संदर्भ:
हाल ही में, असम सरकार ने असम समझौते के खंड 6 की अधिकांश सिफारिशों को लागू करने का निर्णय लिया है।
अन्य संबंधित जानकारी
- असम सरकार ने असम समझौते की धारा 6 को लागू करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिप्लब सरमा की अध्यक्षता वाली समिति की 67 सिफारिशों में से 57 को लागू करने का फैसला किया है।
- 67 सिफारिशों में से शेष 10 सिफारिशें केंद्र के अधिकार क्षेत्र में हैं और उन पर बाद में सुविधानुसार विचार किया जाएगा।
- मुख्यमंत्री के अनुसार, इन सिफारिशों से असमिया लोगों के लिए ‘सुरक्षा चक्र’ (संवैधानिक संरक्षण का घेरा), विशेष रूप से भूमि अधिकारों को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
बिप्लब सरमा समिति
- असम समझौते के खंड 6 के कार्यान्वयन हेतु वर्ष 2019 में पूर्व न्यायाधीश बिप्लब सरमा की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था, जिसने 2020 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
असम समझौते का खंड 6
- असमिया लोगों की संस्कृति, सामाजिक भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा उपाय, जो उचित हो सकते हैं, प्रदान किए जाएंगे।
खिलोंजिया जनजाति
- इसमें पूर्वोत्तर की सबसे बड़ी मैदानी जनजाति बोडो, देउरी, डिमासा, राभा, सोनोवाल कचारी, थेंगल कचारी और तिवा जैसे समुदाय शामिल हैं।
निर्णय की पृष्ठभूमि
- इस निर्णय के बाद पूर्वी असम में गैर-असमिया और अन्य बोहिरागाटा (बाहरी लोगों) के “आक्रमण” के खिलाफ खिलोंजिया या स्वदेशी समुदायों (असम में रहने वाले गैर-आदिवासी समुदाय) के अधिकारों की रक्षा के लिए नए सिरे से आंदोलन शुरू हो गया।
- 22 अगस्त को मध्य असम के धींग में बंगाली मुसलमानों द्वारा एक नाबालिग लड़की के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के बाद शुरू हुआ था।
- वर्ष 2019 में नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम पारित होने के दौरान धारा 6 को लागू करने की मांग ने जोर पकड़ लिया।
असम समझौता
- इस समझौते पर अगस्त 1985 में राज्य से “अवैध विदेशियों” को बाहर निकालने के लिए छह साल से चल रहे हिंसक आंदोलन की समाप्ति के उपलक्ष्य में हस्ताक्षर किए गए थे।
- भारत संघ, असम सरकार, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और ऑल असम गण संग्राम परिषद के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
- वर्ष 1986 के दौरान असम समझौता कार्यान्वयन विभाग (“Implementation of Assam Accord Department”) के नाम से एक नया विभाग स्थापित किया गया।
- इस समझौते के अधिकांश खंडों को लागू किया गया, लेकिन उत्तरोत्तर सरकारों ने असमिया लोगों को “संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा” की गारंटी देने के लिए खंड 6 को छोड़ दिया।
- इसका एक कारण यह था कि इस बहुजातीय राज्य में ‘असम का नागरिक कौन है’ इस पर कोई आम सहमति नहीं बन पाई थी।
आगे की राह
- मंत्रियों का एक समूह 57 सिफारिशों पर ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और असम आंदोलन में शामिल अन्य संगठनों के साथ चर्चा करेगा ताकि किसी समझौते पर पहुंचा जा सके।
- बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र, दीमा हसाओ स्वायत्त परिषद और कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद से उनकी भाषा, संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करने की स्वीकृति मांगी जाएगी।
- इसी प्रकार की स्वीकृति बंगाली बहुल बराक घाटी के लोगों से भी प्राप्त की जाएगी।
- 57 सिफारिशें राज्य भर में तुरंत लागू कर दी जाएंगी, सिवाय छठी अनुसूची वाले क्षेत्रों और बराक घाटी के, जहां पहले अन्य अनुमोदन की आवश्यकता होगी।