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सामान्य अध्ययन-2: भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और करार।

संदर्भ: हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह घोषणा की है कि कजाकिस्तान, अब्राहम समझौते में शामिल होगा।

अन्य संबंधित जानकारी

• कजाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर C5+1 शिखर सम्मेलन 2025 के दौरान अब्राहम समझौते में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की है।

• अब्राहम समझौते की शुरुआत 2020 में डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा की गई थी और चार मुस्लिम बहुल देश अर्थात यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान पहले ही इसमें शामिल हो चुके हैं।

• अब्राहम समझौते में कजाकिस्तान का प्रवेश साथ ही भविष्य में इस पर हस्ताक्षर करने वाले संभावित देश अज़रबैजान और उज्बेकिस्तान, मध्य एशिया में इस समझौते के पहले बड़े विस्तार का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अब्राहम समझौते में शामिल होने के प्रमुख कारण

• बहु-संरेखण नीति: समझौते में शामिल होना एक प्रतीकात्मक लेकिन रणनीतिक कदम है जिसका उद्देश्य रूस, चीन और अमेरिका के साथ संबंधों को संतुलित करना है। यह कजाकिस्तान की मल्टी-वेक्टर विदेश नीति के अनुरूप है। मल्टी वेक्टर ऐसी विदेश नीति है जिसमें कोई भी देश किसी एक भू-राजनीतिक गुट के साथ जुड़ने के बजाय, कई वैश्विक शक्तियों के साथ संतुलित और सहकारी संबंध बनाए रखने का प्रयास करता है।

• संतुलन का कार्य: विश्लेषक इसे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का हिस्सा रहते हुए अमेरिका के साथ अप्रत्यक्ष संबंधों को मजबूत करने का एक न्यूनतम जोखिम वाला तरीका मानते हैं, जिससे वैश्विक शक्तियों के बीच संतुलन बना रहेगा।

• निःशुल्क औपचारिकता: कज़ाकिस्तान के इजराइल के साथ पहले से ही पूर्ण राजनयिक संबंध हैं। अब्राहम समझौते में शामिल होने का कदम काफी हद तक प्रतीकात्मक और अमेरिकी नेतृत्व वाली पहलों के साथ अधिक स्पष्ट रूप से जुड़ने का एक कूटनीतिक साधन प्रतीत होता है।

अमेरिकी परिप्रेक्ष्य

• अमेरिका इस समझौते में कजाकिस्तान के प्रवेश को मध्य एशिया जिस पर रूस और चीन का प्रभुत्व है, में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए एक भू-राजनीतिक और आर्थिक अवसर के रूप में देखता है।

• यह ऊर्जा और खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के अमेरिकी लक्ष्यों को आगे बढ़ाता है, जो स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और रक्षा विनिर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।

• ये समझौते ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित करने और पश्चिम समर्थक देशों के बीच सहयोग को गहरा करने की एक रणनीतिक पहल माने जा सकते हैं।

• यह फैसला 2023 के गाज़ा संघर्ष के बाद अब्राहम समझौतों को नई ऊर्जा और वैधता देता है तथा यह दर्शाता है कि अमेरिका अब भी मध्य पूर्व में कूटनीतिक प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध है।

अब्राहम समझौते के बारे में

• अब्राहम समझौते 2020 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में शुरू किए गए अमेरिकी मध्यस्थता समझौतों का एक समूह है, जिनसे इजरायल और कई अरब राज्यों के बीच औपचारिक राजनयिक सामान्यीकरण हुआ।

  • सितंबर 2020 में इसके शुरुआती हस्ताक्षरकर्ताओं में संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन शामिल थे। उनके बाद मोरक्को और सूडान का स्थान था।

• इन समझौतों ने मध्य पूर्वी भू-राजनीति में बड़ा बदलाव किया, क्योंकि अरब देशों ने दशकों की शत्रुता के बाद, औपचारिक रूप से इजराइल को मान्यता दी, जिससे उनके बीच दीर्घकालिक राजनीतिक और कूटनीतिक अलगाव समाप्त हो गया।

• इन समझौतों का उद्देश्य इजराइल और उदारवादी अरब देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता लाना था।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

अब्राहम समझौते में शामिल होने के कज़ाकिस्तान के निर्णय के भू-राजनीतिक महत्व पर चर्चा कीजिए। यह घटनाक्रम मध्य एशिया में अमेरिकी प्रभाव और क्षेत्रीय गठबंधनों की बदलती गतिशीलता को किस प्रकार प्रतिबिंबित करता है?

Source:
The New York Time
Reuters
EURO News
RFERL
Timesca

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