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सामान्य अध्ययन-2: विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का भारत के हितों पर प्रभाव।

संदर्भ: 

हाल ही में, अज़रबैजान के राष्ट्रपति और अर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में दशकों से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के उद्देश्य से शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।

समझौते के प्रमुख प्रावधान

शत्रुता का स्थायी समापन: दोनों देशों ने एक-दूसरे के क्षेत्र पर सभी दावों को त्यागने, एक-दूसरे के विरुद्ध बल प्रयोग से बचने तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करने की प्रतिज्ञा ली।

  • इसमें यात्रा, व्यापार और राजनयिक संबंधों को पुनः बहाल करना शामिल है।

अंतर्राष्ट्रीय शांति और समृद्धि के लिए ट्रम्प मार्ग (TRIPP): यह गलियारा अज़रबैजान के मुख्य क्षेत्र को दक्षिणी आर्मेनिया के माध्यम से उसके नखचिवन एक्सक्लेव से जोड़ेगा। संयुक्त राज्य अमेरिका इस गलियारे के विकास की देखरेख करेगा, जिसमें राजमार्ग, रेलमार्ग, पाइपलाइन और संचार लाइनें शामिल हैं।

आर्थिक और रक्षा सहयोग: अमेरिका ने अज़रबैजान को दी जाने वाली सैन्य सहायता से प्रतिबंध हटा दिए और क्षेत्रीय स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दोनों देशों के साथ अलग-अलग व्यापार और प्रौद्योगिकी समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (OSCE) मिन्स्क समूह का विघटन: दोनों देशों ने इस दीर्घकालिक शांति मध्यस्थता समूह को औपचारिक रूप से भंग करने पर सहमति जताई, और इसकी कम होती भूमिका को स्वीकार किया।

नागोर्नो-काराबाख संघर्ष के बारे में

  • आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच संघर्ष नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र पर है। यह एक विवादित क्षेत्र है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अज़रबैजान का हिस्सा माना जाता है लेकिन यहाँ मुख्य रूप से नृजातीय अर्मेनियाई लोग रहते हैं।
  • यह संघर्ष ईसाई बहुल आर्मेनिया और मुस्लिम बहुल अज़रबैजान के बीच ऐतिहासिक तनाव से उपजा है। यह तनाव पूर्व-सोवियत युग के समय से है जब यह क्षेत्र ऑटोमन, रूसी और फारसी साम्राज्यों के मिलन बिंदु (meeting point) पर स्थित था।
  • विवाद 1988 से 1994 तक पूर्ण युद्ध में बदल गया। इसके कारण हजारों लोग विस्थापित हो गए और नागोर्नो-काराबाख तथा आसपास के क्षेत्र अर्मेनिया के नियंत्रण में आ गए।
  • 2020 में तनाव फिर से भड़क उठा जब अज़रबैजान ने बड़े पैमाने पर सैन्य आक्रमण शुरू किया।
  • सितंबर 2023 में, अज़रबैजान ने त्वरित सैन्य कार्रवाई के माध्यम से काराबाख पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया, जिससे एक सप्ताह के भीतर एक लाख से अधिक नृजातीय अर्मेनियाई लोग आर्मेनिया भाग गए।

आर्मेनिया-अज़रबैजान शांति समझौते का महत्व

  • सामरिक पारगमन गलियारा: अमेरिका ने TRIPP के अनन्य विकास अधिकार हासिल कर लिए हैं, जो अज़रबैजान को अर्मेनियाई क्षेत्र के माध्यम से उसके नखचिवन एक्सक्लेव से जोड़ता है। इससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी संभव हो सकती है।
  • भू-राजनीतिक बदलाव: यह समझौता दक्षिण काकेशस में अमेरिकी प्रभाव का विस्तार करता है और रूस को हाशिये पर रखता है, जो ऐतिहासिक रूप से इस संघर्ष में मुख्य मध्यस्थ रहा है।
  • आर्थिक और ऊर्जा सहयोग: संबंधित समझौतों से ऊर्जा और प्रौद्योगिकी व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे अज़रबैजान को अमेरिकी नेतृत्व वाले क्षेत्रीय आर्थिक ढाँचों में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त होगा|

भारत के हित

  • आर्मेनिया के साथ द्विपक्षीय संधि: आर्मेनिया एकमात्र दक्षिण काकेशस देश है जिसके साथ भारत ने 1995 में मैत्री और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जो उनके दीर्घकालिक और बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों का प्रमाण है।
  • अज़रबैजान के माध्यम से सामरिक पारगमन: अज़रबैजान अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के पश्चिमी मार्ग पर स्थित है, जो ईरान और अज़रबैजान के माध्यम से भारत को रूस से जोड़ने वाला एक मल्टीमॉडल माल ढुलाई गलियारा है।

स्रोत:

https://www.bbc.com/news/articles/c39dzl1lzrgo https://www.reuters.com/world/us-secures-strategic-transit-corridor-armenia-azerbaijan-peace-deal-2025-08-07/ https://ddnews.gov.in/en/iran-threatens-planned-trump-corridor-envisaged-by-azerbaijan-armenia-peace-deal/

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