नवाचार और राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक उत्पादों के विकास के माध्यम से जैव प्रौद्योगिकी उद्यमों को मजबूती प्रदान करना है।
  • नए लॉन्च किए गए प्लेटफॉर्म उन्नत जैव-फाउंड्री और जैव-विनिर्माण केंद्रों के नेटवर्क को एकीकृत करते हैं, ताकि प्रयोगशाला से लेकर पायलट और पूर्व-व्यावसायिक चरणों तक जैव-आधारित नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता प्रदान की जा सके|
    • पूरे भारत में कुल 21 उन्नत जैव-सक्षम सुविधाएं (बायोफाउंड्रीज और बायोमैन्युफैक्चरिंग हब) इस पहल के अंतर्गत शामिल की गई हैं।
  • ये प्लेटफ़ॉर्म स्टार्टअप्स, लघु एवं मध्यम उद्यमों, उद्योगों और शिक्षा जगत को जैव-आधारित प्रौद्योगिकियों के परीक्षण, विस्तार और व्यावसायीकरण के लिए साझा बुनियादी ढाँचा प्रदान करेंगे।
  • इन प्लेटफ़ॉर्म के फोकस क्षेत्रों में माइक्रोबियल बायोमैन्युफैक्चरिंग, स्मार्ट प्रोटीन, टिकाऊ कृषि, फंक्शनल फूड्स, कार्बन कैप्चर, समुद्री जैव प्रौद्योगिकी और अगली पीढ़ी की कोशिका एवं जीन थेरेपी शामिल हैं।

पहल का महत्त्व

  • भारत की जैव अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: प्रयोगशाला से लेकर पूर्व-व्यावसायिक चरणों तक नवाचारों के विस्तार में तेजी लाने के लिए अत्याधुनिक बायोफाउंड्री और जैव विनिर्माण केंद्र प्रदान करती है, जिससे जैव अर्थव्यवस्था में वैश्विक अग्रणी के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होती है।
  • स्टार्टअप्स और उद्योग को समर्थन: स्टार्टअप्स, लघु और मध्यम उद्यम (SMEs), उद्योगों और शिक्षा जगत में साझा बुनियादी ढांचा और विशेषज्ञता की पेशकश करती है, अनुसंधान एवं विकास लागत को कम करती है और जैव-आधारित प्रौद्योगिकियों के तेजी से व्यावसायीकरण को गति प्रदान करती है।
  • सतत नवाचार को बढ़ावा देता है: स्वास्थ्य, कृषि, स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तनीयता में समाधान तलाशने के लिए सिंथेटिक बायोलॉजी, एआई/मशीन लर्निंग और ओमिक्स जैसे उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देती है, जिससे सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ा जा सकेगा|

भारत के जैव-अर्थव्यवस्था क्षेत्र का सिंहावलोकन

  • वर्ष 2014 में जहाँ इस क्षेत्र का मूल्य केवल 10 अरब डॉलर था, वहीं 2024 तक यह बढ़कर 165.7 अरब डॉलर तक पहुँच गया है| सरकार और उद्योग दोनों की सक्रिय भागीदारी के साथ अब इसका लक्ष्य है कि इसे वर्ष 2030 तक 300 अरब डॉलर के स्तर तक पहुँचाया जाए।
  • पिछले चार वर्षों में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था ने औसतन 17.9% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की है, इस उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, जैव-अर्थव्यवस्था ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 4.25% का योगदान दिया है|
  • वैश्विक स्तर पर 121 जैव-कंपनियों में से 21 अब भारत में हैं। इसके अतिरिक्त, लगभग 100 BIRAC इन्क्यूबेटरों द्वारा समर्थित, जैव-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप्स की संख्या 50 (2014) से बढ़कर 13,000 से अधिक (2025) हो गई है।

बायो ई3 नीति के बारे में

  • बायो ई3 नीति का उद्देश्य उच्च-प्रदर्शन जैव-विनिर्माण, नवाचार और चक्रीय (circular) जैव-अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देना है।
  • यह नीति भारत को वैश्विक जैव-अर्थव्यवस्था में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और पश्चिमी दुनिया में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के समान भारत में एक “जैव-क्रांति” को जन्म देगी।
  • नीति 2047 तक विकसित भारत की माँगों को पूरा करने के लिए पारंपरिक आपूर्ति विधियों को जैव-प्रौद्योगिकी समाधानों से प्रतिस्थापित करने के बजाय, उन्हें पूरक बनाने के लिए तैयार की गई है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • जैव विनिर्माण केंद्रों की स्थापना: इस नीति से जैव विनिर्माण और जैव-एआई केंद्रों तथा जैव फाउंड्री की स्थापना करके प्रौद्योगिकी विकास और व्यावसायीकरण में तेजी आएगी|
    • हरित विकास को प्राथमिकता: यह नीति हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए पुनर्योजी जैव-अर्थव्यवस्था मॉडल पर जोर देती है।
    • रोजगार सृजन: इसकाएक प्रमुख उद्देश्य भारत के कुशल कार्यबल का विस्तार करना और जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में रोजगार के नए अवसरों का सृजन करना है।

स्रोत:
Live Mint
The Hindu
Nagaland Post
Tribune India

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