संदर्भ:

हाल ही में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति मंच (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services-IPBES) ने नेक्सस रिपोर्ट जारी की है।

अन्य संबंधित जानकारी:

जैव विविधता, जल, खाद्य और स्वास्थ्य के बीच अंतर्संबंधों पर मूल्यांकन रिपोर्ट, नेक्सस रिपोर्ट के नाम से ज्ञात यह रिपोर्ट दुनिया भर के निर्णयकर्ताओं को सबसे महत्वाकांक्षी वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रदान करती है।

यह रिपोर्ट जटिल अंतर्संबंधों को प्रस्तुत करती है और निम्न पांच ‘नेक्सस तत्वों’ में सह-लाभों को अधिकतम करने के लिए पांच दर्जन से अधिक विशिष्ट प्रतिक्रिया विकल्पों की खोज करती है: 

  • जैव विविधता
  • जल
  • खाना
  • स्वास्थ्य
  • जलवायु परिवर्तन

अंतिम पूर्ण रिपोर्ट वर्ष 2025 में प्रकाशित की जाएगी और इससे इन परस्पर-संबंधित संकटों के समाधान की दिशा में वैश्विक प्रयासों को और अधिक मार्गदर्शन मिलने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के मुख्य अंश:

नेक्सस रिपोर्ट में 186 परिदृश्य शामिल हैं, जो वर्ष 2050-2100 तक नेक्सस तत्वों के बीच अंतःक्रिया का अनुमान लगाते हैं।

यह रिपोर्ट जैवविविधता, जल, भोजन, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के अंतर्संबंधों के प्रबंधन हेतु 70 से अधिक समाधान प्रदान करती है।

रिपोर्ट में देशों से आग्रह किया गया है कि वे एकल-मुद्दे वाले दृष्टिकोण से हटकर इन क्षेत्रों में एकीकृत शासन और निर्णय लेने की प्रक्रिया को अपनाएं।

एकीकृत और अनुकूलनीय निर्णय-प्रक्रिया को शासन में सुधार लाने और विभिन्न क्षेत्रों में नकारात्मक प्रभावों को कम करने की कुंजी के रूप में रेखांकित किया गया है।

रिपोर्ट में जैवविविधता हानि के कारणों की पहचान इस प्रकार की गई है: 

  • अप्रत्यक्ष कारक: अति उपभोग, अपव्यय और जनसंख्या वृद्धि।
  • प्रत्यक्ष कारक: भूमि उपयोग परिवर्तन और प्रदूषण।

पिछले आधी सदी से विश्व में जैव विविधता में औसतन हर दशक में 2-6 प्रतिशत की दर से गिरावट आ रही है।

मौजूदा नीतियां आपस में जुड़ी चुनौतियों की जटिलता को दूर करने में विफल रही हैं, अक्सर एक पहलू (जैसे- खाद्य उत्पादन या जलवायु परिवर्तन) को अन्य की कीमत पर प्राथमिकता दी जाती है, जिससे प्रतिकूल परिणाम सामने आते हैं। 

  • आर्थिक नीतियां अक्सर पर्यावरणीय लागतों की अनदेखी करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप जैव विविधता, जल, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन से संबंधित लागतों में प्रति वर्ष 10-25 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है।
  • इन मुद्दों के समाधान में देरी से लागत दोगुनी हो सकती है तथा भविष्य में जैवविविधता की अपूरणीय क्षति तथा वित्तीय बोझ बढ़ सकता है।

वर्तमान नीतियां नेक्सस तत्वों (जैव विविधता, जल, भोजन, स्वास्थ्य और जलवायु) पर नकारात्मक आर्थिक प्रभावों को नियंत्रित करने में अपर्याप्त रही हैं, जो मिलकर वैश्विक आर्थिक गतिविधि में 58 ट्रिलियन डॉलर उत्पन्न करते हैं।

वन्यजीव व्यापार, लकड़ी और मत्स्य पालन सहित अवैध संसाधन निष्कर्षण का मूल्य प्रतिवर्ष 100-300 बिलियन डॉलर है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक नुकसान पहुंचाता है।

  • इसके विपरीत, जैव विविधता संरक्षण पर वैश्विक व्यय वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 1% से भी कम है।
  • जीवाश्म ईंधन और कृषि जैसे क्षेत्रों से होने वाले नकारात्मक बाह्य प्रभाव, जो जैव विविधता और जल प्रणालियों को प्रभावित करते हैं, की लागत प्रतिवर्ष 25 ट्रिलियन डॉलर तक होती है।

पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव:

वन, जो जल निस्पंदन जैसी महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी सेवाएं प्रदान करते हैं, वनों की कटाई के कारण खतरे में हैं, जिससे जल की उपलब्धता और गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

जल विनियमन और जलवायु परिवर्तन शमन में आर्द्रभूमियाँ महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मानवीय गतिविधियों के कारण इनका क्षरण हो रहा है।

मानवीय गतिविधियों के कारण मीठे पानी की जैव विविधता स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों की तुलना में तेजी से ख़राब हो रही है।

समुद्री और मीठे पानी की प्रजातियाँ, विशेष रूप से तटीय और आर्द्रभूमि क्षेत्रों में रहने वाली प्रजातियाँ, प्रदूषण, तलछट और अन्य मानवजनित तनावों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हैं।

प्रवाल भित्तियों को अनेक खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें अस्थिर मत्स्य पालन, महासागरीय अम्लीकरण और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर लगभग एक तिहाई प्रवाल प्रजातियां खतरे में हैं।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकारों को सतत विकास लक्ष्यों और पेरिस समझौते जैसी वैश्विक पर्यावरण और स्वास्थ्य प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करना चाहिए।

जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति मंच ने लोगों द्वारा प्राकृतिक दुनिया को देखने और उसके साथ मेलजोल करने के तरीके में मौलिक और परिवर्तनकारी बदलावों का आह्वान किया, ताकि इसकी भलाई हो सके।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पारिस्थितिकी गिरावट से निपटने के लिए वर्तमान और पिछले दृष्टिकोण विफल हो गए हैं तथा एक नए परिवर्तनकारी दृष्टिकोण की आवश्यकता है और यह चार मौलिक सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए:

  • समता और न्याय
  • बहुलवाद और समावेशिता
  • मानव-प्रकृति के प्रति सम्मानजनक एवं पारस्परिक संबंध
  • अनुकूली शिक्षण और कार्रवाई

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कार्रवाई में देरी से लागत में काफी वृद्धि होगी तथा तत्काल कार्रवाई से संभावित आर्थिक लाभ के रूप में वर्ष 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर के व्यावसायिक अवसर तथा 400 मिलियन रोजगार सृजित होने का अनुमान है।

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