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सामान्य अध्ययन -2: संसद और राज्य विधानमंडल-संरचना, कार्यप्रणाली, कार्य संचालन, शक्तियां एवं विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिनमें आपराधिक आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों को स्वतः पद से हटाने का प्रस्ताव है।
अन्य संबंधित जानकारी
- केंद्रीय गृह मंत्री ने 20 अगस्त 2025 को लोकसभा में तीनों विधेयक पेश किए।
- इन सभी विधेयकों का उद्देश्य प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करना है, जिन्हें गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार किया गया है या हिरासत में लिया गया है।
- विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजा जाएगा, जहां विपक्ष सहित दोनों सदनों के सदस्यों को अपने सुझाव देने का अवसर मिलेगा।
पेश किए गए विधेयक:
- संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025
- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
- केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025
विधेयक प्रस्तुत करने के पीछे तर्क
- प्रतिनिधि जनता की आशाओं और आकांक्षाओं के प्रतीक होते हैं और उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे केवल जनहित और जनकल्याण में कार्य करें।
- मंत्रियों को ऐसा आचरण और चरित्र बनाए रखना चाहिए जो संदेह से परे हो, साथ ही उन्हें संवैधानिक नैतिकता और सुशासन का पालन करना चाहिए।
- यदि कोई मंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा हो और हिरासत में रहते हुए पद पर बना रहे, तो इससे शासन व्यवस्था बाधित हो सकती है, संवैधानिक नैतिकता से समझौता हो सकता है और जनता का विश्वास कमजोर पड़ सकता है।
- यह विधेयक संवैधानिक विश्वास की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि शासन किसी भी आपराधिक कदाचार के प्रभाव से मुक्त रहे।
तीनों विधेयकों और उनके प्रावधानों की तुलनात्मक तालिका
विशेषता | संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 | केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 | जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 |
स्कोप | · यह नियम प्रधानमंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केन्द्रीय मंत्रियों तथा राज्यों एवं दिल्ली के अन्य मंत्रियों पर लागू होता है। | · पुडुचेरी के मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर लागू होता है | · जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर लागू होता है |
संवैधानिक या कानूनी आधार | · इसने अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन किया | · यह केंद्र शासित प्रदेश शासन अधिनियम, 1963 में संशोधन करता है | · यह जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है |
निष्कासन के आधार | · यदि किसी मंत्री पर पांच वर्ष या उससे अधिक के कारावास से दंडनीय अपराध का आरोप है और उसे लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा गया है तो उसे हटा दिया जाएगा। | · संविधान संशोधन विधेयक के समान | · संविधान संशोधन विधेयक के समान |
निष्कासन प्राधिकरण | · प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री: प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति।· राज्य मंत्री: मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल।· दिल्ली के मंत्री: मुख्यमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति। | · राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री की सलाह पर | · मुख्यमंत्री की सलाह पर उपराज्यपाल |
प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को हटाना | · प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को हिरासत के 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा।· यदि ऐसा नहीं होता है, तो 32वें दिन से उनका पद समाप्त हो जाता है। | · मुख्यमंत्री को हिरासत के 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा।· ऐसा न करने पर, 32वें दिन से उनका पद समाप्त हो जाएगा। | · मुख्यमंत्री को हिरासत के 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा।· ऐसा न करने पर, 32वें दिन से उनका पद समाप्त हो जाएगा। |
स्वचालित रिक्ति | · यदि 31वें दिन तक कोई त्यागपत्र या सलाह नहीं दी जाती है, तो 32वें दिन पद रिक्त हो जाता है | · समान प्रावधान | · समान प्रावधान |
पुनर्नियुक्ति | · हिरासत से रिहाई के बाद किसी मंत्री को पुनः नियुक्त किया जा सकता है | · समान प्रावधान | · समान प्रावधान |
प्रस्तुत विधेयकों का महत्व
- संवैधानिक नैतिकता को सुदृढ़ बनाना: यह गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे नेताओं को पद पर बने रहने से रोकता है, जिससे संवैधानिक अखंडता बनी रहती है।
- शासन में जनविश्वास की रक्षा: यह विधेयक शीर्ष कार्यकारी पदों की जवाबदेही सुनिश्चित करके लोगों के राजनीतिक व्यवस्था में विश्वास को मजबूत करता है।
- भारत में एक समान कानूनी ढाँचा: यह केंद्र, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों में जवाबदेही के मानकों में एकरूपता स्थापित करता है।
- राजनीति के आपराधिकरण के विरुद्ध रोकथाम: यह आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों के राजनीतिक प्रभाव पर प्रभावी अंकुश के रूप में कार्य करता है।